facebookmetapixel
वाहन क्षेत्र : तीसरी तिमाही में हुए 4.6 अरब डॉलर के रिकॉर्ड सौदे, ईवी में बढ़ी रुचित्योहारी सीजन में जगी इजाफे की उम्मीद, डेवलपरों को धमाकेदार बिक्री की आसJLR हैकिंग से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को 2.55 अरब डॉलर का नुकसान, 5,000 से ज्यादा संगठन हुए प्रभावितको-वर्किंग में मिल रहे नए आयाम: डिजाइन, तकनीक और ब्रांडिंग से तैयार हो रहे क्षेत्र-विशिष्ट कार्यस्थलपश्चिम एशिया को खूब भा रही भारतीय चाय की चुस्की, रूस और अमेरिका से गिरावट की भरपाईछोटे उद्यमों के लिए बड़ी योजना बना रही सरकार, लागत घटाने और उत्पादकता बढ़ाने पर जोररूसी तेल खरीद घटाएगा भारत, व्यापार मुद्दों पर हुई चर्चा: ट्रंपपर्सिस्टेंट सिस्टम्स को बैंकिंग व बीएफएसआई से मिली मदद, 1 साल में शेयर 5.3% चढ़ासोने की कीमतों में मुनाफावसूली और मजबूत डॉलर के दबाव से गिरावट, चांदी और प्लेटिनम भी कमजोरआपूर्ति के जोखिम और अमेरिका-चीन वार्ता की उम्मीद से तेल के भाव उछले, 62 डॉलर प्रति बैरल के पार

‘अमेरिका-ब्रिटेन के बीच समझौता भारतीय कंपनियों के लिए मौका’

अमेरिका-ब्रिटेन एफटीए में भारत के वाहन निर्माताओं और ब्रिटेन में काम कर रहे अन्य उद्योगों के लिए व्यापक संभानाएं हैं।

Last Updated- May 09, 2025 | 10:59 PM IST
Strategy of Indian companies on FDI FDI पर भारतीय कंपनियों की रणनीति
प्रतीकात्मक तस्वीर

विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) दम्मू रवि ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन के बीच हाल में हुआ व्यापक व्यापार समझौता भारतीय उद्योग के लिए काफी आशाजनक है। भारतीय उद्योग इसे अमेरिकी बाजार में प्रवेश के लिए एक और लॉन्चिंग पैड के रूप में उपयोग कर सकता है।

पब्लिक अफेयर्स फोरम ऑफ इंडिया की सालाना आम बैठक में बोलते हुए रवि ने कहा कि यह अब तक के सबसे महत्त्वाकांक्षी मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) में से एक है। रवि ने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया और यूएई के साथ पहले के एफटीए में सीमित शुल्क ढांचा है, लेकिन इसमें लगभग 90 प्रतिशत कवरेज है।’

ब्रिटेन के बाजार का आकार छोटा है, वहीं अमेरिका-ब्रिटेन एफटीए में भारत के वाहन निर्माताओं और ब्रिटेन में काम कर रहे अन्य उद्योगों के लिए व्यापक संभानाएं हैं। इस समझौते से डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन के लिए एक साफ खाका मिलने की संभावना है, जो अन्य देशों के साथ समझौतों की लंबी सूची में काम आ सकता है।

उन्होंने कहा, ‘लेकिन भारत और अमेरिका के बीच मुक्त व्यापार समझौते में शुल्क समायोजन और नियमों को आसान बनाने से कहीं अधिक होगा। इसमें कराधान, मानकों सहित अन्य मुद्दे होंगे। हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि यह किस दिशा में जा रहा है।’रवि ने कहा कि सरकार पड़ोसियों के साथ व्यापार को बढ़ाने की आवश्यकता को समझती है, क्योंकि दक्षिण एशियाई देशों द्वारा किए जाने वाले वैश्विक व्यापार का केवल 5 प्रतिशत ही एक दूसरे के साथ होता है। रवि ने सुझाव दिया कि निर्माणाधीन औद्योगिक गलियारों को भारत की सीमाओं से आगे बढ़ाया जाना चाहिए और पड़ोसी देशों के उद्योग केंद्र भी शामिल किए जाने चाहिए, ताकि भारतीय विनिर्माण क्षेत्र उन स्थानों पर विस्तार कर सके।

First Published - May 9, 2025 | 10:43 PM IST

संबंधित पोस्ट