वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के दौरे पर आयी आयोग की टीम के सामने करों में हिस्सेदारी के कई मानदंडों में संशोधन की मांग की गयी है। पनगढ़िया ने कहा कि 28 राज्यों में से 22 ने केंद्रीय करों में हिस्सेदारी को 41 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर चर्चा कर विचार होगा और राज्यों की हिस्सेदारी में कुछ और इजाफा हो सकता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बुधवार को हुई बैठक के बाद वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा राज्य सरकार की मांगों को लेकर आयोग को मांग पत्र सौंपा गया हैं। जिसमें केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी को 41 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करने की मांग की गई है। साथ ही उत्तर प्रदेश ने विशेष विकास योजनाओं के लिए स्पेशल फंड (डीडीए) दिए जाने की मांग भी उठाई है।
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वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि बैठक के दौरान प्रदेश सरकार ने विकास और सुधार के लिए उठाए जा रहे कदमों का ब्यौरा पेश किया। उत्तर प्रदेश की प्रमुख मांगों के विषय में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने करों में हिस्सेदारी के कई मानदंडों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। इसमें भौगोलिक क्षेत्रफल 15 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी, जनसंख्यकीय प्रदर्शन 12.5 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी, वन कवरेज 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी और कर संग्रहण प्रयास 2.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी किए जाने का प्रस्ताव आयोग को दिया गया है।
वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि क्षैतिज वितरण के संदर्भ में 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों में जनसंख्या 15 फीसदी, क्षेत्रफल 15 फीसदी, वन 10 फीसदी, कर संग्रहण प्रयास 2.5 फीसदी और जनसांख्यिकीय प्रदर्शन 12.5 फीसदी थी। उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग में सबसे अधिक 45 फीसदी इनकम डिस्टेंस क्राइटेरिया को दिया गया था।
प्रदेश के कर राजस्व पर संतोष जताते हुए वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि यहां का कर संग्रह जीएसडीपी के अनुपात में है, जो देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का राजकोषीय घाटा सामान्य सीमा के भीतर है, इसका ऋण-से-जीडीपी अनुपात भी प्रबंधनीय स्तरों के भीतर है। वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि पिछले वित्त आयोग ने राज्यों को 41 फीसदी और केंद्र सरकार को 59 फीसदी हस्तांतरित किया था। यह कर राजस्व का वर्तमान विभाजन है।