राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने ठोस और तरल कचरे के अनुचित प्रबंधन के लिए असम पर 1,000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने से फिलहाल इनकार किया है।
एनजीटी ने यह देखते हुए पर्यावरणीय मुआवजे का आदेश देने से इनकार किया राज्य ने ठोस कचरे और तरल कचरे के प्रबंधन के लिए 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने असम के मुख्य सचिव द्वारा पेश किए गए आंकड़ों पर गौर किया और कहा कि कचरे के प्रबंधन में खामियां हैं।
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल और अफरोज अहमद भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करना राज्य और स्थानीय निकायों की संवैधानिक जिम्मेदारी थी।
पीठ ने कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि मुख्य सचिव के साथ बातचीत के आलोक में, असम राज्य एक अभिनव दृष्टिकोण और कड़ी निगरानी के माध्यम से इस मामले में और उपाय करेगा।’’
पीठ ने कहा है कि सभी जिलों, शहरों, कस्बों और गांवों में एक साथ समयबद्ध तरीके से पुनर्नवीकरण योजनाओं को जल्द से जल्द क्रियान्वित करने की जरूरत है और जिला मजिस्ट्रेट सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की निगरानी करेंगे।
एनजीटी ने कहा कि मुख्य सचिव को मानदंडों का समग्र अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए। मुआवजे की मात्रा का निर्धारण करते हुए हरित पैनल ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में राज्य सरकार लगभग 1,000 करोड़ रुपये के मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी था।