facebookmetapixel
सोने के भाव फिसले, चांदी की कीमतों में भी गिरावट; चेक करें आज का भावIndia’s Biggest BFSI Event – 2025 | तीसरा दिन (हॉल – 1)एयर इंडिया ने ओनर्स से मांगी ₹10,000 करोड़ की मदद, अहमदाबाद हादसे और एयरस्पेस पाबंदियों से बढ़ा संकट₹6,900 लगाकर ₹11,795 तक कमाने का मौका! HDFC Securities ने सुझाई Bank Nifty पर Bear Spread स्ट्रैटेजीStock Market Today: लाल निशान के साथ खुले सेंसेक्स और निफ्टी; जानें टॉप लूजर और गेनरStocks to Watch today: स्विगी, रिलायंस और TCS के नतीजे करेंगे सेंटीमेंट तय – जानिए कौन से स्टॉक्स पर रहेंगी नजरेंLenskart ने IPO से पहले 147 एंकर निवेशकों से ₹3,268 करोड़ जुटाएBFSI Summit 2025: बीमा सेक्टर में दिख रहा अ​स्थिर संतुलन – अजय सेठरिलायंस और गूगल की बड़ी साझेदारी: जियो यूजर्स को 18 महीने फ्री मिलेगा एआई प्रो प्लानबीमा सुगम उद्योग को बदलने के लिए तैयार : विशेषज्ञ

चिप बनाने में भारत की मदद करेगा ताइवान, चैंबर ऑफ कॉमर्स के चेयरमैन ने मेक इन इंडिया पहल पर दिया सुझाव

चीन के साथ तनाव को देखते हुए ताइवान की कुछ कंपनियां अपने विनिर्माण केंद्र भारत में बना रही हैं, जिससे कि आपूर्ति श्रृंखला का विविधीकरण किया जा सके।

Last Updated- April 28, 2024 | 11:06 PM IST
Semiconductor

ताइवान ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत के साथ साझेदारी की इच्छा जताई है। भारत में ताइवान चैंबर ऑफ कॉमर्स के चेयरमैन जेसन हो ने कहा कि सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनने में मदद करने के लिए ताइवान, भारत के साथ साझेदारी करने को इच्छुक है। उन्होंने कहा कि ताइवान की कंपनियों के पास उन चीजों की आपूर्ति श्रृंखला है, जिसकी भारतीय बाजार को जरूरत है।

इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों, ड्रोन और संचार उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले सेमीकंडक्टर का विनिर्माण जटिल है। इसमें भारी निवेश की जरूरत होती है और यह थकाऊ प्रक्रिया हो सकती है।

ताइवान ने पहले ही खुद को प्रमुख वैश्विक चिप मेकर के रूप में विकसित कर लिया है, ऐसे में भारत के साथ इस क्षेत्र में साझेदारी दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो सकती है। हो ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘डिजाइनिंग क्षमता और बाजार में मांग के हिसाब से भारत ताकतवर है। हमारे पास पर्याप्त क्षमता है, जिसे भारत में इस्तेमाल किया जा सकता है। ताइवान की कंपनियों के पास ऐसी चीजों की आपूर्ति श्रृंखला है, जिनकी भारत के बाजार को जरूरत है।’

ताइवान के पास पहले ही 28 नैनोमीटर (एनएम) चिप की पर्याप्त क्षमता है, जिस पर भारत भी ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिससे टेलीकॉम और ऑटोमोबाइल सेक्टर की जरूरतें पूरी की जा सकें।

उन्होंने कहा, ‘भविष्य में भारत को इस क्षेत्र में धन निवेश करने की जरूरत नहीं होगी। मैं मोदी सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम से सहमत हूं, लेकिन सेमीकंडक्टर जैसे हाईटेक उद्योग में संभवतः यह काम नहीं करेगा और इसके लिए गठजोड़ बनाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।’

चीन के साथ तनाव को देखते हुए ताइवान की कुछ कंपनियां अपने विनिर्माण केंद्र भारत में बना रही हैं, जिससे कि आपूर्ति श्रृंखला का विविधीकरण किया जा सके।

पिछले साल ताइवान से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ा है और निवेश करने वाली कंपनियों की संख्या 150 से बढ़कर 290 हो गई है। उन्होंने निवेश किया है। खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना एवं संचार तकनीक, पेट्रोकेमिकल्स, स्टील, शिपिंग, फुटवेयर, विनिर्माण, ऑटोमोटिव और मोटरसाइकिल के कल पुर्जों, वित्त और निर्माण उद्योग में निवेश हुआ है। छोटे और मझोले उद्यमों के साथ गठजोड़ करना एक और प्रमुख क्षेत्र है जिस पर ध्यान देना होगा।

दोनों पक्षों ने पॉलिसी शेयरिंग, तकनीकी सहयोग, नवोन्मेष, उद्यमशीलता और बिजनेस इनक्यूबेशन, मार्केट डेवलपमेंट, के साथ क्षमता और सामर्थ्य बनाने के क्षेत्र में सहयोग मजबूत किया है।

व्यापार

दोनों देशों के बीच 2023 में द्विपक्षीय व्यापार करीब 8.224 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2.78 फीसदी कम है। दोनों देशों के बीच इस समय कोई मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) नहीं है।

हालांकि कुछ साल पहले इस मसले पर कुछ चर्चा शुरू हुई थी, लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो सकी। हो ने कहा, ‘हम दोनों देशों के बीच ज्यादा निवेश चाहते हैं और मुक्त व्यापार समझौते से इसे बल मिल सकता है।’

ताइवान, भारत का 16वां बड़ा कारोबारी साझेदार है। ताइवान से भारत को निर्यात 2023 में बढ़कर 6.013 अरब डॉलर हो गया है, जिसमें 13 फीसदी वृद्धि दर्ज हुई है। ताइवान के लिए भारत 12वां बड़ा निर्यात बाजार बन गया है।

अगर आयात को देखें तो ताइवान ने भारत से 2.211 अरब डॉलर का आयात किया है और इसमें 2022 की तुलना में 29.62 फीसदी की कमी आई है।

First Published - April 28, 2024 | 11:06 PM IST

संबंधित पोस्ट