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भारत में कम हो रहा दक्षिण बनाम वाम पंथ का अंतर, दुनियाभर में दोनों राजनीतिक विचारधाराएं क्यों ले रही करवट?

2010 से 2020 के बीच, भारत में पुरुष और महिलाओं के बीच वामपंथी दलों को वोट करने को लेकर 1.8 फीसदी का अंतर मिला, जबकि, 1990 में यह अंतर 3 फीसदी था।

Last Updated- March 08, 2024 | 4:09 PM IST
Gender to education and income: India's political gap is narrowing भारत में कम हो रहा दक्षिण बनाम वाम पंथ का अंतर, दुनियाभर में दोनों राजनीतिक विचारधाराएं क्यों ले रही करवट?

भारत सहित पूरी दुनिया में अब राजनीतिक विचारधारा करवट लेने लगी है। साल 1996 में, अमेरिका के लोगों के लिए राजनीति विचारधारा काफी मायने रखती थी। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग और शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों ने दो राजनीतिक प्रतिद्वंदी पार्टियों रिपब्लिकन्स (Republicans ) और डेमोक्रेट्स (Democrats) को करीब-करीब बराबर वोट दिया। यानी उस दौर में इन लोगों के लिए क्षेत्रीयता से बड़ा विषय राजनीतिक विचारधारा थी। जबकि, अब देखा जाए तो ग्रामीण और शहरी अमेरिका दो भागों में बंट गया है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोग Republicans को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं तो वहीं शहरी इलाके के लोग Democrats को।

भारत में दक्षिणपंथ बनाम वामपंथ की स्थिति

भारत की अगर बात की जाए तो दक्षिण बनाम वाम की राजनीति दूसरी तरह से काम करती है। यहां पर विचारधाराओं के बजाय क्षेत्रीयता, लिंग, शिक्षा, एजूकेशन और आय को ज्यादा महत्व दिया जाता है। और इस आधार पर दक्षिणपंथ और वामपंथ के बीच का अंतर भी कम हो रहा है।

यह एनॉलिसिस World Political Cleavages and Inequality Database (WPID) के आंकड़ों पर आधारित है, जो 40 से ज्यादा देशों में चल रही राजनीतिक व्यवस्था का सर्वे करती है। WPID के एनॉलिसिस में अलग-अलग कैटेगरीज के मतदाताओं के बीच वाम दलों के समर्थन की जांच की गई। विश्लेषण में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और भारत सहित कई अन्य उभरते बाजारों के लेटेस्ट उपलब्ध आंकड़ों को शामिल किया गया है।

महिलाओं के बीच भी कम हो रहा वामपंथ का झुकाव

बड़े देशों में महिलाओं के बीच वामपंथ को लेकर ज्यादा सपोर्ट देखने को मिला। 2010 से 2020 के बीच, भारत में पुरुष और महिलाओं के बीच वामपंथी दलों को वोट करने को लेकर 1.8 फीसदी का अंतर मिला, जबकि, 1990 में यह अंतर 3 फीसदी था। इंटरनेशनल लेवल पर तुलना करने के लिए भारत को लेकर जो सबसे लेटेस्ट डेटा उपलब्ध है, वह साल 2014 का है।

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में, 2010-20 में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में वामपंथ के लिए मतदान 5.4 प्रतिशत अंक ज्यादा था। इसी अवधि के दौरान यूनाइटेड किंगडम (UK) में अंतर 3.2 प्रतिशत अंक और फ्रांस में 1.2 प्रतिशत अंक था। जैसा कि चार्ट में देखा गया है, जापान में पुरुषों के बीच वामपंथियों का समर्थन ज्यादा था।

2010 और 2020 के बीच, वाम दलों को चुनावों में सबसे अमीर 10 प्रतिशत भारतीयों से ज्यादा समर्थन मिला। अमीरों और निम्न आय वर्ग के लोगों के अंतराल का डेटा देखा जाए तो 90 प्रतिशत भारतीयों के बीच का अंतर 5.8 प्रतिशत अंक था। पहले यह स्थिति अलग थी, 1990 के दशक का डेटा उपलब्ध नहीं है लेकिन 2000-09 में अंतर निगेटिव में, -6.5 प्रतिशत अंक था।

शिक्षा के स्तर पर क्या है दक्षिण बनाम वाम की राजनीति?

शिक्षा के स्तर पर देखा जाए तो, 2010 और 2020 के बीच निचले 90 प्रतिशत कम पढ़े लिखे भारतीयों ने टॉप के ज्यादा पढ़े-लिखे 10 प्रतिशत के मुकाबले वामपंथियों को ज्यादा वोट दिया। यह डेटाबेस के सैंपल में दो-तिहाई देशों के लिए सच है। भारत में दो (टॉप और बॉटम) शिक्षा समूहों (education groups) के बीच का अंतर 2010-20 में निगेटिव में, -4.8 प्रतिशत अंक तक कम हो गया, जो 1990 के दशक में -11.6 प्रतिशत था।


ग्रामीण भारत में, वामपंथी दलों को वोट देने वाले लोगों की हिस्सेदारी 2010-20 में शहरी क्षेत्रों के मुकाबले 3.1 प्रतिशत अंक ज्यादा थी। अब बढ़त कम हो गई है और 2019 की स्टडी में ग्रामीण मतदाताओं के बीच दक्षिणपंथ को लेकर झुकाव देखा गया है। 1990 के दशक में वामपंथियों के लिए ग्रामीण समर्थन शहरी इलाकों के मुकाबले 10.8 प्रतिशत अंक ज्यादा था।

भारत के दक्षिणपंथी झुकाव की क्या है वजह?

देश की राजनीति में दक्षिणपंथी बदलाव महिलाओं और कम पढ़े-लिखे लोगों के बीच ज्यादा है। विभाजनों के अंतराल का कम होना पार्टियों द्वारा कल्याणकारी कार्यक्रमों को अपनाने की ओर संकेत करता है, जिनमें दक्षिणपंथ की ओर झुकाव रखने वाली पार्टियां भी शामिल हैं। कहा जाता है कि 2019 में भाजपा के लिए समर्थन गरीबों और अमीरों तक बढ़ा है जिसमें थोड़ा ही सही मगर विभिन्न लाभ योजनाओं का योगदान शामिल है।

First Published - March 8, 2024 | 4:09 PM IST

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