केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत ऋण सीमा दोगुनी कर मौजूदा 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये कर दी है। शुक्रवार को हुई घोषणा के अनुसार इसके लिए नई श्रेणी ‘तरुण प्लस’ बनाई गई है।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘इस वृद्धि के माध्यम से हम मुद्रा योजना के समग्र उद्देश्य को आगे बढ़ाना चाहते हैं, जिसके तहत उन लोगों को धन मुहैया कराना है, जिन्हें नहीं मिल पाता। खासकर इससे उभरते उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा और उनकी वृद्धि और विस्तार में मदद मिलेगी। यह कदम सरकार की उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता के मुताबिक है।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई 2024 को केंद्रीय बजट 2024-25 पेश करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत सीमा मौजूदा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की जाएगी। सीतारमण ने लोक सभा में बजट पेश करते हुए कहा था, ‘उन उद्यमियों के लिए मुद्रा ऋण की सीमा मौजूदा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की जाएगी, जिन्होंने ‘तरुण’ श्रेणी के तहत पहले कर्ज लिया और उसे सफलतापूर्वक चुकाया है।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) पेश की थी। इसका उद्देश्य गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु एवं सूक्ष्म उद्यमियों को आय-उत्पादक गतिविधियों के लिए 10 लाख रुपये तक का आसान जमानत-मुक्त सूक्ष्म ऋण उपलब्ध कराना है।
पीएमएमवाई के तहत बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) और अन्य वित्तीय मध्यस्थों के माध्यम से ऋण मुहैया कराया जाता है। अभी तक योजना के तहत बैंक तीन श्रेणियों शिशु (50,000 रुपये तक), किशोर (50,000 रुपये से 5 लाख रुपये के बीच) और तरुण (10 लाख रुपये) के तहत 10 लाख रुपये तक का बिना किसी जमानत के ऋण मुहैया कराया जाता था।
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2023-24 में पीएमएमवाई के तहत 6.68 करोड़ ऋण जारी किए गए, जिसकी कुल राशि 5.4 लाख करोड़ रुपये है। योजना शुरू किए जाने से लेकर जून 2024 तक कुल 48.78 करोड़ ऋण जारी किए गए, जिनकी कुल राशि 29.79 लाख करोड़ रुपये है।
लोक सभा में मांगी गई जानकारी के उत्तर में दिए गए वित्त मंत्रालय के बयान के मुताबिक मुद्रा ऋण में सरकारी बैंकों की गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) वित्त वर्ष 2024 में घटकर 3.4 फीसदी रह गई है, जो 2020-21 के 4.77 फीसदी और 2019-20 के 4.89 फीसदी के उच्च स्तर से कम है। वहीं मार्च 2024 में भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल एनपीए 2.8 फीसदी था।