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बिजली के स्मार्ट मीटर से आ रहा ‘स्मार्ट’ परिवर्तन

स्मार्ट मीटर की स्थापना से बिजली चोरी में कमी, बिलिंग दक्षता में सुधार, और डिस्कॉम के परिचालन घाटे में कमी देखने को मिली है।

Last Updated- June 17, 2024 | 11:45 PM IST
बिजली के स्मार्ट मीटर से आ रहा 'स्मार्ट' परिवर्तन, How smart meters are powering change for companies, consumers in country

भारत में बिजली वितरण का कारोबार हमेशा से आपूर्ति किल्लत और घाटे के लिए बदनाम रहा है। कई वित्तीय योजनाओं के बावजूद सरकारी स्वामित्व वाली बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) संकटग्रस्त हैं। हालिया वर्षों में डिस्कॉम को और कुशल बनाने के लिए एक नया नजरिया अपनाया गया है और इसका एक हिस्सा दो किलोग्राम वाले एक बॉक्स से संचालित होता है जिसे स्मार्ट मीटर कहा जाता है।

साल 2021 में 3 लाख करोड़ रुपये की लागत से शुरू की गई संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) का लक्ष्य डिस्कॉम के संचालन और वित्तीय स्थिति में सुधार करना था। पहले चरण में आरडीएसएस का एक बड़ा काम स्मार्ट मीटर लगाना था। इसके लिए केंद्र सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये जारी किए।

इसका लक्ष्य साल 2025 तक 25 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने का है। अदाणी पावर, एलऐंडटी, टाटा पावर और जीएमआर जैसी दिग्गज कंपनियों ने मीटर लगाने में अपनी रुचि दिखाई। सिक्योर मीटर्स, एलऐंडटी, एचपीएल और जीनस जैसी विनिर्माण कंपनियों को मांग में तेजी की उम्मीद है।

स्मार्ट मीटर मांग और वोल्टेज की जानकारी देते हुए बिजली आपूर्तिकर्ता और उपयोगकर्ता को जोड़ता है। यह डिस्कॉम की बिजली के उपयोग और खराबी को लेकर वास्तविक समय पर डेटा इकट्ठा करने में मदद करता है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर के उपभोक्ता मोबाइल फोन की तरह ही बिजली के उपयोग से पहले मीटर रिचार्ज करते हैं।

स्मार्ट मीटर से बिजली का दुरुपयोग रोकने और कुशल बिल तैयार करने में मदद मिलती है। इससे डिस्कॉम के कुल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीऐंडसी) घाटे को भी कम किया जाता है। ‘प्रीपेड’ से डिस्कॉम के लिए आमदनी पहले हो जाती है, जो उनके मांग पक्ष प्रबंधन (डीएसएम) में सुधार के लिए भी जरूरी है।

आपूर्ति के मोर्चे पर डिस्कॉम बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अधिशेष बिजली सुरक्षित रखती है और मांग खत्म होने पर स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के मसलों के पूर्वानुमान, प्रबंधन और समाधान करके डीएसएम में डिस्कॉम की सहायता करते हैं।

मार्च में जारी केयर एज की रिपोर्ट के मुताबिक, कुल आधार पर डिस्कॉम का एटीऐंडसी घाटा वित्त वर्ष 2020 के 20.73 फीसदी से कम होकर वित्त वर्ष 2023 में 15.4 फीसदी हो गया। रिपोर्ट में कहा गया, ‘यह मुख्य तौर पर संग्रहण में सुधार के कारण हो सका। केयर एज रेटिंग्स को उम्मीद है कि मीटर लगाने की संख्या बढ़ने के कारण बिलिंग दक्षता में धीरे-धीरे सुधार होगा।’

स्मार्ट मीटर लगाने के लिए पहला ठेका वित्त वर्ष 2022 में दिया गया था और उत्तर प्रदेश और हरियाणा में इसकी शुरुआत हुई थी। नैशनल स्मार्ट ग्रिड मिशन के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में सर्वाधिक 31 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं। मगर बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (बीएसपीएचसीएल) के अधिकारियों ने इसकी संख्या 36 लाख बताई है और उनका लक्ष्य 1.7 करोड़ मीटर लगाने का है।

बिहार के प्रयासों से मदद मिली है। बीएसपीएचसीएल के अधिकारियों ने कहा कि डिस्कॉम की बिलिंग दक्षता वित्त वर्ष 2021 के 75.68 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 83.11 फीसदी हो गई है। एटीऐंडसी घाटा भी वित्त वर्ष 2022 के 29.77 फीसदी से कम होकर वित्त वर्ष 2024 में 21.74 फीसदी हो गया। वित्त वर्ष 2024 में 15,108 करोड़ रुपये का राजस्व आया, जो एक साल पहले के मुकाबले 13.09 फीसदी अधिक था। बिहार में दो बिजली वितरण कंपनियां हैं। उत्तर और दक्षिण बिहार, दोनों सरकार के पास हैं।

बिहार सरकार के ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव और बीएसपीएचसीएल के प्रबंध निदेशक संजीव हंस ने कहा, ‘स्मार्ट मीटर लगने से बिजली चोरी की घटनाओं में भी कमी आई है। स्मार्ट मीटर बिजली की खपत पर सटीक और वास्तविक समय में डेटा देता है। इससे मैन्युअल मीटर रीडिंग से जुड़ी खामियां कम हो जाती हैं।

मीटर रीडिंग और बिलिंग प्रक्रिया स्वचालित होने से परिचालन लागत में भी कमी आई है। इसके अलावा डिस्कॉम के अधिकारी अब रखरखाव और ग्राहक सेवा पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।’

संजीव हंस ने कहा, ‘वास्तविक समय में डेटा देकर ये स्मार्ट मीटर उपभोग की स्थिति को समझने में मदद करते हैं। ग्राहक भी स्मार्ट मीटर इंटरफेस के जरिये अपनी बिजली के उपयोग के बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं। इससे जागरूकता बढ़ेगी और अधिक ऊर्जा कुशल व्यवहार बढ़ेगा। जिन क्षेत्रों में स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं वहां ऊर्जा की खपत में कमी आई है।’

डिजिटल वितरण

स्मार्ट मीटरिंग और डिजिटल समाधान प्रदाता कंपनी इंटेलीस्मार्ट के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी अनिल रावल ने कहा कि बिजली वितरण को डिजिटल बनाने में स्मार्ट मीटर पहला चरण है। इंटेलीस्मार्ट सरकार के स्वामित्व वाली ईईएसएल और एनआईआईएफ का एक संयुक्त उद्यम है और राज्यों के स्मार्ट मीटर निविदाओं में भागीदार है।

देश भर में 25 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने के लिए अनुमानित खर्च 1.1 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें 76 हजार करोड़ रुपये का ऋण भी शामिल है। डिस्कॉम को घाटे में कमी और बिलिंग के तौर पर इसका रिटर्न मिलेगा।

First Published - June 17, 2024 | 11:25 PM IST

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