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Trump Tariff: तांबे पर 50% टैरिफ से अमेरिका को ज्यादा नुकसान, भारत पर क्या होगा असर?

भारत ने 2024-25 में अमेरिका को 36 करोड़ डॉलर के तांबे के उत्पाद निर्यात किए। इनमें प्लेट, ट्यूब और कुछ सेमीफिनिश्ड उत्पाद शामिल थे। अब ये वस्तुएं और महंगी हो जाएंगी।

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असित रंजन मिश्र   
Last Updated- July 31, 2025 | 10:48 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत 1 अगस्त से तांबे के आयात पर 50 प्रतिशत शुल्क लागू किया जाएगा। यह निर्णय 1962 के व्यापार विस्तार अधिनियम की धारा 232 के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं के आधार पर लिया गया है। इस निर्णय का मकसद विदेशी तांबे पर निर्भरता कम करना है। अमेरिका का दावा है कि विदेशी तांबा उसके कई क्षेत्रों जैसे रक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के लिए खतरा है।

भारत ने 2024-25 में अमेरिका को 36 करोड़ डॉलर के तांबे के उत्पाद निर्यात किए। इनमें प्लेट, ट्यूब और कुछ सेमीफिनिश्ड उत्पाद शामिल थे। अब ये वस्तुएं और महंगी हो जाएंगी। चूंकि शुल्क सभी देशों पर एक साथ लागू किया गया है और जापान और यूरोपीय संघ जैसे अमेरिकी साझेदार देश भी इसकी जद में हैं, इसलिए दुनिया भर के देशों पर एक जैसा असर होगी। इसका मतलब यह भी है कि भारत को अन्य देशों की तुलना में किसी खास नुकसान का सामना शायद नहीं करना पड़ेगा।

नई दिल्ली के थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव ने कहा, ‘इस नीति से उन देशों के बजाय अमेरिका के ही उद्योग जगत को ज्यादा नुकसान हो सकता है। बिजली से चलने वाले वाहनों, पॉवर ग्रिड, सेमीकंडक्टर और रक्षा क्षेत्र के इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए तांबा बुनियादी कच्चा माल है। कच्चे माल की लागत 50 फीसदी बढ़ी तो इन्हीं क्षेत्रों पर असर होगा, उत्पादन सुस्त होगा, दाम बढ़ेंगे और स्वच्छ ऊर्जा अपनाने की अमेरिकी कोशिशों को भी झटका लगेगा।’

धारा 232 की जांच एक औपचारिक प्रक्रिया है जिसके तहत अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय आम तौर पर एक सार्वजनिक नोटिस जारी करता है ताकि जनता, उद्योग जगत के लोग और अन्य पक्षकार टिप्पणियां कर सकें, सूचनाएं और सलाह दे सकें। वाणिज्य मंत्री जांच पूरी कर उसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति के सामने पेश करते हैं। यह काम 270 दिनों में करना होता है। रिपोर्ट में ये बताया जाता है कि उत्पाद राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा तो नहीं है। इसके बाद फैसला लेने के लिए राष्ट्रपति के पास 90 दिन होते हैं। वह आयात कोटा तय करने से लेकर कोई भी उपाय अपना सकते हैं। मगर अक्सर हालात देखकर समय सीमा कम कर दी जाती है।

ट्रंप अपने पहले कार्यकाल से ही राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर व्यापार विस्तार अधिनियम की धारा 232 के तहत उच्च क्षेत्रीय शुल्क लगाने का प्रयास करते रहे हैं। 2018 में ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे का हवाला देते हुए स्टील पर 25 प्रतिशत और एल्युमीनियम पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाया था। इस साल 4 जून से ट्रंप ने स्टील और एलुमिनियम पर आयात शुल्क बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया। ट्रंप ने वाहन पर 3 अप्रैल और वाहन कलपुर्जों पर 3 मई से 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया।

First Published : July 31, 2025 | 10:21 PM IST