भारतीय रिजर्व बैंक ने मोबाइल के जरिए होने वाले लेन-देन की रकम को दुगना कर दिया है।
मोबाइल के जरिए भुगतान करने वाली कंपनियों के लिए यह बेहद अच्छी खबर है। इससे मोबाइल बैंकिंग का भविष्य भी बेहतर नजर आ रहा है, खासतौर पर उन ग्रामीण इलाकों में जहां बैंकिंग के लिए जगह नहीं है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में मोबाइल के जरिए एक बार में केवल 2,500 रुपये निकालने की जो सीमा थी, उसे बढ़ाकर 5,000 रुपये कर दिया है। इसके अलावा पूरे एक दिन में मोबाइल के जरिए किसी चीज को खरीदने या किसी सेवा के लिए दी जाने वाली रकम की सीमा 5,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई है।
बड़े शहरों में तो लोग कार्ड आधारित या इंटरनेट के जरिए भुगतान करते हैं। ऐसे में मोबाइल बैंकिग के मद्देनजर कंपनियों के लिए ग्रामीण इलाके एक बेहतर विकल्प के तौर पर नजर आएंगे। गौरतलब है कि मोबाइल के जो नए ग्राहक बन रहे हैं उनमें से 30 फीसदी लोग ग्रामीण इलाके के हैं।
जिन कंपनियों की निगाह ग्रामीण इलाकों में है वे भी खुदरा कारोबार के लिहाज से मोबाइल बैंकिंग का जायजा ले रही हैं। एम चेक के सीईओ संजय स्वामी का कहना है, ‘एम चेक ने एक प्रयोग ‘ग्रामीण कूटा’ के साथ शुरू किया है जो गांवों में छोटे कर्ज देने वाला एक संस्थान है।
इस प्रायोगिक परियोजना को और विस्तार दिया जाएगा तथा अन्य माइक्रोफाइनेंस संस्थानों और गांवों में रहने वाले ग्राहकों के साथ काम करने वाले संस्थानों को भी इससे जोड़ा जाएगा। स्वामी का कहना है, ‘शहरी इलाकों के बजाय गांव के लोगों की दिलचस्पी इसमें ज्यादा होगी कि वे किसी खरीदारी या भुगतान को सीधे मोबाइल के जरिए करें।’
ऑक्सीजेन सर्विसेज इंडिया के चेयरमैन और एमडी प्रमोद सक्सेना का कहना है, ‘हम अपनी सेवाओं का 15 फीसदी छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में करेंगे।’ ऑक्सीजेन ने आईटीसी ईचौपाल, दृष्टि और ह्यूज के साथ गठजोड़ किया है। उसके एक महीने बाद ही इसने राजस्थान में ई मित्रा के साथ भी तालमेल बिठाया और अब हरियाली किसान बाजार के साथ मिलकर अपने इस तरह का काम करना चाहती है।
सक्सेना कहते हैं, ‘हमारी बातचीत माइक्रोसेव के साथ चल रही है ताकि हम माइक्रोफाइनेंस से संबंधित सेवाओं को मुहैया करा सकें। माइक्रोसेव दरअसल एक वित्तीय सेवाएं देने वाला कार्यक्रम है।’ इसके अलावा ऑक्सीजेन की बातचीत रेलवे के साथ भी जारी है ताकि बिना किसी आरक्षण वाले रोजाना के टिकटों की बुकिंग जैसी सेवाएं भी मुहैया कराई जा सके।
यह पॉयलट प्रोजेक्ट मुंबई के बाहरी इलाकों में काम करना शुरू कर देगा जब रेलवे से इसके लिए सहमति मिल जाएगी। लेकिन सभी कंपनियां मोबाइल बैंकिंग के लिए ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर रही हैं ऐसा भी नहीं है। पेमेट इंडिया के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक अजय आदिशेषन का कहना है, ‘ऐसी सेवाएं शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों में जाती हैं।
यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि सेवाएं कैसी हैं और उस बाजार के उपभोक्ताओं में ऐसी सेवाएं लेने की कितनी क्षमता है।’एटम टेक्नोलॉजी के निदेशक दिवांग नरेला का कहना है, ‘पहले तो हम लोगों को वित्तीय सेवाएं सुलभ कराने पर ध्यान दे रहे हैं क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी मोबाइल भुगतान में थोड़ा और वक्त लगेगा। ‘
मुंबई में ऐक्सिस बैंक के साथ मोबाइल पेमेंट के लिए एटम ने एक पॉयलट प्रोजेक्ट पर काम किया है। यह पॉयलट प्रोजेक्ट लगभग 30 कारोबारियों के साथ किया गया। इसके लिए मोबाइल से 1,500 क्रेडिट और डेबिट कार्ड को जोड़ा गया। नरेला का कहना है कि यह 95 फीसदी तक सफल रहा।