अमेरिका ने भारत को बौद्धिक संपदा अधिकारों (intellectual property rights) के संरक्षण व क्रियान्वयन करने के मामले में निगरानी सूची में रखा है। यूनाइटिड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (यूएसटीआर) ने भारत को ‘प्राथमिक निगरानी सूची’ में रखा है। उसने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण व लागू करने में विश्व की सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत भी है। इस सूची में शामिल छह अन्य देश चीन, रूस, इंडोनेशिया, चिली, अर्जेंटीना और वेनेजुएला हैं।
भारत बीते एक दशक से ‘प्राथमिक निगरानी सूची’ में है। स्पेशल 301 रिपोर्ट में बौद्धिक संपदा के संरक्षण व लागू करने की वैश्विक स्थिति की वार्षिक समीक्षा है। इस रिपोर्ट के संदर्भ में यूएसटीआर ने कहा कि बीते एक साल से भारत बौद्धिक संपदा संरक्षण और उसे लागू करने के मामले में एक समान नहीं रहा है। इसके अलावा भारत के साथ पेंटेंट के मुद्दे भी चिंता का विषय हैं।
यूएसटीआर ने कहा, ‘‘भारत ने बौद्धिक संपदा को मजूबत करने के लिए कार्य किया है। इसके तहत बौद्धिक संपदा के महत्त्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाई गई है और अमेरिका के साथ आईपी के मुद्दे पर परस्पर सहयोग बढ़ा है। हालांकि स्पेशल 301 रिपोटर्स में उजागर लंबित आई मुद्दों की चिंताओं पर प्रगति की कमी बनी हुई है।’’ इसमें यह भी कहा गया है कि भारत के पेटेंट अधिनियम के तहत पेटेंट के निरस्त होने के संभावित खतरे, पेटेंट वैधता की धारणा की कमी और पेटेंट का संकुचित होता मानदंड है। इससे विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों पर प्रभाव पड़ा है।
हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक भारत प्रौद्योगिकियों तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए आईपी सुरक्षा को सीमित करने को जायज ठहराता रहा है। भारत चिकित्सा उपकरणों, औषधि, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उत्पादों, सौर ऊर्जा उपकरण और पूंजीगत सामान जैसे आईपी उत्पादों पर सीमा शुल्क लगाता है। हालांकि भारत ने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन का प्रारूप तय किया है। इसमें पुराने प्रारूप में उठाई गई बौद्धिक संपदा संरक्षण की चिंताओं के निराकरण के लिए कदम उठाए गए हैं। हालांकि साझेदार विधेयक की संक्षिप्त भाषा पर चिंता जताई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘विधेयक के लागू होने के बाद नियम बनाने के चरण में समस्यात्मक मुद्दों को फिर से प्रस्तुत किया जा सकता है।’’ कारोबार से जुड़ी एजेंसियों के मुताबिक भारत में समग्र रूप से बौद्धिक संपदा लागू करना अपर्याप्त है और नकली ट्रेडमार्क समस्या का विषय है।