Maratha reservation: महाराष्ट्र सरकार मनोज जारंगे पाटिल के आंदोलन को शांत करने में सफल हो गई, लेकिन इसके साथ ही राज्य में भाजपा गठबंधन के बीच मतभेद शुरू हो गया है। मराठा समुदाय के लिए आरक्षण से केंद्रीय मंत्री नारायण राणे सहमत नहीं हैं।
राज्य सरकार द्वारा मराठा आरक्षण पर जारी की गई अधिसूचना के खिलाफ महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ओबीसी नेताओं को लामबंद करके एक फरवरी को विधायकों, सांसदों और तहसीलदारों के आवासों के बाहर विरोध प्रदर्शन करने वाले हैं।
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने मराठा आरक्षण मुद्दे पर अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए आज एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया था लेकिन इस संवाददाता सम्मेलन को रद्द कर दिया गया। इसके पहले राणे ने एक्स पर कहा था कि मुझे महाराष्ट्र सरकार से अनुरोध करना है। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र में उग्रवाद की विरासत और इतिहास रखने वाला मराठा समुदाय खत्म न हो जाए। स्वाभिमानी मराठा कुनबी समाज में घुल-मिलकर आरक्षण स्वीकार नहीं करेगा।
ऐसा करने से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय पर अतिक्रमण होगा। इन सभी नाजुक मुद्दों पर महाराष्ट्र सरकार को गहराई से सोचना चाहिए। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की संख्या 32 फीसदी यानी 4 करोड़ है। राणे ने यह भी कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि जाति, धर्म और देश किसी भी पद से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
नारायण राणे ने कहा कि अधिसूचना उन लोगों के लिए है जिनके पास पुराने कुनबी रिकॉर्ड हैं। पिछड़ा वर्ग आयोग 36 जिलों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने के फैसले पर अनुभवजन्य डेटा इकट्ठा करने के लिए काम कर रहा है। उस डेटा से पता चलेगा कि मराठा समुदाय शैक्षणिक और सामाजिक रूप से कितना पिछड़ा है।
कुनबी आरक्षण का मुद्दा अलग है और मराठा समुदाय को आरक्षण देने का मुद्दा अलग है। किसी को गलतफहमी नहीं होनी चाहिए, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया है कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर निर्णय लेने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग नियुक्त किया गया है।
महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल के आवास पर अधिसूचना के खिलाफ ओबीसी नेताओं की बैठक हुई, जिसमें यह तय हुआ कि राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ एक फरवरी को विधायकों, सांसदों और तहसीलदारों के आवासों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। मंत्री भुजबल ने आगे बताया कि इस बैठक में 26 जनवरी को मुख्यमंत्री द्वारा प्रकाशित मसौदे को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जारंगे की मांगों को स्वीकार कर लिया गया था।
छगन भुजबल ने कहा कि वह ओबीसी अधिकारों के लिए यहीं नहीं रुकेंगे बल्कि अदालती लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार हैं। नेताओं ने दृढ़ संकल्प व्यक्त किया कि सभी ओबीसी को पार्टी की भागीदारी को छोड़कर एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। हमें बताया गया था कि ओबीसी के आरक्षण को नहीं छुआ जाएगा, लेकिन राज्य सरकार अब मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करके उन्हें पिछले दरवाजे से प्रवेश देने की कोशिश कर रही है। इस कदम से 300 से अधिक ओबीसी जातियों से आरक्षण का लाभ छीन लिया जाएगा और इसे केवल मराठा ही लेंगे।
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देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इस पर कुछ नेताओं की व्यक्तिगत भूमिका अलग हो सकती है। मराठा आरक्षण को लेकर जो कुछ भी किया गया है यह उनके ध्यान में लाया जाएगा। सरकार ने एक निर्णय लिया है जिससे मराठा समुदाय को लाभ हो रहा है, लेकिन किसी भी समुदाय के साथ अन्याय नहीं होगा। इसमें किसी को चिंता करने की कोई बात नहीं है। हमारी सरकार ओबीसी समुदाय के साथ अन्याय नहीं होने देगी।
मराठी भाषा की मोडी लिपि के विशेषज्ञ अनेक कार्यालयों और विभागों के निजाम कालीन दस्तावेजों का रूपांतरण कर रहे हैं ताकि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए मराठवाड़ा में कुनबी लोगों के रिकॉर्ड का पता चल सके। भूमि अभिलेख विभाग, तहसील और अन्य कार्यालयों के दस्तावेजों और 1967 के पहले के स्कूल के रिकॉर्ड का अध्ययन किया जा रहा है।
विशेषज्ञों की टीम दस्तावेजों का अध्ययन कर रही हैं। इन कागजों में कहीं भी कुनबी का उल्लेख मिला तो उसका रूपांतरण का देवनागरी करके जिले के अधिकारियों को सौंपा जाएगा। जो रिकॉर्ड को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर देंगे। पहले समझा जाता था कि निजाम कालीन ये कागजात हैदराबाद में हैं, लेकिन मोडी लिपि में अनेक दस्तावेज मराठवाड़ा के सरकारी दफ्तरों में भी मिले हैं।