अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौता इंडोनेशिया के साथ किए गए करार की तर्ज पर होगा। इंडोनेशिया के उत्पादों पर अमेरिका में 19 फीसदी शुल्क लगेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को भी प्रस्तावित अंतरिम व्यापार समझौते के तहत मौजूदा 10 फीसदी से अधिक शुल्क के लिए तैयार रहना होगा। ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि इंडोनेशिया के साथ द्विपक्षीय समझौते के परिणामस्वरूप अमेरिकी माल इंडोनेशियाई बाजार में बिना शुल्क के पहुंच जाएगा, जिसमें तांबा जैसी मूल्यवान धातुएं शामिल हैं। दूसरी ओर इंडोनेशिया को अमेरिकी बाजार में निर्यात पर 19 फीसदी शुल्क देना पड़ेगा, जो पहले प्रस्तावित 32 फीसदी शुल्क से कम है।
ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम कुछ सौदों पर बातचीत कर रहे हैं जिनकी घोषणा होने वाली है। भारत मूल रूप से उसी दिशा में काम कर रहा है। हमें भारत तक पहुंच मिलेगी और आपको यह समझने की जरूरत है कि हमारे पास इनमें से किसी भी देश में कोई पहुंच नहीं थी। अब हम शुल्क के साथ जो कर रहे हैं उसके कारण बाजार में पहुंच मिल रही है।’ यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब अमेरिका 1 अगस्त से पहले कई देशों के साथ व्यापार सौदे करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका ने स्पष्ट तौर पर देशों से कहा है कि वे उसके साथ सौदा करें या दो अंक के ऊंचे जवाबी शुल्क के लिए तैयार रहें।
भारत से अधिकारियों का एक दल अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत करने वाशिंगटन गया है। भारत अमेरिका के प्रस्तावित 26 फीसदी जवाबी शुल्क और मौजूदा 10 फीसदी बुनियादी शुल्क से छूट के लिए कड़ी सौदेबाजी कर रहा है। हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि ट्रंप के ताजा बयान को देखते हुए 10 फीसदी शुल्क में छूट मिलने की संभावना कम ही दिख रही है। व्यापार अर्थशास्त्री विश्वजित धर ने कहा कि 10 फीसदी का बुनियादी शुल्क बरकरार रहने की संभावना है और भारत को ऊंचे शुल्क के लिए तैयार रहना चाहिए।
वाणिज्य मंत्रालय के पूर्व अधिकारी और ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप प्रशासन के मौजूदा दृष्टिकोण को देखते हुए भारत को अमेरिका के साथ किसी भी व्यापार सौदे पर बातचीत करने में अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘ट्रंप की एकतरफा घोषणाएं जैसे इंडोनेशिया के साथ ‘डन डील’ का दावा करना और यह कहना कि भारत ‘उसी दिशा में काम कर रहा है’, अक्सर वास्तविक वार्ताओं को रोक देती हैं। वियतनाम के मामले में भी ऐसा ही हुआ था। जहां ट्रंप ने कथित सौदे के हिस्से के रूप में वियतनामी सामान पर 20 फीसदी शुल्क की घोषणा की जबकि वियतनामी अधिकारियों ने कहा कि वे केवल 11 फीसदी पर सहमत हुए थे।’ श्रीवास्तव ने कहा कि इस तरह की गलतबयानी से बचने के लिए भारत को किसी भी समझौते को स्वीकार करने से पहले संयुक्त रूप से जारी लिखित बयान पर जोर देना चाहिए।’