शिवसेना उद्धव गुट को शुक्रवार को दोहरा झटका लगा है। सुबह पहले सर्वोच्च न्यायालय ने सदस्यता के अयोग्य ठहराने संबंधी विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों पर अपने 2016 के फैसले की समीक्षा संबंधी याचिका को सात-न्यायाधीशों के पीठ को भेजने से इनकार किया।
वहीं देर शाम चुनाव आयोग ने भी एकनाथ शिंदे नीत धड़े को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी और उसे ‘तीर-कमान’ चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया।
पार्टी पर नियंत्रण के लिए चली लंबी लड़ाई के बाद 78 पृष्ठों के अपने आदेश में, आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को राज्य में विधानसभा उपचुनावों के पूरा होने तक ‘मशाल’’ चुनाव चिह्न रखने की अनुमति दी।
आयोग ने कहा कि वर्ष 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के 55 विजयी उम्मीदवारों में से एकनाथ शिंदे का समर्थन करने वाले विधायकों के पक्ष में लगभग 76 फीसदी मत पड़े। महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना के विजयी उम्मीदवारों के पक्ष में मिले मतों से 23.5 प्रतिशत मत उद्धव ठाकरे धड़े के विधायकों को मिले थे।
उच्चतम न्यायालय ने शिवसेना के दो धड़े बनने के बाद महाराष्ट्र में जून 2022 में पैदा हुए सियासी संकट संबंधी याचिकाओं को 2016 के नबाम रेबिया फैसले की समीक्षा के लिए सात न्यायाधीशों के पीठ को भेजने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
नबाम रेबिया फैसला विधायकों को सदस्यता के अयोग्य ठहराने संबंधी अर्जियों पर फैसला लेने की विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों से जुड़ा है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि 21 फरवरी को इस बात पर गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा कि विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों पर 2016 के फैसले में संदर्भ की आवश्यकता है या नहीं। अगली सुनवाई मंगलवार सुबह साढ़े 10 बजे होगी।’
फैसले के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनकी पार्टी न्यायपालिका में भरोसा करती। निर्वाचन आयोग द्वारा उनके धड़े को वास्तविक शिवसेना के रूप में मान्यता दिए जाने के फैसले को बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा की जीत बताया। हालांकि, उद्धव ठाकरे ने निर्वाचन आयोग का फैसला लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया और कहा कि फैसले को उच्चतम न्यायायलय में चुनौती देंगे।
(भाषा के इनपुट के साथ)