ब्राजील में जी20 नेताओं का शिखर सम्मेलन जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए धनराशि बढ़ाने और नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार के आह्वान के साथ आज समाप्त हो गया। मगर इन लक्ष्यों को किस तरह हासिल किया जाएगा इसके बारे में विवरण नहीं दिया गया। बैठक में गाजा और लेबनान में तत्काल युद्धविराम और यूक्रेन में व्यापक शांति पर भी जोर दिया गया।
रियो डी जनेरियो के घोषणा पत्र में वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने तथा दुनिया भर में ऊर्जा दक्षता सुधार की औसत वार्षिक दर दोगुना करने के प्रयास करने का संकल्प किया गया। इसमें कहा गया कि इसे मौजूदा लक्ष्यों और नीतियों के तहत किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली के घोषणा पत्र में जलवायु वित्त को ‘सभी स्रोतों से अरबों से खरबों’ तक तेजी से और पर्याप्त रूप से बढ़ाने की आवश्यकता पर सहमति जताई गई थी मगर नए संयुक्त वक्तव्य में इस संबंध में स्पष्ट रूपरेखा नहीं है।
जी20 में कई बार सभी क्षेत्रों में ‘न्यायसंगत परिवर्तन’ का आह्वान तो किया गया लेकिन जीवाश्म ईंधन से किनारा करने का कोई उल्लेख नहीं किया गया। वर्ष 2023 में भारत में आयोजित जी20 बैठक में अनुमान लगाया गया था कि दुनिया को जलवायु परिवर्तन के लिए कम लागत वाले फाइनैंस के लिए 4 लाख करोड़ डॉलर से अधिक सालाना निवेश की आवश्यकता है।
घोषणा पत्र में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से बंद करने या हाइड्रोकार्बन में निवेश पर अंकुश लगाने के लिए कोई निश्चित समयसीमा का भी उल्लेख नहीं किया गया।
घोषणा पत्र में कहा गया कि केवल 17 फीसदी सतत विकास लक्ष्यों की सही दिशा में प्रगति हुई है और 2030 एजेंडा को हासिल करने में सिर्फ छह साल बचे हैं। कुल मिलाकर एक तिहाई लक्ष्यों पर प्रगति रुक गई है या पिछड़ गई है।
मानवीय पीड़ा और दुनिया भर में युद्ध एवं संघर्ष के प्रतिकूल प्रभाव को ध्यान में रखते हुए जी20 देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनाए गए प्रस्तावों और अपने संकल्प को दोहराया। घोषणा पत्र में वैश्विक नेताओं ने गाजा और लेबनान में व्यापक युद्धविराम का आह्वान किया और इजरायल तथा फिलिस्तीन को शामिल करते हुए दो-राष्ट्र के समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के संबंध में जी20 नेताओं ने वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखला, वृहद-वित्तीय स्थिरता, मुद्रास्फीति और विकास पर युद्ध के प्रतिकूल प्रभावों को उजागर करते हुए ‘व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति’ पर जोर दिया। हालांकि इसमें शत्रुता के लिए किसी भी राष्ट्र की निंदा नहीं की गई।
प्रधानमंत्री ने की द्विपक्षीय वार्ता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन, फ्रांस, नॉर्वे, इंडोनेशिया, पुर्तगाल और इटली के नेताओं के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ता की। इसके बाद भारत और इटली ने रक्षा, व्यापार, स्वच्छ ऊर्जा और कनेक्टिविटी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में विशिष्ट पहल को रेखांकित करते हुए महत्त्वाकांक्षी पांच-वर्षीय रणनीतिक कार्य योजना का खाका पेश किया।