महाराष्ट्र

Bamboo Summit 2025: बांस सम्मेलन में होंगे ₹20,000 करोड़ के करार, प्रति हेक्टेयर खेती पर ₹7 लाख की सब्सिडी

महाराष्ट्र रोजगार गारंटी और बागवानी मंत्री भरत गोगावले ने कहा कि बांस एक नकदी फसल है और तेजी से बढ़ने वाले पौधों की प्रजातियों में से एक है।

Published by
सुशील मिश्र   
Last Updated- September 18, 2025 | 8:22 PM IST

Bamboo Summit 2025: मुंबई में आज से शुरू हुए दो दिवसीय बांस शिखर सम्मेलन (Bamboo Summit) में करीब 20 हजार करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन (MoU) होने की उम्मीद है। महाराष्ट्र इस तरह के समिट की मेजबानी करने वाला देश का पहला राज्य है। राज्य सरकार ने हरित महाराष्ट्र के सपने को साकार करने के लिए 21 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बांस लगाने का लक्ष्य रखा है। राज्य सरकार बांस की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 7 लाख रुपये तक की सब्सिडी दे रही है।

महाराष्ट्र रोजगार गारंटी और बागवानी मंत्री भरत गोगावले ने कहा कि बांस एक नकदी फसल है और तेजी से बढ़ने वाले पौधों की प्रजातियों में से एक है। अगर तीन-चार साल तक देखभाल की जाए, तो चौथे-पांचवें वर्ष से आय शुरू हो जाती है। बांस का उपयोग निर्माण, फर्नीचर, कपड़ा, ऊर्जा, पैकेजिंग और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में किया जाता है।

बांस की खेती पर ₹7 लाख की सब्सिडी

सरकार बांस की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 7 लाख रुपये तक की सब्सिडी दे रही है और किसानों को इसे चुकाने की आवश्यकता नहीं है। शहरीकरण की बढ़ती लहर के कारण ग्रामीण आबादी कम हो रही है, बांस जैसे फसल विकल्पों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाएगा। महाराष्ट्र बागवानी में अग्रणी है और राज्य को बांस की खेती, उत्पादन और बांस आधारित उद्योगों में अग्रणी बनाने के लिए, लोगों को बांस के महत्व के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेगी।

Also Read: रबी सीजन से पहले महाराष्ट्र ने केंद्र सरकार से यूरिया की सप्लाई करने की रखी मांग

बांस की खेती पर जोर

कृषि राज्य मंत्री एडवोकेट आशीष जायसवाल ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण कार्बन उत्सर्जन बढ़ रहा है। पर्यावरण बिगड़ रहा है और इसका खामियाजा आने वाली पीढ़ी को भुगतना पड़ेगा। हमारे पूर्वजों ने हमें जल, जमीन और जंगल की एक महान विरासत दी है, जिसे हमें संरक्षित करना चाहिए। इन सभी परिस्थितियों में बांस की खेती हमें बचा सकती है। वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बांस की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न गतिविधियों में बांस की खेती पर जोर दिया जाना चाहिए। शुरुआती तीन वर्षों में किसानों को वित्तीय सहायता कैसे प्रदान की जाए, इस पर भी विचार किया जाएगा।

मित्रा के सीईओ प्रवीण परदेशी ने बताया कि राज्य सरकार बांस की फसलों की उत्पादकता दोगुनी करने के लिए विशेष प्रयास कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि नीति आयोग के माध्यम से बांस उद्योग के लिए 4,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

कल होगी एक राउंड टेबल बैठक

राज्य कृषि मूल्य आयोग के चेयरमेन पाशा पटेल ने बताया कि बांस 21वीं सदी का एक हरित संसाधन है और निर्माण, फर्नीचर, ऊर्जा, वस्त्र निर्माण जैसे 150 क्षेत्रों में उपयोगी है। यह तेजी से बढ़ता है, अधिक कार्बन अवशोषित करता है और रोजगार सृजन के लिए उपयोगी है। सम्मेलन में विशेषज्ञों द्वारा विचार-मंथन, बांस की खेती की नीतियों पर संवाद और व्यावसायिक अवसरों पर चर्चा शामिल होगी। दूसरे दिन उद्यमियों और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के बीच एक राउंड टेबल बैठक होगी, जिसके बाद मुख्यमंत्री की उपस्थिति में करीब 20 हजार करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।

Also Read: Onion Export Subsidy: महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र से प्याज निर्यात सब्सिडी दोगुनी करने की मांग, किसानों को मिलेगा लाभ

विश्व बांस दिवस पर आयोजित हुआ सम्मेलन

विश्व बांस दिवस के अवसर पर आयोजित इस सम्मेलन का आयोजन फिनिक्स फाउंडेशन (लोदगा, लातूर) और महाराष्ट्र सरकार के थिंक टैंक महाराष्ट्र इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (MITRA) ने मिलकर किया है। सम्मेलन में रोजगार गारंटी और बागवानी मंत्री भरत गोगावले,  कृषि राज्य मंत्री एडवोकेट आशीष जायसवाल, सहकारिता राज्य मंत्री डॉ पंकज भोयर, गुजरात के पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा, राज्य कृषि मूल्य आयोग के चेयरमैन पाशा पटेल, मित्रा के सीईओ प्रवीण परदेशी, मालविका हर्बोफार्मा के निदेशक दिनेश शर्मा , गोदरेज इंडस्ट्रीज समूह के समूह अध्यक्ष और कॉर्पोरेट मामलों के प्रमुख राकेश स्वामी , रॉयल कैस्टर प्रोडक्ट्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हरेश व्यास , एशियाई विकास बैंक के प्रतिनिधि ताकेशी ओयेदा, पर्यावरण बांस उद्योग के प्रसिद्ध विशेषज्ञ और किसान उपस्थित थे।

First Published : September 18, 2025 | 8:15 PM IST