भारतीय अधिकारियों को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन से महत्वपूर्ण व्यापारिक समझौते के लिए बातचीत में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वजह यह है कि वॉशिंगटन में विदेश नीति से जुड़े कई प्रमुख पद अभी तक खाली हैं, जिससे नई दिल्ली के लिए अमेरिकी नीति-निर्माताओं तक अपनी बात प्रभावी ढंग से पहुँचाना मुश्किल हो रहा है। इस समस्या के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय में कई पद खाली हैं, जिससे भारत के लिए अपना पक्ष मजबूती से रखना कठिन हो गया है।
यह मुद्दा ऐसे समय पर और भी गंभीर हो गया है जब अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत का भारी टैरिफ लगाया है — जो इस क्षेत्र में सबसे अधिक है — और रूस से तेल खरीदने को लेकर नई धमकियाँ दी हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने सोमवार को कहा कि अगर भारत ने रूसी तेल खरीदना नहीं रोका, तो यह दर “काफी ज्यादा” कर दी जाएगी। अमेरिका का कहना है कि भारत और चीन, दोनों ही देश, रूसी तेल खरीद कर राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन युद्ध के लिए फंड प्रदान कर रहे हैं। इसके जवाब में भारत ने अपनी स्थिति का बचाव करते हुए कहा कि अमेरिका व यूरोपीय यूनियन की आलोचना ‘अवांछित और अनुचित’ है, क्योंकि वे खुद रूसी ऊर्जा और अन्य सामान खरीद रहे हैं, जबकि भारत के लिए यह राष्ट्रीय आवश्यकता है।
इस बढ़े टैरिफ के चलते दोनों देशों के संबंधों में और तनाव आ गया है। ट्रंप ने हाल में दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने के लिए व्यापार का इस्तेमाल किया — जिसे भारत ने दृढ़ता से नकार दिया है।
इन सब के बीच, सबसे महत्वपूर्ण खाली पदों में से एक ‘असिस्टेंट सेक्रेटरी फॉर साउथ एंड सेंट्रल एशियन अफेयर्स’ का है, जो क्षेत्रीय अमेरिकी विदेश नीति और संबंधों को संभालता है। ट्रंप ने इस पद के लिए भारतीय-अमेरिकी अकादमिक पॉल कपूर को नामित किया है, लेकिन उनकी नियुक्ति अभी तक नहीं हुई है।
यूएस दूतावास का भी प्रमुख पद, भारत में अमेरिका के राजदूत, जनवरी 2025 से खाली है, और वहाँ फिलहाल करियर डिप्लोमैट्स काम देख रहे हैं। हालांकि बाइडन के समय नियुक्त एरिक गार्सेटी को भी दो साल की देरी के बाद ही पुष्टि मिली थी, लेकिन दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के निजी संबंधों ने उस मुश्किल को कुछ हद तक कम किया था।
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सूत्रों ने यह भी बताया कि अमेरिकी ‘नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल’ (NSC) के अधिकारियों की संख्या में भारी कटौती की गई है — बाइडन काल में जहां NSC में 300 से ज्यादा अधिकारी थे, वहीं ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में बस 50 के आसपास रह गए हैं। मई में बड़ी संख्या में NSC स्टाफ को निकाल दिया गया क्योंकि व्हाइट हाउस, काउंसिल को नीतियों के निर्धारण से हटाकर केवल लागू करने पर केंद्रित करना चाहता है। भारत के विदेश मंत्रालय और दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार किया है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)