facebookmetapixel
GST रेट कट के बाद कंजम्प्शन थीम पर अगले हफ्ते खुल रहे दो नए फंड; क्यों है खास? किसे करना चाहिए निवेशमिथुन मन्हास बने BCCI के 37वें अध्यक्ष, रघुराम भट नए कोषाध्यक्ष; चयन समितियों में भी हुआ बड़ा फेरबदलKarur stampede: करूर रैली में भगदड़ कैसे हुई, जिसने 39 लोगों की जान ले लीCorporate Actions: स्प्लिट, बोनस और डिविडेंड का तिहरा तोहफा, यह हफ्ता निवेशकों के लिए त्योहार जैसाWeWork India IPO: 3 अक्टूबर से खुलेगा वीवर्क इंडिया का आईपीओ, इश्यू साइज ₹3,000 करोड़Market Outlook: RBI की ब्याज दर और टैरिफ फैसलों से तय होगा बाजार का रुखUK Digital ID cards: क्या है ब्रिटेन की डिजिटल ID कार्ड योजना और कैसे रोकेगी अवैध प्रवास?MCap: TCS पर भारी दबाव, Reliance और Infosys सहित 10 कंपनियों के मार्केट कैप में गिरावटAadhaar Update: 1 अक्टूबर से आधार में बदलाव करना पड़ेगा महंगा, समय पर कर लें ये सुधारAir India Express PayDay Sale: दिवाली धमाका! एयर इंडिया एक्सप्रेस दे रही फ्लाइट टिकट सिर्फ ₹1200 से

अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए Trump Tariff कर रहा कमाल, उम्मीद से ज्यादा बढ़ी GDP 

अमेरिकी वाणिज्य विभाग के मुताबिक, इस तिमाही में अमेरिका की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वार्षिक आधार पर 3% की दर से बढ़ी—जबकि अर्थशास्त्रियों ने केवल 2% की उम्मीद जताई थी।

Last Updated- July 30, 2025 | 9:14 PM IST
Donald Trump

अमेरिकी अर्थव्यवस्था की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून 2025) में वृद्धि के नए आँकड़ों ने सभी को चौंका दिया है। अमेरिकी वाणिज्य विभाग के मुताबिक, इस तिमाही में अमेरिका की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वार्षिक आधार पर 3% की दर से बढ़ी—जबकि अर्थशास्त्रियों ने केवल 2% की उम्मीद जताई थी। यह तेजी पहली तिमाही की 0.5% की गिरावट के बाद आई है, जब व्यापार युद्ध और आयात नीति में अचानक बदलावों ने बाजार को अस्थिर कर दिया था।

हालांकि, रिपोर्ट के भीतर के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि अमेरिकी उपभोक्ता और कारोबारी आर्थिक अनिश्चितताओं को लेकर सतर्क हैं, खासकर ट्रंप द्वारा दुनिया भर से आयात पर भारी शुल्क (टैरिफ) लगाने की आक्रामक मुहिम के चलते।

कॉमर्स डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल से जून के बीच अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि 3% रही, जबकि अर्थशास्त्रियों को 2% वृद्धि की उम्मीद थी। यह सुधार मुख्य रूप से आयात में बड़ी गिरावट के कारण हुआ, जिसने विकास दर में 5 प्रतिशत अंकों से अधिक का योगदान दिया। हालांकि, उपभोक्ता खर्च केवल 1.4% की दर से बढ़ा — जो कि पहले की तिमाही (0.5%) से बेहतर जरूर है, लेकिन अब भी कमजोर माना जा रहा है।

Also read: Trump Tariff: भारत पर 25% ट्रैरिफ लगाते हुए ट्रम्प ने क्या कहा? पढ़ें, अमेरिकी राष्ट्रपति का पूरा बयान

रिपोर्ट के अनुसार, निजी निवेश में 15.6% की भारी गिरावट दर्ज की गई — जो COVID-19 महामारी के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है। इसके अलावा, पहली तिमाही में संचित माल (इन्वेंट्री) को बेचने की प्रक्रिया में कंपनियों ने अपने स्टॉक घटाए, जिससे GDP वृद्धि में 3.2 प्रतिशत अंकों की कमी हुई। सरकारी खर्च में भी गिरावट दर्ज की गई — संघीय सरकार का खर्च और निवेश 3.7% की दर से घटा, जबकि पहली तिमाही में यह गिरावट 4.6% थी।

GDP का एक विशेष मापदंड, जो अर्थव्यवस्था की मूलभूत मजबूती को दर्शाता है (जिसमें उपभोक्ता खर्च और निजी निवेश शामिल हैं, लेकिन निर्यात, इन्वेंट्री और सरकारी खर्च जैसे अस्थिर तत्व नहीं), वह दूसरी तिमाही में सिर्फ 1.2% बढ़ा, जो 2022 के अंत के बाद से सबसे कमजोर प्रदर्शन है। पहली तिमाही में यह आंकड़ा 1.9% था। 

महंगाई पर भी रिपोर्ट में राहत भरी खबर आई। फेडरल रिजर्व के पसंदीदा पैमाने PCE (Personal Consumption Expenditures) मूल्य सूचकांक के अनुसार, दूसरी तिमाही में महंगाई की दर 2.1% रही, जो पहली तिमाही के 3.7% से कम है। यदि खाद्य और ऊर्जा को निकाल दिया जाए, तो Core PCE की दर भी 3.5% से घटकर 2.5% पर आ गई है।

Also read: Trump Tariff: ट्रंप के 25% टैरिफ से भारतीय झींगा निर्यात पर संकट, कृषि विशेषज्ञों ने जताई ‘गंभीर’ चिंता

Truth Social पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रंप ने GDP आंकड़े को अपनी नीतियों की जीत बताते हुए लिखा, “दूसरी तिमाही का GDP अभी-अभी आया: 3%, उम्मीद से कहीं बेहतर! ‘बहुत देर हो चुकी’ — अब ब्याज दरें कम करनी ही होंगी। कोई महंगाई नहीं! लोगों को घर खरीदने और अपने लोन का पुनर्वित्त करने दीजिए!” उन्होंने फेडरल रिजर्व से ब्याज दरों में कटौती की मांग की ताकि लोग घर खरीद और ऋण पुनर्वित्त कर सकें।

हालांकि ट्रंप और उनके सलाहकार टैरिफ को अमेरिकी उद्योग को बचाने और देश में कारखानों को वापस लाने का जरिया मानते हैं, लेकिन मुख्यधारा के अर्थशास्त्री इस विचार से सहमत नहीं हैं। Nationwide की मुख्य अर्थशास्त्री कैथी बोस्टजानसिक ने लिखा, “मुख्य आंकड़े असली कहानी नहीं कह रहे। टैरिफ के चलते गतिविधियों में गिरावट आ रही है, जिससे असल अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है।” उन्होंने चेताया कि टैरिफ का असर उत्पादन लागत बढ़ाकर कंपनियों को कम प्रतिस्पर्धी बना सकता है और इसकी वजह से मुद्रास्फीति भी बढ़ सकती है — हालांकि अभी तक इसका असर सीमित रहा है।

Explainer: India-UK FTA, दोनों देशों पर क्या होगा असर?

BS Special: रुस से Crude import कर कैसे भारत हासिल कर रहा ऊर्जा सुरक्षा 

Trump Tariff: भारत पर 25% शुल्क, रूस से तेल और हथियार लेने पर लगाया जुर्माना

 

First Published - July 30, 2025 | 9:05 PM IST

संबंधित पोस्ट