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चंद्रयान 3 से चांद को चूम भारत ने रचा इतिहास, 615 करोड़ रुपये खर्च कर ISRO ने कायम कर दी मिसाल

ISRO ने Chandrayaan-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग पूरा करने में मदद के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA, ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी और ब्रिटेन को भी धन्यवाद दिया

Last Updated- August 23, 2023 | 9:42 PM IST
India created history by kissing the moon with Chandrayaan 3, ISRO set an example by spending just Rs 615 crore
PTI

और भारत चांद पर पहुंच ही गया। चंद्रमा पर अपना चंद्रयान उतारते ही आज भारत उसकी सतह पर यान की सॉफ्ट लैंडिंग (बेहद धीमी और सधी रफ्तार से उतरना) कराने वाला चौधा देश बन गया। चंद्रयान 3 अभियान के तहत यान उतरने से पहले करीब 1,105 सेकंड्स (18 मिनट) तक 140 करोड़ भारतीयों के दिलों की धड़कनें तेज ही रहीं।

चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल (LM) ने जैसे ही चंद्रमा की सतह को छुआ, बेंगलूरु में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क का मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। वहां मौजूद लोग पूरे शान और गर्व से तिरंगा लहराते नजर आए। चार चरणों में लगभग 18 मिनट तक चली लैंडिंग प्रक्रिया के अंतिम चरण में तनाव से भरे क्षण गुजरने के बाद कुछ वैज्ञानिक तालियां बजा रहे थे और बाकी की आांखों में खुशी के आंसू थे। इस ऐतिहासिक पल पर कुछ वैज्ञानिक प्रार्थना करते भी नजर आए।

इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने घोषणा की, ‘हमने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता हासिल कर ली है, भारत चांद पर है।’ इसके साथ ही इसरो मुख्यालय की मीडिया दीर्घा और समूचा परिसर ‘भारत माता की जय’ के उद्घोष से गुंजायमान हो गया। भारत चांद की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश है और उसने महज 615 करोड़ रुपये खर्च कर यह उपलब्धि हासिल की है।

लैंडिंग के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसरो टीम के साथ ऑनलाइन जुड़ गए, जिससे वहां मौजूद लोगों में और भी जोश भर गया। प्रधानमंत्री ब्रिक्स ​शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए हैं। वहां जोहानिसबर्ग से मोदी ने कहा, ‘जब हम ऐसे ऐतिहासिक क्षण देखते हैं तो हमें बहुत गर्व होता है। यह नए भारत का सूर्योदय है।’

उन्होंने काव्यात्मक अंदाज में कहा, ‘कभी कहा जाता था चंदा मामा बहुत दूर के हैं…अब एक दिन वह भी आएगा जब बच्चे कहेंगे चंदा मामा बस एक टूर के हैं।’ उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने तिरंगे को और बुलंदियों पर लहराया है।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अंतरिक्ष की भावी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने कई बड़े और महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं। उन्होंने कहा कि चंद्रयान महाअभियान की यह उपलब्धि भारत की उड़ान को चंद्रमा की कक्षाओं से आगे ले जाएगी। सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए इसरो जल्द ही ‘आदित्य एल-1’ मिशन शुरू करने जा रहा है। इसके बाद मंगल मिशन और महत्त्वाकांक्षी गगनयान मिशन के जरिये देश अपने मानव को अंतरिक्ष में पहुंचाने के अपने पहले मिशन के लिए भी पूरी तैयारी कर रहा है।

मोदी ने चंद्रयान 3 की सफलता को मानवता की सफलता करार दिया। उन्होंने कहा, ‘हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया। भारत अब चांद पर है।’

मीडिया दीर्घा में जबरदस्त उत्साह दिख रहा था और जब मिशन से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिक मीडिया को संबोधित करने आए तो पत्रकारों ने काफी उत्साह के साथ खड़े होकर उनका स्वागत किया।

सोमनाथ ने कहा, ‘यह भारत के लिए सुनहरे दौर की शुरुआत है। हम अगले ही महीने सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य L1 मिशन को भेज रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि गगनयान का शुरुआती मानवरहित परीक्षण सितंबर के अंत तक या अक्टूबर के पहले सप्ताह में होने की संभावना है। इसके अलावा देश PSLV और SSLV प्रक्षेपण के एक नए चरण पर भी विचार कर रहा है।

इसरो ने इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने में मदद के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी और ब्रिटेन को भी धन्यवाद दिया।

इस परियोजना से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिकों में परियोजना निदेशक पी. वीरमुत्तुवेल, सहायक परियोजना निदेशक के. कल्पना, यूआर राव उपग्रह केंद्र (URSC) के निदेशक एम. शंकरन और मिशन निदेशक मोहन कुमार शामिल हैं।

ISRO के पीन्या कार्यालय के परिसर से पत्रकारों के बाहर निकलते समय ‘भारत माता की जय’ की गूंज सुनाई दे रही थी। URSC के शंकरन ने अपने वैज्ञानिकों के बारे में कहा, ‘हम चंद्रयान-3 में ही रह रहे थे, सो रहे थे, खा रहे थे और सांस ले रहे थे।’

इसरो मुख्यालय के बाहर जबरदस्त उत्साह और उत्सव जैसा माहौल था, जिसने साबित कर दिया कि अब आने वाले दिनों में पूरा देश चंद्रयान के साथ जीने, सोने, खाने और सांस लेने वाला है।

First Published - August 23, 2023 | 9:42 PM IST

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