भारत ‘मेकिंग एआई इन इंडिया’ और ‘वर्क फॉर इंडिया’ के दोहरे उद्देश्य के साथ कृत्रिम मेधा (AI) को तेजी से आगे बढ़ा रही है। इसे हासिल करने के लिए सरकार अब भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों, स्टार्टअप और शैक्षणिक संस्थानों के साथ भागीदारी के जरिये इंडिया एआई कार्यक्रम का विस्तार कर रही है।
सरकार ने यह पहल तब की है जब दुनिया में एआई तकनीक की आंधी दिख रही है। हाल में माइक्रोसॉफ्ट ने अपने सर्च इंजन बिंग और ब्राउजर एज को ओपनएआई चैट जीपीटी (जेनरेटिव प्री ट्रेंड ट्रांसफॉर्मर) के साथ अपग्रेड करने की घोषणा की है। इसने सर्च इंजन बाजार के बादशाह गूगल को भी एआई बार्ड की घोषणा करने के लिए मजबूर कर दिया।
इतना ही नहीं चीन में बाइडू जैसी कंपनियां भी जीपीटी तकनीक से चलने वाला खुद का चैटपॉट बनाने की तैयारी कर रही हैं। जीपीटी न्यूरल मशीन लर्निंग है जो इंटरनेट पर मौजूद जानकारी का उपयोग करते हुए कोई भी सामग्री तैयार कर सकती है।
संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एआई पर सरकार के जोर के बारे में बताते हुए कहा, ‘एआई के लिए भारत के पास दुनिया की बेहतरीन प्रतिभा हैं। सरकार कृत्रिम मेधा के लिए तीन उत्कृष्टता केंद्र (जिसकी घोषणा बजट में की गई थी) स्थापित करने जा रही है। हम भारत में एआई बनाएंगे और भारत में एआई के लिए काम करेंगे।’
आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस नए सहयोगी रणनीति मॉडल के बारे में बताते हुए कहा, ‘भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों, स्टार्टअप और शैक्षणिक संस्थानों के साथ भागीदारी के जरिये इंडियाएआई का विस्तार किया जा रहा है। यह व्यापक एआई कार्यक्रम का हिस्सा है जिसमें नैशनल डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क पॉलिसी और तीन एआई उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना शामिल हैं।’
चंद्रशेखर ने कहा कि भारत में स्टार्टअप का परिवेश कफी जीवंत है जो जीपीटी सहित तमाम एआई ऐप्लिकेशन इसमें शामिल हैं। मगर प्रशिक्षण एवं लर्निंग के कई मॉडल हैं और जीपीटी उनमें से एक है। सरकार ने कृत्रिम मेधा के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत नौ प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है जिनमें कृषि, शिक्षा, भारतीय भाषाएं, स्मार्ट सिटी, साइबर सुरक्षा, परिवहन, फाइनैंस आदि शामिल हैं।
वैष्णव ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय विभिन्न भारतीय भाषाओं में चैट जीपीटी संबंधी समाधान के लिए एआई क्षेत्र में पहले ही काफी काम कर चुका है। उन्होंने कहा, ‘प्राकृतिक भाषा प्लेटफार्म भाषिणी इसका अच्छा उदाहरण है, जिसमें खुद ही अनुवाद हो जाता है। इसे चैट जीपीटी के साथ एकीकृत भी कर दिया गया है।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि स्टार्टअप और शिक्षाविदों द्वारा नवाचार एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय डेटा प्रशासन नीति तैयार की जाएगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय द्वारा तैयार मसौदा नीति में डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के तहत भारतीय डेटा प्रबंधन कार्यालय स्थापित करने की परिकल्पना की गई थी ताकि
गैर-व्यक्तिगत डेटा भेजने के लिए दिशानिर्देश एवं प्रोटोकॉल के साथ एक संस्थागत ढांचा तैयार किया जा सके। आईएमडीओ इस डेटा के प्रबंधन को मानकीकृत करने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों के साथ तालमेल बिठाएगा।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि साझा की जाने वाली गैर-निजी जानकारी मौसम या जलवायु आदि की तरह सरकार के पास उपलब्ध डेटा तक सीमित होगी। जब इस डेटा को एआई उपकरण से लैस किया जाएगा तो कृषि के लिए मॉनसून की भविष्यवाणी करने में मदद मिल सकती है।