मवेशियों के घातक त्वचा रोग लम्पी ने फिर सिर उठाना शुरू कर दिया है। देश में 18 मई तक लम्पी से ग्रसित मवेशियों की संख्या 10,413 थी। लम्पी रोग का सबसे ज्यादा असर उत्तराखंड, महाराष्ट्र और कर्नाटक झेल रहे हैं। लम्पी रोग के कारण देश में पहले भी मवेशियों की संख्या पर प्रतिकूल असर पड़ चुका है।
वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जनवरी, 2023 के बाद से देश के आठ राज्यों में इस रोग की जानकारी मिली। यह रोग बीते कुछ हफ्तों के दौरान तेजी से फैला।
देश में 18 मई तक लम्पी से 10,413 मवेशी ग्रसित थे जिनमें जनवरी के बाद से अब तक उत्तराखंड में 2245, महाराष्ट्र में 3450 और कर्नाटक में 3960 मामले उजागर हुए थे। हालांकि रोग लम्पी के अन्य मामले सिक्किम, मेघालय, हिमाचल प्रदेश और पंजाब से थे।
मवेशियों को जनवरी, 2023 के बाद से शुरू हुए दूसरे दौर में 18.7 टीके लगाए गए। इनमें ज्यादातर टीका ‘गोट पॉक्स वैक्सीन’ लगाया गया था। यह टीका त्वचा के रोग लम्पी के खिलाफ 60-70 प्रतिशत असरकारक रहा है। पशुपालन विभाग के अधिकारी ने बताया कि देश में लम्पी के लिए विशेष तौर पर विकसित टीके को अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है व इसके वाणिज्यिक उत्पादन में छह से आठ महीने और लगेंगे।
उत्तराखंड में लम्पी से ग्रसित मवेशियों की संख्या में 18 मई के बाद तेजी आई है। दूसरे चक्र में करीब 58 फीसदी मवेशियों को टीका लगा दिया गया है और राज्य सरकार को 3,59,928 टीके मुहैया करवाए गए हैं। इस बार में जानकारी देने वाले अधिकारी ने बताया, ‘ऊधम सिंह नगर के कुछ जिलों में 100 फीसदी मवेशियों को टीका लगा दिया गया है जबकि रुद्रप्रयाग में 75 फीसदी मवेशियों को टीका लगा दिया गया है।’
अधिकारी ने बताया, ‘वेक्टर जनित रोग होने के कारण गर्मी के साथ ही लम्पी के मामले बढ़ने शुरू हो गए हैं और यह रोग मॉनसून और उसके फौरन बाद शीर्ष पर पहुंच जाता है।’
देश में बीते साल भी लम्पी ने दस्तक दी थी। बीते साल हुई मवेशियों की मौत व नुकसान को रोकने के लिए केंद्र ने मार्च में राज्यों को टीकाकरण अभियान जल्दी से पूरा करने का निर्देश दिया था। इसके अलावा उपचारात्मक कदम जैसे ज्यादा जोखिम वाले इलाकों में वेक्टर प्रबंधन, मवेशियों की साफ-सफाई व स्वच्छता का निर्देश दिया था।
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केंद्र ने परामर्श में कहा, ‘अभी तक त्वचा रोग लम्पी का 100 फीसदी या स्थायी निदान ज्ञान नहीं है। टीकाकरण कर इस रोग को रोकने का प्रभावी तरीका का है। लिहाजा राज्यों और केंद्रद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी जाती है कि वे इस रोग के प्रति संवेदनशील व योग्य मवेशी आबादी के लिए तत्काल सालाना निवारक टीकाकरण अभियान की तैयारी शुरू करें।’
इसमें कहा गया कि जैव सुरक्षा व साफ-सफाई के इंतजामों सहित टीकाकरण के लिए पंचायत, नगर निकायों और स्थानीय प्रशासन के साथ समुचित तालमेल स्थापित किया जाए। जरूरत पड़ने पर मवेशियों की आवाजाही को भी नियंत्रित किया जाए।
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लम्पी मवेशियों में होने वाला वायरस संक्रमण है। इससे संक्रमित पशु को बुखार आता है, त्वचा पर गांठें पड़ जाती हैं और इससे मवेशी की मौत भी हो जाती है। देश में लम्पी का पहला मामला 2019 में ओड़ीशा में उजागर हुआ था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीते साल देश में 33.5 लाख मवेशी त्वचा रोग लम्पी से ग्रसित हुए थे। इनमें से 1.98 लाख मवेशियों की मौत हो गई थी जबकि करीब 31.5 लाख मवेशी इस रोग से उबर पाए थे।