अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत ने संकेत दिया है कि वह टैरिफ (शुल्क) में और कटौती करने के लिए तैयार है। यह बयान तब आया है जब ट्रंप ने भारत पर व्यापारिक मुश्किलों को कम करने के लिए दबाव बढ़ा दिया, जिससे अमेरिकी व्यवसायों को नुकसान हो रहा है।
ट्रंप ने कहा, “वे मान गए हैं। अब वह अपने टैरिफ को काफी कम करना चाहते हैं।” शुक्रवार देर रात अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर बोलते हुए ट्रंप ने आगे कहा कि भारत “भारी शुल्क” लगाता है, जिसकी वजह से अमेरिका वहां “बहुत कम व्यापार” कर पाता है। भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने ट्रंप की टिप्पणी पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, क्योंकि यह वक्तव्य कार्यालय समय के बाहर दिया गया था।
अमेरिकी बाजार तक अपनी पहुंच बनाए रखना भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक प्राथमिकता है, क्योंकि वह अपने देश को उन प्रतिशोधी (reciprocal) शुल्कों से बचाना चाहते हैं, जिनकी शुरुआत अगले महीने हो सकती है।
साल 2023 में अमेरिका और भारत के बीच व्यापार बढ़कर 127 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिससे अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया। इस कारण नई दिल्ली पर एक व्यापार समझौता करने का दबाव बढ़ रहा है। दोनों नेताओं ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने पर सहमति जताई है।
मोदी सरकार ने हाल के हफ्तों में ट्रंप प्रशासन के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कई रियायतें दी हैं। इनमें हाई-एंड मोटरसाइकिल और व्हिस्की सहित विभिन्न उत्पादों पर शुल्क में व्यापक कटौती और अमेरिका से अधिक ऊर्जा और हथियार खरीदने का वादा शामिल है। भारतीय अधिकारी कारों, कुछ कृषि उत्पादों, रसायनों, महत्वपूर्ण दवाओं और कुछ चिकित्सा उपकरणों व इलेक्ट्रॉनिक्स पर भी शुल्क घटाने पर चर्चा कर रहे हैं, जैसा कि पिछले महीने ब्लूमबर्ग न्यूज ने रिपोर्ट किया था।
भारत ने 2025-26 के केंद्रीय बजट में बोरबॉन व्हिस्की (Bourbon Whiskey), वाइन और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सेगमेंट पर टैरिफ कम करने का फैसला किया है। इसे अमेरिका के राष्ट्रपति को संतुष्ट करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
वाशिंगटन, भारत से अधिक अमेरिकी तेल, गैस और रक्षा उपकरण खरीदने की मांग कर रहा है, ताकि अमेरिका-भारत व्यापार घाटा, जो कि वर्तमान में भारत के पक्ष में 45 अरब डॉलर के आसपास है, कम किया जा सके। साल 2023 के कैलेंडर वर्ष में भारत और अमेरिका के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार (सामान और सेवाओं सहित) 190 अरब डॉलर रहा, जिससे अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना।