प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि सिविल सेवकों की भूमिका केवल नियम-पुस्तकों के रखवाले की नहीं होनी चाहिए, उन्हें देश के विकास के सूत्रधार के रूप में काम करना होगा। दुनिया तेजी से बदल रही है। ऐसे माहौल में अफसरशाही और नीति निर्माता पुराने ढर्रे पर काम नहीं कर सकते। उन्हें हर हाल में तकनीकी रूप से कुशल, समकालीन चुनौतियों से निपटने में सक्षम और इससे भी आगे बढ़कर ‘नागरिक देवो भव’ के मंत्र का पालन करते हुए गरीबों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील होना होगा।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में सोमवार को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के अवसर पर शीर्ष सिविल सेवकों को अपने 40 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्हें केवल नियम पुस्तिकाओं का रखवाला नहीं बनना, उन्हें विकास के सूत्रधार के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने समाज, युवाओं, किसानों और महिलाओं की आकांक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके सपने अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुंच गए हैं। इन असाधारण आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए असाधारण गति की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज हम जिन नीतियों पर काम कर रहे हैं और जो निर्णय ले रहे हैं, वे आगामी 1,000 वर्ष के भविष्य को आकार देंगे।’
मोदी ने कहा कि एक समय था जब अफसरशाही की भूमिका एक नियामक की हुआ करती थी, जो औद्योगीकरण और उद्यमिता की गति को नियंत्रित करती थी। लेकिन देश इस सोच से आगे बढ़ गया है। आज, हम नागरिकों में उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने और उन्हें बाधाओं को पार करने में मदद करने के लिए शानदार माहौल तैयार कर रहे हैं। उन्होंने सिविल सेवकों को इस प्रक्रिया में सूत्रधार बनने की सलाह दी और कहा कि वे केवल ‘नियम पुस्तिका के रखवाले’ न बनें।
मोदी ने एमएसएमई सेक्टर का उदाहरण दिया और इसे सरकार के ‘मैन्युफैक्चरिंग मिशन’ की नींव बताया। उन्होंने कहा कि देश के युवा उद्यमियों और इसके एमएसएमई के पास आज दुनिया में हो रहे त्वरित बदलावों को देखते हुए ऐतिहासिक अवसर है। ऐसे परिदृश्य में यह जरूरी है कि हम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अधिक प्रतिस्पर्धी बनें। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे बेहतर ‘ईज ऑफ कंप्लायंस’ वाला छोटा देश भी भारत के स्टार्ट-अप के साथ मजबूती से प्रतिस्पर्धा करेगा। उन्होंने कहा, ‘अगर भारतीय उद्योग का लक्ष्य विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ उत्पाद बनाना है, तो अफसरशाही का उद्देश्य दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ‘ईज ऑफ कंप्लायंस’ वातावरण प्रदान करना होना चाहिए।’
मोदी ने कहा कि मौजूदा समय में सिविल सेवकों को नए सिरे से सुधारों को गति देने की जरूरत है। बुनियादी ढांचे का विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, आंतरिक सुरक्षा या भ्रष्टाचार को कम करना है, तो हमें हर क्षेत्र में नए सुधार लागू करने होंगे। दुनिया वर्तमान में भारत में निवेश करने के लिए उत्सुक है। ऐसे में यह जरूरी है कि इस अवसर का लाभ उठाया जाए। उन्होंने कहा, ‘हमें हर स्तर पर, चाहे राज्य हो, जिला हो या ब्लॉक, लालफीताशाही की संभावना को कम करना होगा।
ऐसा करके ही निचले स्तर तक अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।’ मोदी ने कहा कि देश के समग्र विकास का तात्पर्य है कि कोई भी गांव, परिवार और नागरिक पीछे न छूट जाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि शासन की गुणवत्ता इस बात से निर्धारित होती है कि योजनाएं लोगों तक कितनी गहराई से पहुंचती हैं और उनका जमीनी स्तर पर कितना वास्तविक प्रभाव पड़ता है। प्रधानमंत्री ने विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में सामूहिक प्रयास एवं दृढ़ संकल्प के महत्त्व को रेखांकित किया और सभी से इस साझा दृष्टिकोण की दिशा में हर दिन और हर पल अथक परिश्रम करने का आग्रह किया। मोदी ने वैश्विक स्तर पर हो रहे त्वरित बदलावों का उल्लेख करते हुए हर दो से तीन साल में ‘गैजेट’ के तेजी से बदल जाने को रेखांकित किया और इस बात का जिक्र किया कि बच्चे इन परिवर्तनों के बीच कैसे बड़े हो रहे हैं। अफसरशाही अब कामकाज के तरीके और नीति निर्माण की प्रक्रिया पुराने ढर्रें पर नहीं चल सकती।