भारत और ब्रिटेन के बीच मंगलवार को हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत दिसंबर 2025 तक यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता कर सकता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक विखंडन के बीच देश द्विपक्षीय समझौतों पर विचार कर रहे हैं।
सीतारमण ने कहा, ‘बातचीत इसे संभव बनाने की कला है। इसे संभव बनाने के लिए आपको हर तरह के प्रयास करने की जरूरत होती है। लेकिन जब किसी रुख पर दृढ़ता आ जाती है, तो किसी न किसी को ढील देनी होगी, लचीलापन लाना होगा।’
इटली के मिलान में आयोजित ‘एडीबी गवर्नर्स सेमिनार: क्रॉस बॉर्डर कोलाबोरेशन फॉर फ्यूचर्स रेसिलिएंस’ में सीतारमण ने कहा कि एक या दो मुद्दों को छोड़कर, जिन पर दोनों पक्ष एकमत थे, मोटे तौर पर सहमति बन गई है।
मंत्री ने कहा, ‘यूरोपीय संघ हमारी प्राथमिकता में शीर्ष पर है क्योंकि ईयू के साथ हमारे परंपरागत संबंध हैं। अगर बातचीत उस भावना से आगे बढ़ती है तो दिसंबर (तय की गई तिथि) तक यह लक्ष्य हासिल करना असंभव नहीं है।’
सीतारमण ने कहा कि भारत ने अपनी रणनीतिक मजबूती और क्षमता को ध्यान में रखते हुए आपूर्ति श्रृंखलाएं बनाने के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाया है।
सीतारमण ने कहा, ‘आपूर्ति श्रृंखला मेरे लिए मायने रखता है। आज जिस तरह के व्यवधान आ रहे हैं, ऐसा नहीं चाहिए। इसकी जगह टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला लिंक होनी चाहिए। भारत अपनी संपत्तियों का इस्तेमाल करके ऐसी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बनाना चाहता है।’
सीतारमण ने कहा, ‘आपूर्ति श्रृंखला को लेकर भारत का दृष्टिकोण कम अवधि या तात्कालिक चिंताओं या समस्याओं के समाधान के हिसाब से नहीं है। ऐसे में हमारा दृष्टिकोण तात्कालिक सामरिक प्रतिक्रिया के हिसाब से नहीं है। यह खुद को मजबूत करने के लिए है।’
उन्होंने कहा कि भारत जिन साधनों का पूरी तरह इस्तेमाल करना चाहता है, उन पर विचार करते हुए नीतियां तैयार की गई हैं। इनमें तकनीक, मानव संसाधन, मानव संसाधन को कुशल बनाने, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र को समर्थन करने वाले कदम शामिल हैं।
सीतारमण ने कहा कि भारत के जीडीपी में सेवाओं की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत है और विनिर्माण की हिस्सेदारी धीरे धीरे बढ़ानी होगी।
सीतारमण ने कहा, ‘विनिर्माण क्षेत्र का योगदान लगातार बढ़ना चाहिए। इसे 13 से बढ़ाकर 16 से 18 प्रतिशत तक किया जाना चाहिए। हमने 14 प्राथमिकता वाले या उभरते क्षेत्रों जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, फार्मास्यूटिकल्स, एडवांस केमिस्ट्री जैसे क्षेत्रों की मदद के लिए नीतियां बनाई हैं। कोई भी अतिरिक्त विनिर्माण क्षमता आने पर हम उत्पादन से जुड़ा प्रोत्साहन देते हैं।’
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत अपने उपलब्ध संसाधनों केआधार पर खुद को मजबूत बनाना चाहता है, चाहे वह मानव पूंजी हो या प्रौद्योगिकी, चाहे ऐसे क्षेत्र हों, जहां वह आगे बढ़ सकता है। सीतारमण ने कहा, ‘हम ऐसे सेक्टरों पर भी नजर रख रहे हैं, जिसमें हमारी आबादी लगी हुई है।’ उन्होंने कहा कि भारत की 60 करोड़ आबादी 25 साल से कम उम्र की है और भारत को उम्रदराज आबादी के साथ नहीं जूझना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी उत्पादक आबादी उल्लेखनीय है।