मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने आज भरोसा जताया कि भारत-अमेरिका शुल्क पर बातचीत अगले दो महीनों में पूरी हो जाएगी और जवाबी शुल्क तथा रूस से तेल खरीदने के लिए लगा अतिरिक्त 25 फीसदी शुल्क के मुद्दे के समाधान की प्रबल संभावना है। नागेश्वरन ने मर्चेंट चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘हाल के हफ्तों के घटनाक्रम को देखते हुए मेरा मानना है कि अतिरिक्त शुल्क 30 नवंबर से आगे लागू नहीं होगा। मेरा पूरा विश्वास है कि अगले दो महीनों में शुल्क के मुद्दे का समाधान हो जाएगा।’
भारत और अमेरिका के मुख्य वार्ताकारों ने मंगलवार को अपने द्विपक्षीय संबंधों में हाल के तनावों को दरकिनार करते हुए पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते पर जल्द से जल्द पहुंचने के प्रयास तेज करने का निर्णय लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के लिए किए गए फोन कॉल से भी दोनों देशों के बीच संबंधों के तेजी से सामान्य होने का संकेत मिलता है।
भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में नागेश्वरन ने यह भी कहा कि 25 फीसदी जवाबी शुल्क उस स्तर पर, यानी 10 से 15 फीसदी के बीच आ सकता है जिसकी हम पहले उम्मीद कर रहे थे। अगर ऐसा होता है तो यह जश्न मनाने का और भी बड़ा अवसर होगा।
पिछले साल भारत ने अमेरिका को लगभग 86.5 अरब डॉलर मूल्य के सामान का निर्यात किया था मगर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क के साथ कुल 50 फीसदी शुल्क लगाने से निर्यात को बड़ा झटका लगा है।
नागेश्वरन ने कहा कि मामले का समाधान न केवल व्यापार के दृष्टिकोण से बल्कि समग्र भावना और पूंजी निर्माण आदि के परिप्रेक्ष्य से भी महत्त्वपूर्ण है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर नागेश्वरन ने कहा कि आंकड़े मजबूती का संकेत दे रहे हैं जबकि अमेरिकी शुल्क से पहले इसमें नरमी का अनुमान लगाया गया था। उन्होंने कहा, ‘हमें आश्चर्य नहीं होगा अगर दूसरी तिमाही में वृद्धि दर फिर से 7 फीसदी हो जाए।’
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.8 फीसदी रही थी। नागेश्वरन ने कहा कि वृद्धि दर का आंकड़ा केवल कम मुद्रास्फीति से प्रेरित नहीं था बल्कि इसमें विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों का अहम योगदान था।
उन्होंने कहा कि अगले दो तिमाही में वृद्धि दर को गति देने में कृषि क्षेत्र बड़े पैमाने पर योगदान देगा। नागेश्वरन ने कहा, ‘यह हमें ट्रैक्टरों की बिक्री, बोआई का रकबा, जलाशयों में पानी की मात्रा और मॉनसूनी बारिश से पता चलता है।’
शहरी खपत हाल तक चिंता का विषय रहा है। इस पर मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि कर मोर्चे पर हाल के घटनाक्रम के बाद पिछले वर्ष की तुलना में इसमें सुधार होने की संभावना है।
बजट में प्रत्यक्ष कर राहत, खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती से शहरी उपभोक्ताओं के हाथों में खर्च के लिए ज्यादा पैसे आ रहे हैं जिससे उनकी क्रयशक्ति भी बढ़ रही है।