भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तेजी से फैसले लेने और युद्ध के हालात को बेहतर समझने के लिए देश में बने सॉफ्टवेयर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स का इस्तेमाल किया। सेना के सीनियर अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव कुमार साहनी (DG EME) ने सोमवार को बताया कि अगले छह महीने में सेना का अपना खास बड़ा लैंग्वेज मॉडल (LLM) भी चालू हो जाएगा।
लेफ्टिनेंट जनरल साहनी ने कहा कि ये टूल्स किसी खास देश के खिलाफ नहीं, बल्कि सेना की क्षमता बढ़ाने के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने बताया, “जब जरूरत होगी, ये टूल्स हमारी सभी सीमाओं पर तैनात किए जाएंगे।” साहनी ने बताया कि ये टूल्स पूरी तरह से भारत में बनाए गए हैं और सेना द्वारा दिए गए डेटा से ट्रेन किए गए हैं, ताकि सेना के ऑपरेशन और नियमों की जरूरतें पूरी हो सकें।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना ने लगभग 23 एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर एक सामान्य ऑपरेशन, इंटेलिजेंस और लॉजिस्टिक्स की तस्वीर बनाई। इसके लिए बड़ी मात्रा में डेटा को रियल टाइम में इकट्ठा और प्रोसेस किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल साहनी ने कहा, “AI का इस्तेमाल अलग-अलग सेंसर और सोर्स से आए डेटा को जोड़ने और समझने के लिए किया गया।”
छोटे भाषा मॉडल और अन्य AI टूल्स का इस्तेमाल डेटा इकट्ठा करने और उसे समझने के लिए किया गया। उन्होंने कहा, “AI की मदद से तीन घंटे के भीतर खतरे का पता लगाया गया, जानकारी का विश्लेषण किया गया और युद्ध के हालात देखे गए।”
ऑपरेशन सिंदूर में AI टूल्स का इस्तेमाल सटीक निशाना लगाने में भी हुआ। एक ऐप (DGIS और मौसम विभाग ने मिलकर बनाया) 72 घंटे का मौसम का पूर्वानुमान देता था, यह दुश्मन इलाके का हाल भी बता देता था। इससे तोपखाने को लंबी दूरी पर सही निशाना लगाने में मदद मिली।
पश्चिमी सीमाओं पर SANJAY बैटलफील्ड सर्विलांस सिस्टम (BSS) लगाया गया। इस सिस्टम ने सीधे युद्धक्षेत्र पर AI का इस्तेमाल कर डेटा को समझने और फैसले लेने में मदद की, जिससे दूर के सर्वरों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ी।
DGIS ने एक इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस एप्लिकेशन तैयार किया। इस AI मॉडल को पिछले 26 साल के डेटा से प्रशिक्षित किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल साहनी ने कहा कि इसने दुश्मन के सभी सेंसर, उनकी फ्रीक्वेंसी और लोकेशन को 90% सटीकता से ट्रैक किया।
उन्होंने यह भी बताया कि फैसले लेने में हमेशा इंसान भी शामिल रहता है, यानी AI अकेले काम नहीं करता।
साहनी ने बताया कि सेना में ‘AI as a Service’ शुरू किया जा रहा है। इसका मतलब है कि जो भी AI टूल आम लोगों के स्मार्टफोन पर होता है, वही सेना के लिए भी अपने सिस्टम में उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि ‘Jigyasa’ हमारी खुद की Generative AI है, जिससे हमें बाहरी AI मॉडल इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
चीन के पाकिस्तान को समर्थन और उनकी AI क्षमताओं पर सवाल पूछे जाने पर लेफ्टिनेंट जनरल साहनी ने कहा कि सेना किसी खास देश को निशाना नहीं बना रही है और भारत का AI मिशन, IndiaAI, के साथ पूरी तरह मेल खाता है।
मार्च 2024 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्तर पर IndiaAI मिशन को मंजूरी दी थी, जिसका बजट ₹10,371.92 करोड़ है।