जम्मू कश्मीर विदेशी निवेशकों को लुभा रहा है। शॉपिंग मॉल से लेकर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग सभी जम्मू कश्मीर में निवेश करना चाह रहे हैं। खासकर, पश्चिम एशिया के निवेशक जम्मू कश्मीर में निवेश को लेकर विशेष दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
एम्मार ग्रुप जम्मू कश्मीर में करीब 5,00,000 वर्गफुट में एक शॉपिंग मॉल बनाने पर विचार कर रही है। इस मॉल में लुलु ग्रुप हाइपरमार्केट लगाएगी। लुलु ग्रुप पश्चिम एशियाई देशों में सुपरमार्केट का संचालन करती है।
लूलू ग्रुप के चेयरमैन एम ए यूसुफ अली ने इस खबर की पुष्टि भी कर दी है। यूसुफ ने कहा, जम्मू कश्मीर में बनने वाले उस मॉल में हमने हाइपरमार्केट लगाने के लिए समझौता किया है। एम्मार प्रॉपर्टीज यह मॉल बना रही है। यह पहल ऐसे समय में हो रही है जब राज्य में पहले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के तौर पर लुलु ग्रुप ने ऐपल, केसर और सूखे फलों का राज्य से निर्यात करना शुरू किया है।
पिछले सप्ताह श्रीनगर में एक खाद्य प्रसंस्करण एवं लॉजिस्टिक इकाई स्थापित करने के लिए राज्य सरकार ने लुलु ग्रुप के साथ एक समझौता किया था। इस समझौते के बाद राज्य के उत्पाद पश्चिम एशिया के करीब 247 हाइपरमार्केट में पहुंचना शुरू हो जाएंगे।
अली ने कहा, हमने श्रीनगर में एक सोर्सिंग कार्यालय भी स्थापित कर लिए हैं। चालू वित्त वर्ष के दौरान हम 70 करोड़ रुपये मूल्य के सेब, सब्जियां, केसर आदि का निर्यात कर चुके हैं। जहां तक खाद्य प्रसंस्करण और पैकेजिंग खंड की बात है तो जम्मू कश्मीर में हम 10 करोड़ डॉलर निवेश करेंगे।
रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनी एम्मार ग्रुप ने जनवरी 2022 में श्रीनगर में एक शॉपिंग मॉल तैयार करने के लिए जम्मू कश्मीर सरकार के साथ समझौता किया था। उस समय राज्य में रियल एस्टेट क्षेत्र का सम्मेलन हुआ था और 39 परियोजनाओं के लिए मसौदे पर हस्ताक्षर हुए थे।
इन परियोजनाओं पर कुल 19,000 करोड़ रुपये निवेश किए जाने का प्रस्ताव था। इनमें 20 परियोचनाएं आवासीय खंड, 7 व्यावसायिक, 4 आतिथ्य और 3 इन्फ्राटेक क्षेत्र के लिए थे।
इस साल 17 फरवरी को जेएसडब्ल्यू ग्रुप ने 1.2 लाख टन क्षमता वाली कलर-कोटेड इस्पात विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की थी। जम्मू कश्मीर में हाल में लिथियम के विशाल भंडार का पता चला है और इस वजह से भी राज्य में निवेशकों की रुचि बढ़ी है।
चिली और ऑस्ट्रेलिया के बाद भारत अब लीथियम का सर्वाधिक भंडार वाला तीसरा देश बन गया है। यह भंडार इतना बड़ा है कि भारत में अगले 50 वर्षों तक लिथियम आयन सेल विनिर्माण आराम से होता रहेगा। खबरों के अनुसार सरकार राज्य में पाए गए लीथियम भंडार की नीलामी इस साल जून तक करना चाहती है। हालांकि इसके साथ एक शर्त यह होगी कि सभी परिष्कर भारत में ही किए जाएंगे।