भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि वर्ष 2023-24 से भूराजनीतिक व भू आर्थिक दायरा बढ़ने के कारण भारत को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल करने के लिए प्रदर्शन बेहतर करने की जरूरत है।
उनके अनुसार भारत विकासशील देश है और भारत को निरंतर उच्च इनपुट की जरूरत होगी। नागेश्वरन ने बताया, ‘दायरे की प्रकृत्ति बदल गई है। यह कहीं अधिक मुश्किल दायरा (2014 से 23 की तुलना में) हो गया है। लिहाजा हमें एफडीआई को आकर्षित करने, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला कंपनियों को यहां आने के लिए आमंत्रित करने के संबंध में अपनी रणनीति को बेहतर बनाने की आवश्यकता है।’
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने सीआईआई की संगोष्ठी ‘मेकिंग इंडिया ग्लोबल फॉरेन इन्वेस्टमेंट मैग्नेट’ में बताया कि वित्त वर्ष 26 में सकल एफडीआई की आवक संभवत: 100 अरब डॉलर को पार कर सकती है और भारत के लिए एफडीआई आकर्षित करने के लिए प्रयासों को तेज करने की जरूरत है।
उन्होंने कर और गैर-कर, नियामक मामलों, बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी के मुद्दों और एकल खिड़की आयामों से संबंधित मुद्दों के समाधान का भी आह्वान किया। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में सकल एफडीआई प्रवाह सालाना आधार पर 16.1 प्रतिशत बढ़कर 50.36 अरब डॉलर हो गया। एफडीआई की आवक व एफडीआई के देश से बाहर जाने का अंतर शुद्ध एफडीआई है।
वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में शुद्ध एफडीआई 7.64 अरब डॉलर रहा। कम शुद्ध एफडीआई प्रवाह का कारण पिछले तीन वर्षों में विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने ब्याज दरों में ‘अचानक वृद्धि’ है। भारतीय संस्थाओं से विकसित अर्थव्यवस्थाओं में निर्यात निवेश बढ़ गया है।