महाराष्ट्र

अमेरिकी टैरिफ का विकल्प खोजने में लगे कपड़ा कारोबारी

मुंबई के कपड़ा कारोबारियों के दिवाली स्नेह सम्मेलन महाराष्ट्र विधान सभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि खेती के बाद कपड़े से सबसे अधिक रोजगार सृजित होता है।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- October 30, 2025 | 7:06 PM IST

अमेरिकी टैरिफ की चोट से भारतीय कपड़ा उद्योग फिलहाल भले ही परेशान नजर आ रहा है लेकिन इस चोट से निपटने में उद्योग जगत सक्षम है। महाराष्ट्र सरकार का दावा है कि अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ लगाये जाने के कारण कपड़ा उद्योग पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ने वाला है । कपड़ा उद्योग घरेलू मांग के साथ अन्य देशों में भी संभावनाएं तलाश रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार व महाराष्ट्र सरकार प्रयत्नशील है।

कपड़ा कारोबारियों की प्रमुख संस्था भारत मर्चेंट्स चेम्बर में कपड़ा उद्योग के लोगों को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के वस्त्र उद्योग मंत्री संजय सावकारे ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ का कपड़ा उद्योग पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला है क्योंकि हमारी घरेलू मांग बहुत अच्छी है, इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर दूसरे बाजार भी तलाशे जा रहे हैं जहां बेहतर संभावनाएं हैं। महाराष्ट्र की कपड़ा नीति देश की सर्वश्रेष्ठ नीति है। उन्होंने कहा कि सरकार पिछली बकाया सब्सिडी के भुगतान कर रही है। जिससे जल्द ही बकाया सब्सिडी क्लियर हो जाएगी।

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मुंबई के कपड़ा कारोबारियों के दिवाली स्नेह सम्मेलन महाराष्ट्र विधान सभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि खेती के बाद कपड़े से सबसे अधिक रोजगार सृजित होता है। यह बात सरकार अच्छे से समझती है। सियाराम ग्रुप के चेयरमेन रमेश पोद्दार ने कहा कि देश में स्किल्ड लेबर की कमी नहीं है। इसका फायदा हमे अपने उत्पाद को विश्वस्तरीय बनाने में करना चाहिए।

कपड़ा कारोबारियों ने बताया कि अमेरिका में कम खरीद की भरपाई के लिए, भारतीय निर्माता यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम के साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। घरेलू निर्यातक अब ब्रिटेन और यूरोपीय संघ पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं । हाल ही में ब्रिटेन के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते और यूरोप में बढ़ते अवसरों ने भारतीय कंपनियों के लिए नए रास्ते खोले हैं।

संस्था के अध्यक्ष मनोज जालान ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि कपड़ा कारोबार कई तरह के उतार चढ़ाव देख चुका है, इसे कारोबार का एक हिस्सा मानकर काम करना होगा। संस्था के ट्रस्टी राजीव सिंगल ने कहा कि मौजूदा चुनौतियों के बावजूद तीन प्रमुख कारक भारतीय कपड़ा उद्योगों को सहारा दे सकते हैं। इसमें अप्रैल से अगस्त 2025 के बीच बिक्री का मजबूत वृद्धि। दूसरा चीन, पाकिस्तान और तुर्की जैसे प्रतिस्पर्धी देशों की सीमित निर्यात क्षमता खासकर उन उत्पाद श्रेणियों में जहां भारत को कम टैरिफ का फायदा है और भारतीय विनिर्माताओं का वैकल्पिक वैश्विक बाजारों की ओर रुख करना शामिल है। इसके अलावा कंपनियों की कर्जमुक्त बैलेंस शीट क्रेडिट प्रोफाइल पर पड़ने वाले दबाव को आंशिक रूप से कम कर सकती है।

First Published : October 30, 2025 | 7:06 PM IST