हरियाणा के रोहतक स्थित मोटरसाइकिल पुर्जों के विनिर्माता और थोक विक्रेता ने निजी नौकरियों में हरियाणा के स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण देने के कानून को अदालत में चुनौती दी है। राज्य सरकार ने 50,000 रुपये तक की वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय जनता को 75 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव दिया है।
एके ऑटोमेटिक्स की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि स्थानीय लोगों को आरक्षण देने का कानून अवैध, मनमाना और अधिकारातीत/असंवैधानिक है और कानूनी परीक्षण में यह ठहर नहीं सकता है क्योंकि इस कानून से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 (2) और 16 (3), 19 , 21 के सिद्घांतों की अवहेलना होती है।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने पहले खबर दी थी कि निजी क्षेत्र ने एक ओर से इस नए कानून का विरोध किया है। विशेषज्ञों ने कहा है कि आरक्षण के प्रावधान से संगठन में नियुक्ति के अवास्तविक लक्ष्य निर्धारित होंगे। राज्य के भीतर से ही नियुक्ति करने से उपलब्ध कुशलता में कमी आएगी और समग्र उत्पादकता घटेगी।
याचिका में कहा गया है कि निजी क्षेत्र की नौकरी और वेतनमान पूरी तरह से कौशल पर आधारित होते हैं और लोगों के पास देश के भीतर कहीं भी नौकरी पाने का संवैधानिक अधिकार है।
याचिका में कहा गया है कि नया कानून और कुछ नहीं बल्कि योग्य कर्मचारियों और हरियाणा के स्थानीय लोगों के बीच अनुचित प्रतिस्पर्धा कराने का कानून है। स्थानीय नागरिक होने के कारण कर्मचारी होने का अधिकार जताना सरासर कानून का मजाक बनाना है क्योंकि यह संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है।
