लोकसभा ने बुधवार को केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित कर दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जोर दिया कि इस प्रस्ताव में तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क को बहाल किया गया है, जो वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बाद काफी कम हो गया था। उन्होंने कहा कि यह ‘न तो यह एक नया शुल्क है और न ही उपकर’।
उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि तंबाकू उत्पादों पर बहाल किया जा रहा उत्पाद शुल्क कर बंटवारे वाली श्रेणी में जाएगा, जिसमें से 41 प्रतिशत राजस्व का हस्तांतरण राज्यों को किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘उत्पाद शुल्क विभाज्य पूल का हिस्सा है, और संग्रह का 41 प्रतिशत राज्यों को जाएगा।’
विधेयक पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि केंद्र ने 2017 में तंबाकू और तंबाकू से संबंधित उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाने की अपनी शक्ति केवल जीएसटी के पहले 5 वर्षों के दौरान मुआवजा उपकर के संग्रह के लिए छोड़ दी थी। उन्होंने कहा, ‘वह अधिकार जीएसटी परिषद को दिया गया था ताकि जिन वस्तुओं पर 28 प्रतिशत कर लगाया गया है, उन पर मुआवजा उपकर एकत्र किया जा सके। वह उपकर 2017 से 2022 तक लिया गया और राज्यों को हस्तांतरित कर दिया गया।’
मंत्री ने कहा कि केंद्र ने 2017 में तंबाकू पर उत्पाद शुल्क लगाने की अपनी शक्ति छोड़ दी थी, लेकिन जीएसटी के बाद मामूली स्तर पर ही उत्पाद शुल्क जारी रहा। 2025 के विधेयक में प्रभावी रूप से जीएसटी से पहले तंबाकू पर लगने वाले उत्पाद शुल्क ढांचे को बहाल किया गया है, जिसे कम कर दिया गया था लेकिन समाप्त नहीं किया गया था।
मौजूदा दौर में तंबाकू उत्पादों पर व्यापक दौर पर प्रति 1,000 सिगरेट 200 रुपये से 725 रुपये, प्रति 1,000 बीड़़ी पर 1 से 2 रुपये, गैर विनिर्मित तंबाकू पर 64 प्रतिशत, और चबाने वाले तंबाकू, स्नफ और जर्दा पर 20 से 100 प्रतिशत कर लगता है। 2025 के विधेयक में इसमें तेज बढ़ोतरी की गई है। सिगरेट पर शुल्क जीएसटी के पहले के स्तर पर ला दिया गया है। प्रति 1,000 सिगरेट पर 2,700 से 11,000 रुपये, गैर विनिर्मित तंबाकू पर 70 प्रतिशत और स्मोकिंग मिश्रण पर 325 प्रतिशत तक कर लगाया गया है। साथ ही चबाने वाले व अन्य तंबाकू श्रेणी पर भी कर में तेज वृद्धि की गई है।
मुआवजा उपकर कानूनी तौर पर 2022 में समाप्त हो गया था, लेकिन कानूनी राय लेने के बाद जीएसटी परिषद ने इसे जारी रखने का फैसला किया क्योंकि कोविड के दौरान कर में गिरावट आईथी और राज्यों को पूरी तरह से मुआवजा नहीं मिल रहा था। इसे मार्च 2026 तक के लिए बढ़ाया गया था। उन्होंने कहा, ‘मुआवजा उपकर की अवधि खत्म होने के केंद्र ने जिसे छोड़ा था, स्वाभाविक रूप से उसके पास वापस आ रहा है।यह कोई नया कानून नहीं है, कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं है, और न ही ऐसा कुछ है जिसे केंद्र वापस ले रहा है।’