महाराष्ट्र में प्याज के गिरते दामों से परेशान किसानों ने एक अनोखा विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। किसान मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों को फोन करके प्याज के दाम , सरकार की नीति और किसान की स्थिति के बारे में बताते हैं और उनसे तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हैं। फोन पर हुई बात को सोशल मीडिया में डालते हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (NAFED) स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि वर्तमान में महाराष्ट्र में नेफेड की ओर से प्याज की बिक्री नहीं की जा रही है।
नाफेड की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि नाफेड महाराष्ट्र में भारी मात्रा में प्याज बेचता रहा है, इसलिए यह गलत सूचना फैलाई जा रही है कि प्याज की कीमतें कम हो गई हैं, जिससे किसानों में बेचैनी फैल रही है। नेफेड ने स्पष्ट किया है कि भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग ( डीओसीए) के निर्देशानुसार नेफेड ने इस वर्ष महाराष्ट्र में केवल 12 मीट्रिक टन प्याज बेचा है । इससे अधिक की बिक्री नहीं की गई है। नाफेड ने यह भी स्पष्ट किया है कि वर्तमान में नेफेड राज्य में प्याज नहीं बेच रहा है। किसानों के हितों की रक्षा करना और बाजार में स्थिरता बनाए रखना नाफेड की सर्वोच्च प्राथमिकता है ।
नाफेड सरकार के निर्देशों के अनुसार काम करना जारी रखेगा , नाफेड ऐसी फर्जी खबरों और अफवाहों की कड़ी निंदा करता है और चेतावनी दी है कि इन्हें फैलाने वाले व्यक्तियों या संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी ।
महाराष्ट्र के किसानों के फोन विरोध प्रदर्शन से फैलाई जा रही बातों से परेशान होकर नाफेड की तरफ यह स्पष्टीकरण दिया गया है। हालांकि किसानों की तरफ से अभी इस आंदोलन को जारी रखने की बात कहीं जा रही है। महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ द्वारा आयोजित यह अभियान 18 सितंबर तक चलेगा। किसानों का कहना है कि यह विरोध धरना या रैली जैसा नहीं है, बल्कि सीधे नीति निर्माताओं से संवाद करने के लिए है। राज्य के हर निर्वाचित प्रतिनिधि को किसानों की तरफ फोन किये जा रहे हैं।
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किसान अपनी बातचीत रिकॉर्ड करके व्हाट्सएप ग्रुप में प्रसारित करते हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि फोन विरोध का मकसद किसानों की पीड़ा को सीधे निर्णय लेने वालों तक पहुंचाना है ताकि कोई भी जनप्रतिनिधि किसानों की दुर्दशा से अनजान होने का दावा न कर सके। दिघोले ने कहना है कि प्याज की उत्पादन लागत 2200 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच आती है, जबकि किसानों को केवल 800 से 1200 रुपये मिल रहे हैं, जिससे भारी नुकसान हो रहा है।
किसान एक मूल्य निर्धारण नीति बनाने की मांग कर रहे हैं जो किसानों को खेती की लागत पर कम से कम 50 फीसदी लाभ की गारंटी दे और निर्यात प्रतिबंध, स्टॉक सीमा और जमाखोरी जैसे फैसलों को समाप्त किया जाए। अंतरराष्ट्रीय बिक्री को स्थिर करने के लिए निर्यात सब्सिडी, हाल के महीनों में संकट दर पर बेचने वाले किसानों के लिए 1500 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजे और नाफेड और वन प्रमाणन और संरक्षण नेटवर्क (NCCF) बफर स्टॉक से रियायती कीमतों पर प्याज जारी करने पर तत्काल रोक लगाने की मांग कर रहे हैं।
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार इन उपायों से बाजार और नीचे जाता है और किसानों को गहरे संकट में डाल दिया जाता है। सरकार केवल उपभोक्ता कीमतों के बारे में सोचती है, किसानों की आजीविका के बारे में नहीं। हम इस संघर्ष को तब तक जारी रखेंगे जब तक उचित कीमत सुनिश्चित नहीं हो जातीं।