विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार (भारतीय समय) को रूस-यूक्रेन युद्ध सहित उन तमाम संघर्षों के तत्काल समाधान का आह्वान किया जो भोजन, उर्वरक और ऊर्जा सुरक्षा पर असर डाल रहे हैं। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के मौके पर ‘समान विचारधारा वाले ग्लोबल साउथ देशों’ की ‘उच्च-स्तरीय’ बैठक में अपने संबोधन में भारत के विदेश मंत्री ने ग्लोबल साउथ के देशों द्वारा लचीली, विश्वसनीय और छोटी आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। जयशंकर ने कहा कि इससे एक आपूर्तिकर्ता या किसी एक बाजार पर निर्भरता कम हो जाएगी।
जयशंकर की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब व्हाइट हाउस ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है। भारत ने चीन से महत्त्वपूर्ण खनिजों और उर्वरकों की आपूर्ति में अनिश्चितता से भी जूझ रहा है। पिछले कुछ महीनों में भारत ने अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाने की संभावनाओं का पता लगाया है और दुर्लभ मृदा खनिज प्राप्त करने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की भी तलाश की है। भारत इन खनिजों के लिए चीन पर अधिक निर्भर रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध से भारत का उर्वरक आयात प्रभावित हुआ है।
जयशंकर ने संतुलित और टिकाऊ आर्थिक बातचीत के लिए एक स्थिर वातावरण बनाने की दिशा में काम करने के लिए ग्लोबल साउथ के देशों के बीच एकता स्थापित करने की मांग की। उन्होंने इन देशों के बीच अधिक आपसी व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में सहयोग और निष्पक्ष और पारदर्शी आर्थिक तंत्रों पर जोर दिया जो सभी को उत्पादन का लाभ देते हैं और आर्थिक सुरक्षा बढ़ाते हैं। जयशंकर ने इस बात का भी जिक्र किया कि कम से कम 2020 से दुनिया अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है।
उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ को कोविड महामारी, यूक्रेन और गाजा में दो प्रमुख संघर्षों, चरम जलवायु घटनाओं, व्यापार में अस्थिरता, निवेश प्रवाह और ब्याज दरों में अनिश्चितता के झटकों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने अफसोस जताया कि ‘बहुपक्षवाद की अवधारणा पर हमले हो रहे हैं’ क्योंकि अंतरराष्ट्रीय संगठन कमजोर हैं या जरूरी संसाधनों से वंचित हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘समकालीन व्यवस्था के महत्त्वपूर्ण घटक अलग होने लगे हैं। आवश्यक सुधारों में देरी का नुकसान अब स्पष्ट रूप से दिखने लगा है।‘
संयुक्त राष्ट्र महासभा के सालाना अधिवेशन में भाग लेने न्यूयॉर्क गए जयशंकर ने यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों की एक अनौपचारिक बैठक में भाग लिया जिसकी मेजबानी विदेश मामलों और सुरक्षा नीति के लिए यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि काजा कल्लास ने की।
कई यूरोपीय संघ के सदस्यों ने कुछ अमेरिका द्वारा भारत पर अधिक शुल्क लगाने पर असहमति जताई है। ब्लूमबर्ग को दिए एक साक्षात्कार में फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब ने कहा कि पश्चिम देशों को भारत को रूस या चीन के साथ नहीं रखना चाहिए। स्टब ने कहा कि पश्चिमी देशों के लिए भारत के साथ जुड़ना बहुत महत्वपूर्ण है।
फॉक्स न्यूज के साथ साक्षात्कार में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमिर जेलेंस्की ने दावा किया कि ‘भारत का रुख ज्यादातर हमारा समर्थन करता है। जेलेंस्की ने कहा, ‘हां, रूस के ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े कुछ मुद्दे जरूर हैं लेकिन मुझे लगता है कि राष्ट्रपति ट्रंप इसे यूरोपीय देशों के साथ मिलकर हल कर सकते हैं और भारत के साथ अधिक घनिष्ठ और मजबूत संबंध बना सकते हैं।‘
एक मीडिया संगठन के साथ साक्षात्कार में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत को अमेरिका का एक बहुत करीबी भागीदार बताया लेकिन यह भी दोहराया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगाए हैं। रुबियो ने सोमवार को जयशंकर से मुलाकात की। एक अन्य साक्षात्कार में रुबियो ने दावा किया कि ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष हल किया। मंगलवार शाम संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधन में ट्रंप ने ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने ‘सात न खत्म होने वाले युद्धों’ को समाप्त कर दिया है। भारत लगातार कहता रहा है कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम करने में किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं था।
न्यूयॉर्क में जयशंकर ने नीदरलैंड, डेनमार्क, सिंगापुर, जमैका, मॉरीशस और अन्य देशों के अपने समकक्षों से भी मुलाकात की। उन्होंने दुबई स्थित बहुराष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स कंपनी डीपी वर्ल्ड के ग्रुप चेयरमैन और सीईओ सुल्तान अहमद बिन सुलेयम से भी मुलाकात की।