देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई | फाइल फोटो
देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर वस्तु फेंकने की कोशिश करने वाले एक अधिवक्ता को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सोमवार को निलंबित कर दिया। घटना सोमवार सुबह करीब 11.35 बजे हुई। मुख्य न्यायाधीश अदालत कक्ष में वकीलों की याचिकाओं की सुनवाई कर रहे थे, तभी अधिवक्ता राकेश किशोर ने कथित रूप से एक वस्तु उठाई और मुख्य न्यायाधीश गवई की ओर उछाल दिया।
किशोर को यह चीखते हुए भी सुना गया कि भारत सनातन धर्म का अपमान नहीं सहन करेगा। सुरक्षाकर्मियों द्वारा किशोर को अदालत से बाहर ले जाया गया।
मामूली बाधा के बाद अदालत का कामकाज जारी रहा। अगले अधिवक्ता को पुकारने के बाद न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘इससे अपना ध्यान भटकने न दें। हमें इससे फर्क नहीं पड़ता।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई पर हुए हमले के बाद उनसे बात की। मोदी ने एक्स पर लिखा, ‘मैंने न्यायाधीश बी आर गवई जी से बात की है। उच्चतम न्यायालय परिसर में उन पर हुए हमले से देश का हरेक नागरिक आक्रोश में है। एक सभ्य समाज में ऐसे निंदनीय कृत्य के लिए कोई जगह नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने उन पर हमले के बाद भी जिस तरह संयम बनाए रखा मैं उसकी प्रशंसा करता हूं। यह न्यायाधीश के न्याय मूल्यों के प्रति निष्ठा और संविधान को मजबूत करने के उनके जज्बे को परिलक्षित करता है।’
निलंबन संबंधी पत्र में बार काउंसिल ने कहा कि किशोर का आचरण उसके नियमों तथा अदालत की गरिमा के प्रतिकूल है और इसलिए उन्हें तत्काल निलंबित किया जाता है। निलंबन की अवधि के दौरान, अधिवक्ता भारत में किसी भी न्यायालय, न्यायाधिकरण या प्राधिकरण के समक्ष उपस्थित नहीं हो सकता, कार्य नहीं कर सकता या वकालत नहीं कर सकता। उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जाएगी, और कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जाएगा जिसमें अधिवक्ता से 15 दिनों के भीतर यह स्पष्ट करने को कहा जाएगा कि बार काउंसिल के नियमों के अनुसार निलंबन क्यों जारी न रखा जाए।
सूत्रों के मुताबिक बाद में 71 वर्षीय किशोर को दिल्ली पुलिस ने तीन घंटे की पूछताछ के बाद उस समय जाने दिया जब मुख्य न्यायाधीश के निर्देशों के बाद सर्वोच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार ने कोई आरोप लगाने से इनकार कर दिया। किशोर की हरकत को खजुराहो में भगवान विष्णु की सात फुट की शीश विहीन प्रतिमा की पुन:स्थापना से जुड़े मामले में मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी से जोड़कर देखा जा रहा है। न्यायमूर्ति गवई ने कथित रूप से याची से कहा था, ‘जाओ और खुद देवता से पूछो कि गायब सिर के बारे में क्या किया जा सकता है।’
न्यायमूर्ति ने कथित रूप से कहा था, ‘तुम कहते हो कि तुम भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो। तो अब जाओ और प्रार्थना करो। यह एक पुरातात्विक स्थल है और इसके लिए एएसआई की अनुमति जरूरी है…’।
इस वक्तव्य के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई थी और मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी मुख्य न्यायाधीश का समर्थन करते हुए कहा था कि उनके बयान को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया।
मेहता ने सोमवार को एक वक्तव्य में कहा कि मुख्य न्यायाधीश की ओर वस्तु उछालने की घटना सोशल मीडिया पर गलत सूचना का परिणाम है। कई अधिवक्ता संघों और राजनीतिक दलों ने भी घटना की निंदा की।