सरकार ने पैसों से खेले जाने वाले सभी प्रकार के ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगाने के लिए विधेयक का मसौदा तैयार किया है और जल्द ही इसे संसद में पेश किए जाने की संभावना है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार विधेयक के मसौदे में ‘पैसों वाले ऑनलाइन गेम (आरएमजी) की पेशकश करने, उसे खेलने के लिए उकसाने या प्रेरित करने’ पर रोक लगाने का प्रस्ताव है। ऐसे विज्ञापन पर रोक लगाने का प्रस्ताव है जो किसी व्यक्ति को पैसों वाले ऑनलाइन गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करता हो।
सूत्रों ने कहा कि मसौदा विधेयक में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि बैंक, वित्तीय संस्थान या कोई अन्य व्यक्ति पैसों वाले ऑनलाइन गेम से संबंधित किसी भी लेनदेन की सुविधा प्रदान न करे। सूत्र के अनुसार मसौदा विधेयक में ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स को बढ़ावा देने का आह्वान किया गया है।
एक सूत्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इसके लिए एक नया प्राधिकरण बनाया जा सकता है या किसी मौजूदा प्राधिकरण को इस क्षेत्र को विनियमित करने और देखने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया जाएगा।’
एक समाचार एजेंसी के अनुसार मसौदा विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल के बाद संसद द्वारा विधेयक को मंजूरी मिलने की संभावना ने गेमिंग उद्योग को हैरान कर दिया है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने उद्योग के हितधारकों के साथ-साथ गेमिंग कंपनी के अधिकारियों से बात की, जिन्होंने कहा कि आवश्यक मंजूरी के लिए रखे जाने से पहले उनसे विधेयक के किसी भी पहलू पर परामर्श नहीं किया गया।
एक प्रमुख गेमिंग कंपनी के कार्याधिकारी ने कहा, ‘यह स्पष्ट रूप से पूरे उद्योग को खत्म कर देगा जिसे पिछले कुछ वर्षों में बनाया गया है। आरएमजी सेक्टर इसे चुनौती दे सकता है।’
एक व्यक्ति ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘विदेशी कंपनियां लगातार बढ़ रही हैं और उन पर अभी तक प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। घरेलू कंपनियों ने वस्तु एवं सेवा कर तथा रिपोर्टिंग मानकों सहित मानदंडों का अनुपालन किया है। विधेयक इस क्षेत्र को खत्म कर देगा और उपयोगकर्ता विदेशी जुआ साइटों पर चले जाएंगे।’
एक शख्स ने कहा, ‘हमें लगता है कि ईस्पोर्ट्स को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिसमें इन-ऐप खरीदारी और विज्ञापन राजस्व शामिल है लेकिन कोई मौद्रिक पुरस्कार या सट्टेबाजी नहीं है। लेकिन यह गेमिंग बाजार के आकार का लगभग 15 फीसदी है, बाकी पर आरएमजी का प्रभुत्व है।’
वर्तमान में तमिलनाडु, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे राज्य ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए नियमों को लागू करने के विभिन्न चरण में हैं। उद्योग निकायों का कहना है कि अलग-अलग नीतियों से व्यापार और उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने अनुपालन, विज्ञापन, केवाईसी मानदंडों आदि के देश भर में समान मानक लागू करने की अपील की थी।
उद्योग से जुड़े एक कार्याधिकारी ने कहा, ‘इस प्रतिबंध से नवाचार खत्म होने, राजस्व और नौकरियां गंवाने का खतरा है। इस उद्योग में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 2 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है और यह क्षेत्र जीएसटी राजस्व में सालाना 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान करता है।’