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भारत ने लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया, राजनाथ ने इसे ‘ऐतिहासिक’ बताया

डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों की मौजूदगी में इस मिसाइल का परीक्षण किया गया।

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भाषा   
Last Updated- November 17, 2024 | 5:56 PM IST

भारत ने एक बड़ी सैन्य उपलब्धि हासिल करते हुए ओडिशा के तट से लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिससे वह उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास अत्यधिक तेज गति से और हवाई रक्षा प्रणालियों से बचते हुए हमला करने की क्षमता वाला हथियार है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के पहले लंबी दूरी के हाइपरसोनिक मिशन के तहत शनिवार को हुए मिसाइल परीक्षण को ‘‘शानदार’’ उपलब्धि और ‘‘ऐतिहासिक क्षण’’ बताया। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित मिसाइल को 1,500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक विभिन्न पेलोड ले जाने में सक्षम बनाया गया है।

रक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत ने ओडिशा के तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण करके एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह एक ऐतिहासिक पल है और इस महत्वपूर्ण उपलब्धि ने हमारे देश को उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल कर दिया है जिनके पास ऐसी अहम और उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकियां हैं।’’

आम तौर पर, पारंपरिक आयुध या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइलें समुद्र तल पर प्रति घंटे ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक (तकरीबन 1,220 किलोमीटर या पांच मैक) गति से उड़ान भर सकती हैं। हालांकि, कुछ उन्नत हाइपरसोनिक मिसाइलें 15 मैक से अधिक की गति से उड़ान भर सकती हैं। वर्तमान में, रूस और चीन हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करने में बहुत आगे हैं जबकि अमेरिका अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के तहत ऐसे हथियारों की एक श्रृंखला विकसित करने की प्रक्रिया में है। फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ईरान और इजराइल समेत कई अन्य देश भी हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणालियां विकसित करने की परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।

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हाइपरसोनिक मिसाइलों को अत्यधिक गतिशील और द्रुतगामी माना जाता है क्योंकि वे बीच में ही रास्ता बदल सकती हैं। पांच मैक तक उड़ान भरने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों की उनकी पूर्व निर्धारित प्रक्षेप पथ को देखते हुए सीमित गतिशीलता होती है।

रक्षा मंत्री सिंह ने डीआरडीओ, सशस्त्र बलों आदि को इस ‘‘शानदार’’ उपलब्धि के लिए बधाई दी। यह मिसाइल डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स, हैदराबाद की प्रयोगशालाओं ने डीआरडीओ की विभिन्न अन्य प्रयोगशालाओं तथा उद्योग साझेदारों के साथ मिलकर स्वदेशी रूप से विकसित की है। डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों की मौजूदगी में इस मिसाइल का परीक्षण किया गया।

इस मिसाइल का परीक्षण ऐसे वक्त में किया गया है जब भारत चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति की पृष्ठभूमि में अपनी लड़ाकू क्षमताएं बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। पिछले कुछ वर्ष में भारत ड्रोन, हाइपरसोनिक मिसाइल और कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस उपकरण जैसी अगली पीढ़ी की हथियार प्रणालियां विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। डीआरडीओ ने पहले ही ‘‘पृथ्वी’’, ‘‘आकाश’’ और ‘‘अग्नि’’ समेत कई मिसाइलें विकसित की हैं।

First Published : November 17, 2024 | 5:56 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)