Chandrayaan-3: देश की स्टार्टअप कंपनियों की नजरें अब चांद पर टिक गई हैं। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद स्टार्टअप क्षेत्र महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य तय करने में जुट गया है। स्टार्टअप इकाइयां चांद पर पहुंचने से जुड़े अभियान से लेकर वैश्विक तकनीक साझेदारी और पूंजी के नए अवसर खुलने से काफी उत्साहित हैं।
अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ी स्टार्टअप कंपनियां स्काईरूट, पिक्सल और अग्निकुल कॉस्मॉस एवं ग्रोएक्स वेंचर्स जैसे निवेशक स्टार्टअप खंड पर दांव लगा रही हैं। इन इकाइयों के नवाचारों के बूते स्टार्टअप खंड ऊंचाइयां छूना चाहता है।
चांद तक पेलोड (वजन) ले जाने के लिए चेन्नई स्थित सैटेलाइट डिजाइन एवं लॉन्च कंपनी स्पेस किड्ज इंडिया (एसकेआई) स्पेस रिक्शॉ नाम की एक परियोजना पर काम कर रही है।
कंपनी ने फरवरी में आजादीसैट-2.0 नाम से एक सैटेलाइट की शुरुआत की थी। यह सैटेलाइट ग्रामीण क्षेत्र की 750 छात्राओं ने विकसित किया था। एसकेआई के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी श्रीमती केसन ने कहा, ‘हमारे चंद्र अभियान में छात्राएं भी हिस्सा लेंगी।
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इनस्पेस के अनुसार भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र पर काम करने वाली 146 स्टार्टअप कंपनियां हैं, जिनकी संख्या 2020 में 21 थी। इनस्पेस एक स्वायत्त संस्ता है जो निजी क्षेत्र और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच कड़ी की तरह काम करती है। उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम कम लागत वाला है जिसे देखते हुए दुनिया के कई बड़े निवेशक भारत में निवेश के लिए आकर्षित होंगे।
स्काईरूट एरोस्परेस के सह-संस्थापक पवन कुमार चांदना कहते हैं, ‘चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में काफी निवेश आएंगे। भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर काम करने वाली इकाइयां इसमें काफी दिलचस्पी लेंगी। अगले 20 वर्षों में भारत में चंद्र अभियान को लेकर एक मजबूत व्यवस्था विकसित हो जाएगी।’ स्काईरूट एयरोस्पेस ने विक्रम-एस विकसित किया है। विक्रम-एस निजी स्तर पर विकसित किया गया पहला रॉकेट है जिसका प्रक्षेपण इस साल के शुरू में किया गया था।
स्टार्टअप इकाइयों को इसरो के अभियानों से लाभ मिलने की उम्मीद है। इसरो की पहल के बाद स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) निजी क्षेत्र के लिए भी उपलब्ध हो गया है। स्टार्टअप कंपनियों के अनुसार तकनीक हस्तांतरण से अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी इकाइयों के साथ साझेदारी बढ़ सकती है।
बेंगलूरु स्थित पिक्सल के संस्थापक एवं सीईओ अवैस अहमद कहते हैं, ‘चंद्रयान-3 की सफलता अंतरिक्ष में खोज करने में हमारी क्षमताओं का जीता-जागता उदाहरण बन चुकी है। इससे उत्साहित होकर अंतरिक्ष तकनीक में स्टार्टअप कंपनियों की रुचि काफी बढ़ जाएगी। वे उच्च प्रणोदन प्रणाली से लेकर उपग्रह तारामंडल सहित अन्य खंडों में पहले से अधिक सक्रिय हो जाएंगी।’
जून 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खोल दिया गया था और तब से 25.8 करोड़ डॉलर निवेश किए जा चुके हैं।
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ग्रोएक्स वेंचर्स और मेराक वेंचर्स में पार्टनर शीतल बहल कहती हैं, ‘चंद्रयान-3 की सफलता वाकई एक ऐतिहासिक क्षण है और इसके साथ ही यह अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारी अद्भुत क्षमताओं का भी झंडा लहरा रहा है। 2019 के शुरू में हमने भारत की स्पेसटेक में ग्रोएक्स वेंचर्स के जरिये निवेश किया था।’ मेराक वेंचर्स एक वेंचर कैपिटल कंपनी है जिसने पिक्सल एवं बेलाट्रिक्स में निवेश किया है। अग्निकुल, स्काईरूट, ध्रुव और पिक्सल अंतरिक्ष क्षेत्र की उन कंपनियों में शामिल हैं जिनमें विदेशी इकाइयों से निवेश आए हैं।
गैलेक्सी के सह-संस्थापक एवं सीईओ सुयश सिंह कहते हैं, ‘चंद्रयान-3 की सफलता से स्टार्टअप इकाइयों को काफी लाभ मिल सकते हैं। इससे अंतरिक्ष तकनीक बेहतर एवं सस्ती हो सकती है। चांद स्टार्टअप कंपनियों के लिए निकट भविष्य का लक्ष्य भले न हो, मगर इसरो की तकनीक से दूसरे प्रयासों को जरूर मदद पहुंचाएगी। चंद्रयान-3 की सफलता से अंतरिक्ष क्षेत्र में गतिविधियां काफी बढ़ सकती हैं और नई प्रतिभाएं सामने आ सकती हैं जिनसे देश का अंतरिक्ष क्षेत्र और मजबूत होगा।’