Luxury renaissance: करीब 20 साल पहले जब टिक्का शत्रुजीत सिंह लुई वितों को भारत लाए थे तो दुनिया भर के लिए भारत के बाजार का दरवाजा खुले एक दशक ही बीता था। उस समय दुनिया भर के पहचाने ब्रांड तो भारत आने लगे थे मगर लक्जरी ब्रांड गिने चुने ही थे और वे भी बड़े होटलों के भीतर ही बिकते नजर आते थे। लक्जरी बाजार आज जैसा तो बिल्कुल भी नहीं था।
शत्रुजीत के परदादा कपूरथला के महाराजा थे और फ्रांस की नफासत के बहुत बड़े प्रशंसक थे। शायद इसीलिए शत्रुजीत सिंह भी फ्रांस के ब्राडं लुई वितों को यहां लाने के लिए बेताब थे। वह कहते हैं, ‘लक्जरी स्टोर के लिए उस समय होटल ही सही जगह थे।’ इसीलिए वह ओबेरॉय समूह की प्रमुख कंपनी ईआईएच लिमिटेड के चेयरमैन पृथ्वीराज सिंह ‘बिकी’ ओबेरॉय के पास पहुंचे और उनकी मुलाकात लुई वितों के चेयरमैन ईव कार्सेल के साथ कराई गई।
सिंह ने हंसते हुए बताया, ‘मुलाकात में ईव कार्सेल ने कहा कि लुई वितों स्टोर के लिए सबसे अच्छी जगह बिकी ओबेरॉय का दफ्तर ही होगा। ओबेरॉय भी इस बात पर हंसे। वह आने वाले कल को भांपने में माहिर थे।’ और इस तरह एक बड़ा लक्जरी ब्रांड भारत आ गया।
लुई वितों की आमद वाले साल यानी 2003 से 2023 के बीच दो दशक बीते हैं और भारत का लक्जरी बाजार एकदम बदल गया है। इस साल 1 नवंबर को मुंबई में देश का सबसे बड़ा लक्जरी मॉल जियो वर्ल्ड प्लाजा खुला, जिसने इस उद्योग के लिए नया पैमाना गढ़ दिया है।
सिंह ने कहा, ‘मैं भी प्लाजा के उद्घाटन के वक्त वहीं था और मैं भरोसे के साथ कह सकता हूं कि लक्जरी खरीदारी के लिए भारत एकदम सही जगह है।’ कुछ हफ्ते बाद ही पीवीआर आइनॉक्स ने आलीशान बुटीक सिनेमा मैसन आइनॉक्स खोल दिया, जिसमें गैस्बी नाम का बार और लाउंज भी है।
एक जमाना था, जब अमीर भारतीय लक्जरी कपड़े, घड़ियां, बैग, जूते, चश्मे खरीदने के लिए लंदन, मिलान, न्यूयॉर्क, पेरिस, सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और दुबई का रुख करते थे। मगर आज प्राडा और डॉल्चे ऐंड गबाना को छोड़ दें तो तो लगभग सभी बड़े ब्रांड के अपने स्टोर भारत में खुल गए हैं। लक्जरी सामान के कारोबारी कहते हैं कि जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन ने भी लक्जरी बाजार को परवान चढ़ाया है।
सिंह के हिसाब से इसकी एक बड़ी वजह देश में शानदार हवाई अड्डे, अच्छी सड़क और आलीशान मॉल जैसा बुनियादी ढांचा भी है, जो लक्जरी यानी शानोशौकत को बढ़ावा देने में बहुत मददगार है। बिजनेस ऑफ फैशन तथा मैकिंजी ऐंड कंपनी की रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ फैशन-2024’ के मुताबिक तमाम वैश्विक लक्जरी ब्रांड मान रहे हैं कि आने वाले साल में लक्जरी सामान की सबसे ज्यादा खपत भारत में ही होने की संभावना है।
रिपोर्ट कहती है, ‘दुनिया के सबसे बड़े फैशन बाजारों में वृद्धि के हल्के-फुल्के संकेत हैं मगर दूसरे बाजारों में ज्यादा संभावना दिख रही है। सितंबर में हुए सर्वेक्षण में जब अगले साल सबसे संभावना भरे देशों या क्षेत्रों के बारे में पूछा गया तो कंपनियों के आला अफसरों ने पश्चिम एशिया, भारत और एशिया प्रशांत का नाम लिया।’
कॉमी कॉल्बे की मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) बेनेडिक्ट एपिने ने नई दिल्ली में इंडो-फ्रेंच चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा लक्जरी उद्योग पर कराए एक कार्यक्रम में कहा कि लक्जरी उत्पाद के लिए चाहत 75 फीसदी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि पिछले 20 साल से भारत को संभावनाओं से भरा बाजार बताया जाता रहा है। अब यहां की आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिति देखकर लग रहा है कि समय आ गया है। लक्जरी उद्योग के लिए भारत वाकई अहम है। कॉमी कॉल्बे फ्रांस में लक्जरी उद्योग का संघ है, जिसमें दुनिया के 95 से ज्यादा शीर्ष लक्जरी ब्रांड हैं।
उसी कार्यक्रम के दौरान बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीनियर पार्टनर, चेयर ऑफ प्रैक्टिसेज अभीक सिंघी ने कहा कि कोविड के बाद से भारत में लक्जरी बाजार औसतन 15 से 18 फीसदी की दर से बढ़ा है और अगले पांच साल तक इसमें सालाना 15 फीसदी बढ़त की उम्मीद है।
डीएलएफ रिटेल की वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक पुष्पा बेक्टर अगले दस साल को ‘भारत के लिए रिटेल का दशक’ बताती हैं।
उन्होंने कहा, ‘नई दिल्ली में हमारे एंपोरियो और चाणक्य मॉल में लुई वितों और बुल्गरी जैसे लक्जरी ब्रांडों की बिक्री पिछले तीन-चार साल में दोगुनी हो गई है। ये ब्रांड और भी जगह मांग रहे हैं, इसलिए एंपोरियो को बढ़ाकर दोगुना करने की हमारी योजना है।’ बेक्टर का कहना है कि आज जो भी पेरिस में चल रहा है, वही एंपोरियो में भी ट्रेंड में है। आज अमीरों के अलावा हसरतों वाली युवा पीढ़ी भी लक्जरी की ग्राहक है। इसलिए ब्रांड भी अपने सामान की कीमत भारत के हिसाब से ढाल रहे हैं।
लक्जरी ब्रांड का रवैया भी बदल रहा है। जो ब्रांड कभी खास तौर पर न्योता देकर चुनिंदा ग्राहकों को बुलाते थे, अब वे ज्यादा लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। इसीलिए फ्रांस के लक्जरी ब्रांड डीऑर ने पहली बार अपना फॉल-2023 कलेक्शन मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर दिखाया।
आज हर किसी की नजर भारत पर है। इसी साल आदित्य बिड़ला फैशन ऐंड रिटेल लिमिटेड के साथ साझेदारी में इतालवी मेन्सवियर ब्रांड ब्रीयोनी और क्रिस्चन लूबतिन ने भी भारत आने का ऐलान कर दिया। फ्रांस का डिपार्टमेंटल स्टोर गैलरी लफायेत भी अगले साल मुंबई में और 2025 में दिल्ली में कारोबार शुरू करेगा।
यह साल विदेशी ब्रांडों की आमद के लिए ही नहीं याद किया जाएगा बल्कि भारत ने इस बार लक्जरी सामान बनाने और निर्यात करने में भी अपनी पुख्ता पहचान बनाई। बैंगलोर वॉच कंपनी के सह-संस्थापक निरूपेश जोशी बताते हैं, ‘2022 में भारत ने 40 करोड़ स्विस फ्रैंक्स की स्विस लक्जरी घड़ियां आयात कर रिकॉर्ड बनाया था।
अगले कुछ साल में भारत लक्जरी घड़ियों के सबसे बड़े आयातकों में शुमार हो सकता है।’ यहां से इन घड़ियों का निर्यात भी खूब हो रहा है। प्रीमियम ब्रांड की घड़ियां बनाने वाली बैंगलोर वॉच कंपनी ही करीब 30 से ज्यादा दशों को निर्यात कर रही है।
मशहूर फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा ने इसी साल दुबई मॉल में अपना स्टोर खोलकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कदम रखा है। साल भर पहले ही डिजाइनर सव्यसाजी मुखर्जी ने भी अपना पहला अंतरराष्ट्रीय स्टोर वेस्ट विलेज, न्यूयॉर्क में खोला था। डिजाइनरों में राहुल मिश्रा और गौरव गुप्ता पेरिस ओट कुटूअर वीक में अपने कलेक्शन पेश करते रहे हैं।
लुई वितों के सिंह किसी समय देश से बाहर लक्जरी स्टोर में जाते थे, सेल्सपर्सन को काम करते देखते थे और फिर अपने कर्मचारियों को काम करने के गुर सिखाते थे। उन्हें इस बात की खुशी है कि आज उनके लक्जरी स्टोर्स में सेल्स कर्मचारी कितने प्रशिक्षित हैं। वे ग्राहकों को राजे-रजवाड़े जैसा अहसास कराते हैं। सिंह कहते हैं कि लक्जरी अहसास कराने की चीज है और इस मामले में पश्चिम की दुनिया भारत से बहुत पीछे है।
इस साल लक्जरी मकानों की मांग भी तेजी से बढ़ी है। गुरुग्राम में डीएलएफ ने 10,000 वर्ग फुट से अधिक का अपार्टमेंट पूरे 100 करोड़ में बेचा। रियल एस्टेट कंसल्टेंसी एनारॉक ने कहा कि 40 करोड़ से ऊपर कीमत वाले लक्जरी मकानों की बिक्री में इस साल 247 फीसदी तेजी दर्ज की गई।
इनमें से 58 मकान सात शहरों में बिके और उनकी कुल कीमत 4,063 करोड़ रुपये लगी। 2022 में केवल 13 अल्ट्रा लक्जरी मकान बिके थे, जिनकी कीमत 1,170 करोड़ रुपये थी। इस साल ऐसे 12 मकान तो 100-100 करोड़ रुपये में बिके। इनमें 10 मुंबई और 2 दिल्ली-एनसीआर में थे।
एनारॉक ने कहा कि ऐसे 79 फीसदी सौदे कारोबार मालिकों ने किए और 16 फीसदी सीईओ के दर्जे के पेशेवरों ने खरीदे। अष्टगुरु ऑक्शन हाउस के सीईओ तुषार सेठी ने बताया कि कला में भी एक से एक महंगे सौदे हो रहे हैं। भारतीय कलाकारों की मांग बहुत अधिक है।
मिसाल के तौर पर अमृता शेरगिल की बनाई एक तस्वीर 61.80 करोड़ रुपये में बिकी, जो अब तक की सबसे महंगी कलाकृति रही। कई अन्य कलाकारों ने भी अपनी कृतियां अच्छी कीमत में बेचीं।