भारत की रोजाना की बिजली की मांग बुधवार को 3 बजे 220 गीगावॉट के जादुई आंकड़े पर पहुंच गई। भारत के इतिहास में अब तक यह एक दिन की सर्वाधिक मांग है। बिजली मंत्रालय ने अपने अनुमान में देश में बिजली की मांग अप्रैल से जून महीनों के दौरान 220 गीगावॉट पहुंचने की उम्मीद जताई थी। अप्रैल महीने में बेमौसम बारिश हो गई, इसके कारण शीर्ष स्तर की मांग मई में पहुंच गई।
देश भर में तापमान बढ़ रहा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अगर मॉनसून के पहले के तड़ित झंझावत की बारिश से राहत नहीं मिलती है तो शीर्ष मांग 220 गीगावॉट के स्तर को पार कर सकती है। केंद्र सरकार ने बिजली की मांग इस स्तर पर पहुंचने पर कोयले की मांग की स्थिति का अनुमान लगाया है और इस साल गर्मी में 220 गीगावॉट की उच्च मांग को ध्यान में रखकर ग्रिड की तैयारियां की गई हैं।
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक ऐतिहासिक स्तर पर बिजली की उच्च मांग की स्थिति में ताप बिजली संयंत्रों को चलाने के लिए अप्रैल-जून 2023 के दौरान कुल 22.2 करोड़ टन कोयले की जरूरत होगी। इस साल की शुरुआत में बिजली मंत्रालय की ओर से लगाए गए अनुमान के मुताबिक घरेलू कोयले की उपलब्धता 20.1 करोड़ टन रहने की उम्मीद है, जबकि कुल मांग 22.2 करोड़ टन रहने की संभावना है।
इसकी वजह से घरेलू कोयले की रोजाना 1 लाख टन से लेकर 3 लाख टन तक की कमी रहेगी। इसे देखते हुए बिजली मंत्रालय ने इस साल जनवरी में सभी बिजली उत्पादन कंपनियों (जेनको) को उनकी कुल जरूरत का 6 प्रतिशत कोयला आयात करने का आदेश दिया था। बिजली मंत्रालय के इस प्रावधान के बाद 6 राज्यों और केंद्र के सार्वजनिक उद्यम एनटीपीसी ने पहले ही कोयले के आयात के लिए निविदा जारी कर दी है।
लेकिन बेमौसम बारिश ने राहत दी और अप्रैल में बिजली की मांग नहीं बढ़ी। इससे घरेलू कोयले की पर्याप्त मौजूदगी है। इस समय ताप बिजली संयंत्रों पर रोजाना (औसत) भंडार 3.2 करोड़ टन है, जिसमें घरेलू और आयातित दोनों कोयला शामिल है। इसकी वजह से बिजली संयंत्रों के पास 13 दिन संयंत्र चलाने के लिए पर्याप्त कोयला मौजूद है। एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि देश के सबसे बड़े बिजली उत्पादक एनटीपीसी के पास इस समय 12 से 15 दिन तक संयंत्र चलाने के लिए कोयले का भंडार है।