भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) अपनी आगामी मौद्रिक नीति बैठक में यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय कर सकती है। बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों के 10 अर्थशास्त्रियों के बीच बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में ज्यादातर ने यह अनुमान जताया है। एमपीसी की बैठक 29 सितंबर से होगी और उसके नतीजों की घोषणा 1 अक्टूबर को होगी।
एमपीसी ने जून में रीपो दर में 50 आधार अंक की कटौती के बाद अगस्त में उसे अपरिवर्तित रखा था। इसके पहले समिति ने लगातार 11 बैठकों तक रीपो को यथावत रखने के बाद फरवरी और अप्रैल में 25-25 आधार अंक की कटौती की थी। मई 2022 से फरवरी 2023 तक रीपो में 250 आधार अंक की वृद्धि के बाद दरों में कटौती की गई थी।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती के कारण चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही से लेकर वित्त वर्ष 2027 की दूसरी तिमाही तक समग्र खुदरा मुद्रास्फीति के पहले के अनुमान में 25 से 50 आधार अंक की कमी की जा सकती है। इससे वित्त वर्ष 2026 में औसत मुद्रास्फीति लगभग 2.6 फीसदी हो जाएगी। इसी तरह अक्टूबर-नवंबर 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति में और गिरावट आ सकती है।’
उन्होंने कहा, ‘जीएसटी कटौती से स्पष्ट रूप से मुद्रास्फीति में कमी आएगी। हालांकि यह नीतिगत बदलाव का नतीजा है और इसके साथ ही मजबूत मांग बढ़ने की संभावना है। इससे अक्टूबर की नीति समीक्षा में रीपो दर में बदलाव की उम्मीद नहीं है।’ स्टेट बैंक सहित सर्वेक्षण के प्रतिभागियों के एक वर्ग को उम्मीद है कि एमपीसी आगामी बैठक में नीतिगत दर में 25 आधार अंक की और कटौती करेगी।
अधिकतर अर्थशास्त्री मौजूदा दर कटौती चक्र के लिए टर्मिनल दर 5 से 5.25 फीसदी के बीच देखते हैं। ऐसे में कुछ प्रतिभागियों को दिसंबर में दर कटौती की आस है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘पहली तिमाही में मजबूत वृद्धि को देखते हुए आरबीआई अमेरिकी शुल्क और जीएसटी कटौती का वृद्धि पर प्रभाव का इंतजार करेगा। दिसंबर तक आरबीआई के पास उपभोक्ता मांग की तस्वीर ज्यादा साफ होगी। अगर भारत और अमेरिका के बीच व्यापार करार होता है तो शुल्क पर भी स्पष्टता आएगी।’
गुप्ता ने कहा, ‘अगर अमेरिका के साथ व्यापार करार होता है और भारत पर अमेरिकी शुल्क 25 फीसदी तक कम हो जाता है तो टर्मिनल दर 5.5 फीसदी हो सकता है। यदि कोई करार नहीं होता है तो टर्मिनल दर 5 फीसदी रह
सकता है।’
अधिकतर प्रतिभागियों को लगता है कि चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को कम किया जाएगा। मौजूदा आंकड़े दूसरी छमाही में नरम मुद्रास्फीति के रुझान की ओर इशारा कर रहे हैं। ऐसे में वित्त वर्ष 2026 में औसत मुद्रास्फीति जून में लगाए गए 3.7 फीसदी के अनुमान से कम हो सकती है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर 2.07 फीसदी हो गई जो जुलाई में 1.61 फीसदी थी। जीएसटी दरों में हालिया कटौती से चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति में 90 आधार अंक तक की और कमी आने की उम्मीद है।
ज्यादातर उत्तरदाताओं को उम्मीद है कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि दर अनुमान को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखेगा। हालांकि उन्होंने माना कि भारतीय वस्तुओं पर उच्च अमेरिकी शुल्क नकारात्मक जोखिम है मगर चल रही बातचीत से इस मुद्दे का समाधान हो सकता है।