पिछले दिनों आस्ट्रिया के वियना में तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) की बैठक में उत्पादन नहीं बढ़ाए जाने के निर्णय के बाद अमेरिका की भौंहें इन देशों की ओर फिर चढ़ गई हैं।
अमेरिका यह आरोप लगा रहा है कि इन देशों ने कीमतों पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जबकि संगठन का मानना है कि कीमतों में उछाल की वजह अमेरिकी अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन रहा है।
इस तरीके की बयानबाजी से अमेरिका और खाड़ी देशों खासकर, सऊदी अरब के बीच कड़वे संबंध उजागर होकर सामने आ गए हैं। ऊर्जा सलाहकार डेविड गोल्डविन ने कहा, ”व्हाइट हाउस की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसका उन मामलों से कोई सरोकार नहीं है जो ओपेक के लिए महत्वपूर्ण हैं।
यही वजह है कि रह रहकर हमें बढ़ती कीमतों के लिए दोषी ठहराया जा रहा है।” उन्होंने कहा कि ओपेक देशों को कभी भी इस बात के लिए प्रेरित नहीं किया जा रहा है कि उत्पादन बढ़ाने के लिए कौन से कदम उठाए जाएं।
वहीं दूसरी ओर व्हाइट हाउस की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश इस बात से ”निराश” हैं कि वियना में बुधवार को ओपेक की बैठक में उत्पादन बढ़ाने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
बुश ने आशंका जताई की कीमतों में बढ़ोतरी रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जाने से प्रमुख तेल उपभोक्ता देशों की अर्थव्यवस्था पर और मार पड़ सकती है।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता डाना पेरिनो ने कहा, ”ओपेक ने उत्पादन नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया है और हम इस बारे में कुछ खास नहीं कर सकते हैं। उनके निर्णय पर नियंत्रण रखना हमारे लिए संभव नहीं है।”
विश्लेषकों का मानना है कि एक तो कुछ अमेरिकी ड्राइवरों पर पहले से ही सबप्राइम संकट की मार पड़ी हुई है और ऐसे में गैसोलिन की कीमतों में प्रति गैलन चार डॉलर की बढ़ोतरी होने की आशंका से वह और भी भयभीत हैं।
कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी की वजह से ही बुश प्रशासन ने देशवासियों से मांग की है कि वे तेल पर निर्भरता कम करें और एथेनॉल जैसे वैकल्पिक साधनों के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर बल दें।
माना जाता रहा है कि बुश और सऊदी अरब के शाही घरानों के बीच काफी मधुर संबंध रहे हैं पर मध्य पूर्व नीति परिषद के अध्यक्ष चास फ्रीमैन ने कहा कि दोनों घरानों के बीच दोस्ताना संबंधों की खबरों में कोई सच्चाई नहीं है।
जहां तक तेल उत्पादन का सवाल है तो गोल्डविन का कहना है कि सऊदी अरब ओपेक देशों का एकमात्र ऐसा सदस्य है जिसने तेल के सुरक्षित भंडार को बढ़ाने के लिए वास्तविक रूप से निवेश किए हैं।