कर्नाटक ने हाल में संपन्न हुई जी-20 के वित्त व केंद्रीय बैंक के उपप्रमुखों (एफसीबीडी) के समक्ष अपनी सर्वश्रेष्ठ सांस्कृतिक विरासत को पेश किया। राज्य ने विश्व की 18 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधियों का गर्मजोशी से स्वागत किया।
बेंगलूरु के बाहर एक विशालकाय रिसॉर्ट में तीन दिवसीय कार्यक्रम संपन्न हुआ। भारत के नेतृत्व में पहली बार जी-20 के फाइनैंस ट्रैक की बैठक बेंगलूरु में फरवरी के अंत में आयोजित होगी। इस बैठक में भारत की अध्यक्षता में जी-20 के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के गर्वनर हिस्सा लेंगे।
भारत सरकार के एक अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया,’बैठक का आयोजन स्थल सुरक्षा व लॉजिक्टिक्स के मामले में सबसे उपयुक्त था। इससे मुख्य शहर को यातायात जाम की समस्या भी नहीं झेलनी पड़ी।’ रिसॉर्ट और संगोष्ठी स्थल पर कर्नाटक की ऐतिहासिक विरासत दिखाने वाले कई विशालकाय मॉडल थे।
इस मौके पर मैसूर दशहरे की वेशभूषा में हाथी के आकार का मॉडल भी था। राज्य सरकार ने स्थानीय कलाकारों, छोटे कारोबारियों और स्टार्ट अप के स्टॉल लगवाए थे। इन स्टॉलों में पारंपरिक हस्तशिल्प, हथकरघा और स्थानीय जैविक उत्पाद जैसे बाजरे की किस्में और मसाले प्रदर्शित किए गए थे।
ऐसे ही स्टॉल फरवरी में आयोजित होने वाली बैठक के दौरान भी लगाए जाएंगे। इस बैठक में जैनेट येलन, जेरोम पॉवेल, क्रिस्टिन लेगार्ड, जर्मी हंट और अन्य के हिस्सा लेने की उम्मीद है। इस बैठक की मेजबानी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास करेंगे। सूत्रों के मुताबिक वित्त और विदेश मामले के मंत्रालय के आयोजक नामचीन सांस्कृतिक व पर्यटन स्थलों जैसे हम्पी का दौरा करवाने की आस लगाए बैठे हैं लेकिन अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
इस बार उत्तरी अमेरिका, यूरोप और दक्षिण अमेरिका के देशों के प्रतिनिधियों ने भारत की कॉफी का लुत्फ उठाया। हालांकि इन सभी देशों में कॉफी खूब पी जाती है। भारत के कॉफी उत्पादन में कर्नाटक की हिस्सेदारी 70 फीसदी से अधिक है। इस कार्यक्रम के दौरान भारत की कॉफी के ना सिर्फ स्टॉल लगे थे बल्कि कॉफी की स्टार्टअप भी थीं। अन्य अधिकारी ने बताया,’कॉफी बनाने के सत्र आयोजित किए गए थे। हमारी कॉफी की तारीफ की गई थी।’
प्रतिनिधियों को 13 से 15 दिसंबर के दौरान मुहैया कराए गए भोजन में कर्नाटक के व्यंजन भी थे। बैठक के अंतिम दिन प्रतिनिधियों को भारतीय विज्ञान संस्थान भी ले जाया गया था। इस दौरान उन्होंने तकनीक, कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) और रोबोटिक्स की स्टार्टअप और उद्यमियों से बातचीत भी की।
इस बैठक के दौरान प्रतिनिधियों ने ना केवल मौज मस्ती की बल्कि जरूरी काम को भी जारी रखा। अगर जी-20 में होने वाले कामकाज की बात की जाए तो एफसीबीडी और वित्त मंत्रियों व केंद्रीय बैंक के गर्वनरों की बैठकों की नाममात्र की जानकारी ही उजागर की जाती है। जी-20 के कार्यसमूहों और टास्क फोर्स की बैठक में फाइनैंस ट्रैक के विभिन्न एजेंडों पर विस्तृत, लंबी और धीमी गति से बढ़ने वाली बातचीत होती है। यह जी-20 के कार्य करने के तरीके में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
रूपरेखा कार्य समूह की अध्यक्षता भारत (मुख्य वित्तीय सलाहकार वी. अनंत नागेश्वर) और ब्रिटेन संयुक्त रूप से कर रहे हैं। यह समूह बेंगलूरु में वैश्विक वृहद आर्थिक जोखिमों और अनिश्चितताओं पर चर्चा कर रहा है। दिसंबर में टास्क फोर्स और कार्यसमूह की बैठकों में आधारभूत संरचनाओं के लिए बैठकें पुणे, कोलकाता, चंडीगढ़ और अन्य स्थानों पर होंगी।
इन बैठकों में धन जुटाने, स्वास्थ्य, वित्तीय समावेशन, वैश्विक वित्तीय आर्किटेक्ट के मुद्दों पर चर्चा होगी। ऐसी बैठकें साल भर अलग-अलग जगहों पर आयोजित होती रहेंगी। इन बैठकों से निकल कर आने वाले परिणामों पर जी-20 घोषणापत्रों, संयुक्त वक्तव्यों और समझौतों का मार्ग प्रशस्त होगा। बाद में भारत की अध्यक्षता में जी-20 देशों के नेता इन पर हस्ताक्षर करेंगे।
शेरपा ट्रैक से पुराना जी-20 का फाइनैंस ट्रैक है। फाइनैंस ट्रैक में पांच कार्यकारी समूह हैं। ये समूह आधारभूत संरचना, वैश्विक कराधान, कम आय वाले देशों व बहुपक्षीय संस्थानों के ऋण के स्तर और वहनीयता, सीमापार से अपराधों को वित्तीय अपराध और क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल संपत्तियों के नियामक हैं।