facebookmetapixel
Delhi Pollution: दिल्ली-NCR में खतरनाक प्रदूषण, CAQM ने आउटडोर खेलों पर लगाया रोकशेयर बाजार में इस हफ्ते क्यों मचेगी उथल-पुथल? WPI, विदेशी निवेशक और ग्लोबल संकेत तय करेंगे चालFPI की निकासी जारी, दिसंबर के 12 दिनों में ही ₹18 हजार करोड़ उड़ गएसस्ता टिकट या बड़ा धोखा? हर्ष गोयनका की कहानी ने खोल दी एयरलाइंस की पोलMCap: टॉप 8 कंपनियों का मार्केट वैल्यू ₹79,129 करोड़ घटा; Bajaj Finance और ICICI Bank सबसे बड़े नुकसान मेंRobert Kiyosaki ने खोले 6 निवेश के राज, जिन्हें अपनाकर आप बन सकते हैं अमीर!IRCTC टिकट बुकिंग में नया सिस्टम, फर्जी अकाउंट्स अब नहीं बचेंगेDelhi Weather Today: दिल्ली पर घना कोहरा, AQI 500 के करीब; GRAP स्टेज-4 की कड़ी पाबंदियां लागूElon Musk का अगला बड़ा दांव! SpaceX की IPO प्लानिंग, शेयर बिक्री से ₹800 अरब डॉलर वैल्यूएशन का संकेतUP: सांसद से प्रदेश अध्यक्ष तक, पंकज चौधरी को भाजपा की नई जिम्मेदारी

14-18 वर्ष आयु वर्ग के 87 फीसदी युवा शैक्षणिक संस्थानों में पंजीकृत, 25 फीसदी नहीं पढ़ पा रहे क्लास-2 के बराबर

शिक्षा संबंधी रिपोर्ट ASER में बुधवार को इस बात को भी रेखांकित किया गया कि 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के 32 प्रतिशत से अधिक लोग शैक्षणिक संस्थानों में नामांकित नहीं हैं।

Last Updated- January 17, 2024 | 11:01 PM IST
Over 86.8% in 14-18 age group enrolled, but 25% of them can't read class-2 text fluently: ASER

देश में 14-18 वर्ष आयु वर्ग के 86.8 प्रतिशत से अधिक युवा शैक्षणिक संस्थानों में पंजीकृत हैं लेकिन इनमें से 25 प्रतिशत छात्र अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में कक्षा-दो के स्तर की पाठ्य सामग्री भी धाराप्रवाह नहीं पढ़ सकते।

शिक्षा संबंधी वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) में बुधवार को इस बात को भी रेखांकित किया गया कि 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के 32 प्रतिशत से अधिक लोग शैक्षणिक संस्थानों में नामांकित नहीं हैं, जबकि कक्षा 11 और 12 के आधे से अधिक छात्र मानविकी पाठ्यक्रम का विकल्प चुनते हैं।

एएसईआर 2023 ‘बियॉन्ड बेसिक्स’ (ASER 2023 ‘Beyond Basics’) रिपोर्ट ग्रामीण भारत में 14 से 18 वर्ष की आयु के युवाओं पर प्रकाश डालती है। इस आयु समूह पर एएसईआर 2017 में भी विशेष ध्यान दिया गया था।

रिपोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में पंजीकरण में कम लैंगिक अंतर का उल्लेख किया है, लेकिन इसने आयु वर्गों के बीच उल्लेखनीय अंतर को चिह्नित किया है।

इसमें कहा गया है, ‘‘अधिक आयु के युवाओं के पंजीकरण नहीं कराने की संभावना अधिक है। चौदह वर्ष के 3.9 प्रतिशत छात्रों और 18 वर्ष के 32.6 प्रतिशत छात्रों ने पंजीकरण नहीं कराया।’’

रिपोर्ट में कहा गया, “कुल मिलाकर, 14-18 वर्ष के 86.8 प्रतिशत बच्चे शैक्षणिक संस्थान में नामांकित हैं।” इसमें हालांकि यह रेखांकित किया गया कि उनमें से 25 प्रतिशत अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में कक्षा-2 स्तर की पाठ्य सामग्री भी धाराप्रवाह नहीं पढ़ सकते।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कक्षा 11 एवं 12 के 55 प्रतिशत से अधिक छात्रों ने मानविकी पाठ्यक्रम में और इसके बाद छात्रों ने विज्ञान एवं वाणिज्य संबंधी पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया। इसमें यह भी बताया गया कि छात्रों की तुलना में कम छात्राओं के एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) पाठ्यक्रमों में पंजीकरण कराने की संभावना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान आजीविका का साधन नहीं होने के कारण छात्रों के स्कूल छोड़ देने का डर निराधार पाया गया।

इसमें कहा गया, “इस आयु वर्ग के अधिकांश युवा कला और मानविकी पाठ्यक्रमों में नामांकित थे। कक्षा 11 या उससे ऊपर की कक्षाओं में आधे से अधिक कला और मानविकी पाठ्यक्रम (55.7 प्रतिशत) में नामांकित हैं। छात्रों (36.3 प्रतिशत) की तुलना में कम छात्राओं (28.1 प्रतिशत) के एसटीईएम पाठ्यक्रम में दाखिला लेने की संभावना है।”

पिछले साल की रिपोर्ट के अनुसार, छह से 14 वर्ष की आयु वर्ग के छात्रों के पंजीकरण का स्तर 2010 में 96.6 प्रतिशत, 2014 में 96.7 प्रतिशत और 2018 में 97.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 98.4 प्रतिशत हो गया।

इसमें बताया गया है कि वर्तमान में केवल 5.6 प्रतिशत युवा व्यावसायिक प्रशिक्षण ले रहे हैं या अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में पढ़ रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया, “सर्वे में शामिल छात्रों में से सिर्फ 5.6 प्रतिशत फिलहाल व्यावसायिक प्रशिक्षण ले रहे हैं या अन्य संबंधित पाठ्यक्रम पढ़ रहे है। कॉलेज स्तर पर युवाओं के व्यावसायिक प्रशिक्षण लेने की संभावना सबसे अधिक (16.2 प्रतिशत) है।”

इसमें कहा गया, “अधिकांश युवा कम अवधि (6 महीने या उससे कम) वाले पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर रहे हैं। महिलाओं (28 प्रतिशत) की तुलना में अधिक पुरुषों (40.3 प्रतिशत) ने पिछले महीने के दौरान कम से कम 15 दिनों तक घरेलू काम के अलावा अन्य काम करने की जानकारी दी।”

एएसईआर एक राष्ट्रव्यापी घरेलू सर्वेक्षण है जो ग्रामीण भारत में बच्चों की स्कूली शिक्षा और सीखने की स्थिति की तस्वीर प्रदान करता है।

First Published - January 17, 2024 | 7:10 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

संबंधित पोस्ट