देश में टीबी की दवाओं की कोई कमी नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शुक्रवार को यह दावा करते हुए कहा कि राष्ट्रीय टीबी (तपेदिक) उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत टीबी के इलाज के लिए जरूरी सभी दवाओं का अगले दो महीने तक का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है। मंत्रालय ने एक बयान में मीडिया में चल रही इस बीमारी की दवाओं की कमी संबंधी खबरों को भ्रामक और तथ्यहीन बताया।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के दौरान बढ़ती जरूरत को ध्यान में रखते हुए पहले ही दवाएं मंगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।’
केंद्र सरकार शनिवार से 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के उच्च प्राथमिकता वाले 347 जिलों में 100 दिन का टीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2023 में टीबी मामलों की 30 देशों की सूची में भारत शीर्ष पर है। इसी सप्ताह राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि इस साल जनवरी से अक्टूबर के बीच देश में टीबी के लगभग 21.69 लाख मामले दर्ज किए गए।
उन्होंने बताया, ‘वर्ष 2020 में जहां टीबी मामलों की संख्या 18.05 लाख थी वहीं 2023 में यह बढ़कर 25.52 लाख पर पहुंच गई।’ अब टीबी रोग के इलाज और जागरूकता के लिए 100 दिवसीय अभियान शुरू किया जा रहा है, जिसमें सबसे ज्यादा जोर इस बीमारी का पता लगाने, मरीजों की जांच और मृत्यु दर कम करने पर रहेगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘मंत्रालय ने टीबी पर अंकुश लगाने के लिए अपनी नीतियों में बदलाव किया है। इनमें निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत टीबी मरीजों को वित्तीय मदद देने, प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान जैसी सामाजिक पहल के तहत मरीजों का पता लगाने के लिए घर-घर संपर्क करने जैसे प्रावधान शामिल किए गए हैं।’ केंद्र सरकार ने टीबी से देश को मुक्त करने के लिए 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है। मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि अभियान को सफल बनाने के लिए हर स्तर पर छह महीने की दवाओं का स्टॉक बनाए रखने के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं।