भारत ने कोयला उत्पादन के मोर्चे पर गुरुवार को 1 अरब टन के पड़ाव को पार कर लिया। यह एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि देश में कोयला खनन शुरू होने के बाद यह अब तक का सबसे अधिक उत्पादन है। चालू वित्त वर्ष के समापन से कुछ दिन पहले यह रिकॉर्ड हासिल किया गया है।
केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, ‘हमने अत्याधुनिक तकनीकों और कुशल तरीकों के जरिये न केवल उत्पादन बढ़ाया है बल्कि सतत एवं जिम्मेदार खनन को भी सुनिश्चित किया है। इस उपलब्धि से हमें लगातार बढ़ रही बिजली की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही यह आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देगी और हर भारतीय के लिए एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करेगी।’
इससे पहले केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024 तक कोयला उत्पादन 1 अरब टन तक पहुंचने का अनुमान लगाया था, मगर बाद में समय-सीमा को वित्त वर्ष 2025 तक बढ़ा दिया गया था। कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि यह रिकॉर्ड उत्पादन सरकार के रणनीतिक सुधारों और उसकी नीतियों को दर्शाता है। इनमें खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम में संशोधन और कोयला ब्लॉकों की वाणिज्यिक नीलामी के जरिये कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलना आदि शामिल हैं। बयान में कहा गया है, ‘इन उपायों के कारण घरेलू कोयले की उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे आयात में काफी कमी आई और विदेशी मुद्रा की बचत करने में मदद मिली है। अप्रैल से दिसंबर 2024 के दौरान कोयला आयात में 8.4 फीसदी की गिरावट आई जिससे करीब 5.43 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है।’
कोविड काल के दौरान मांग एवं आपूर्ति में काफी अंतर दिखने के बाद पिछले दो वर्षों के दौरान कोयला उत्पादन में उछाल आई है। कोल इंडिया के उत्पादन में वृद्धि के अलावा निजी स्वामित्व वाली खदानों से अधिक उत्पादन के कारण ऐसा संभव हुआ है।
कोल इंडिया ने इस समाचार पत्र को दिए एक बयान में कहा है, ‘कोयला उत्पादन के मामले में 1 अरब टन के आंकड़े को पार करना वास्तव में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। स्वदेशी उत्पादन में वृद्धि आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।’