पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ रिश्तों में आई तल्ख़ी के बीच भारत सरकार ने देशभर के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 7 मई को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया है। यह घोषणा गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs – MHA) ने 2 मई को की थी। यह अभ्यास सिविल डिफेंस नियमावली, 1968 के तहत किया जा रहा है।
यह अभ्यास देश के 244 सिविल डिफेंस जिलों में आयोजित होगा। यह पहली बार है जब इतने बड़े पैमाने पर यह अभ्यास किया जा रहा है। पिछली बार इस तरह की तैयारी 1971 के युद्ध से पहले की गई थी, जब भारत और पाकिस्तान आमने-सामने थे। इस बार भी ये तैयारी संभावित आपात स्थिति से निपटने की कोशिश मानी जा रही है।
सिविल डिफेंस जिले क्या होते हैं?
सिविल डिफेंस जिले खास तौर पर चुने गए ऐसे ज़िले होते हैं जो किसी आपातकाल की स्थिति में प्रशासनिक और रक्षात्मक गतिविधियों का मुख्य केंद्र बनते हैं। इन जिलों की ज़िम्मेदारी होती है कि वे हवाई हमले की चेतावनी, ब्लैकआउट ड्रिल, और स्थानीय संसाधनों के प्रबंधन जैसी तैयारियों को व्यवस्थित तरीके से अंजाम दें। ये जिले आम नागरिकों और वालंटियर्स को प्रशिक्षित करते हैं और केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय में मदद करते हैं।
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इन जिलों का चयन रणनीतिक स्थिति और खतरे की संभावना को देखते हुए किया जाता है। भारत-पाक सीमा से सटे राज्य जैसे पंजाब, राजस्थान, गुजरात और जम्मू-कश्मीर के जिलों को प्राथमिकता दी जाती है। इसके अलावा बड़े शहर, सैन्य ठिकानों, बिजली संयंत्रों, तेल रिफाइनरियों, बंदरगाहों और संचार केंद्रों वाले इलाके भी इस सूची में शामिल किए जाते हैं।
कैसा होता है सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल?
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल एक ऐसा अभ्यास होता है जो किसी युद्ध या आपात स्थिति की कल्पना कर उसे वास्तविकता की तरह अंजाम देता है। इसमें हवाई हमले का सायरन बजाया जाता है, शहरों में बिजली बंद कर ब्लैकआउट किया जाता है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का अभ्यास कराया जाता है। इसका उद्देश्य है कि किसी भी आपदा की स्थिति में घबराहट और अव्यवस्था को रोका जा सके और लोगों में सजगता लाई जा सके।
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गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि इस अभ्यास में जिला प्रशासन, सिविल डिफेंस वार्डन, होम गार्ड्स, NCC, NSS, NYKS के सदस्य, छात्र, और स्थानीय प्रशासनिक एजेंसियां सक्रिय भागीदारी करें। इनकी जिम्मेदारी होगी कि वे फील्ड में जाकर अभ्यास को प्रभावी बनाएं और लोगों को जागरूक करें।
ड्रिल के बाद सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ केंद्र को भेजनी होगी, जिसमें यह बताया जाएगा कि अभ्यास में क्या किया गया, कहाँ कमियाँ रहीं, और क्या सुझाव हैं ताकि भविष्य में तैयारी और बेहतर की जा सके।
मॉक ड्रिल का मकसद क्या है?
गृह मंत्रालय के अनुसार इस अभ्यास का उद्देश्य है कि आम लोग, छात्र और अन्य नागरिक दुश्मन हमले के समय कैसे सुरक्षित रहें, इसकी ट्रेनिंग ले सकें। इसके साथ ही कंट्रोल रूम, हवाई हमले की चेतावनी प्रणाली, भारतीय वायुसेना के साथ संचार तंत्र, महत्वपूर्ण ठिकानों का छिपाव, ब्लैकआउट लागू करना, और रेस्क्यू व फायरफाइटिंग टीमों की तैनाती की भी जांच की जाएगी।