Global Capability Centers: भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) का विस्तार तेजी से हो रहा है। इस समय भारत में विश्व के आधे से ज्यादा जीसीसी हैं क्योंकि कंपनियां लागत कम करने और कुशल कार्यबल के लिए इन पर अधिक जोर दे रही हैं। आने वाले वर्षों में इनकी संख्या में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है। भारत में अब जीसीसी का प्रमुख 6 शहरों के अलावा टियर-2 यानी मझोले शहरों में भी विस्तार होने लगा है। जीसीसी में आईटी का दबदबा है। लेकिन दूसरे सेक्टर भी अब तेजी से इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं।
रिसर्च फर्म वेस्टियन रिसर्च के अनुसार 1990 के दशक में अपने शुरुआत के बाद से जीसीसी काफी विकसित हुए हैं। इस समय दुनिया भर में जीसीसी की संख्या करीब 3,200 है। इसमें आधे से अधिक 53 फीसदी 1,700 जीसीसी भारत में है। इन जीसीसी में भारत के शीर्ष छह शहर जैसे बेंगलूरु, हैदराबाद, चेन्नई, एनसीआर, मुंबई और पुणे की देश में जीसीसी की कुल संख्या में 94 फीसदी हिस्सेदारी है।
वेस्टियन रिसर्च के अनुसार भारत में जीसीसी की कुल संख्या वित्त वर्ष 2028 तक 2,100 से अधिक होने का अनुमान है, जो 8 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रही है। हर साल औसतन 150 नए जीसीसी स्थापित होने की उम्मीद है।
वेस्टियन के सीईओ श्रीनिवास राव ने कहा कि भारत के अग्रणी ऑफिस मार्केट, प्रतिस्पर्धी लागत, उच्च कुशल कार्यबल, मजबूत बुनियादी ढांचा, प्रगतिशील नीतिगत प्रोत्साहन और अनुकूल व्यावसायिक वातावरण जीसीसी को बढ़ावा दे रहा है। हालांकि किसी भी जीसीसी की दीर्घकालिक सफलता के लिए सही स्थान का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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वर्तमान में 6 प्रमुख शहर जीसीसी के मामले में अभी भी अग्रणी बने हुए हैं। लेकिन धीरे धीरे जीसीसी का विस्तार टियर-2 यानी मझोले शहरों की ओर भी हो रहा है। इस बदलाव को केंद्रीय बजट 2025 से और बल मिलता है, जिसमें उभरते मझोले शहरों में जीसीसी के विस्तार को सुगम बनाने के लिए एक राष्ट्रीय ढांचे का प्रस्ताव है। इससे देश भर में जीसीसी की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। भारत में जिन मझोले शहरों में जीसीसी का विस्तार हो रहा है, उनमें कोलकाता, कोच्चि, अहमदाबाद, चंडीगढ़, कोयम्बटूर, वडोदरा, नासिक, त्रिवेन्द्रम, जोधपुर, वारंगल, बड़ौदा, विशाखापत्तनम, भोगापुरम, जयपुर, सूरत, मोहाली, भुवनेश्वर, इंदौर, मैसूर, मदुरै और भोपाल आदि शामिल हैं।
भारत में जीसीसी परिदृश्य में आईटी-आईटीईएस क्षेत्र का दबदबा अभी भी बना हुआ है। देश भर में जीसीसी की कुल संख्या का लगभग 49 फीसदी हिस्सा आईटी-आईटीईएस का ही है। इसके बाद दूसरे नंबर पर 17 फीसदी हिस्सेदारी के साथ बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा (बीएफएसआई)है। लेकिन जीसीसी से कुछ नए क्षेत्र भी जुड़ रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा एवं जीवन विज्ञान, इंजीनियरिंग एवं विनिर्माण, परामर्श सेवाएं और दूरसंचार एवं मीडिया क्षेत्र का भारत में जीसीसी की कुल संख्या में करीब 19 फीसदी योगदान है।
बेंगलूरु में विभिन्न उद्योगों में फैले 487 जीसीसी हैं, जो भारत के प्रमुख शहरों में सबसे ज्यादा हैं और देश के कुल जीसीसी का 29 फीसदी हिस्सा है। 273 जीसीसी की मौजूदगी के साथ हैदराबाद देश में सबसे तेजी से बढ़ते जीसीसी केंद्र के रूप में उभरा है। देश के कुल जीसीसी का 16 फीसदी हिस्सा यहां स्थित है, जो शीर्ष छह शहरों में दूसरे स्थान पर है। एनसीआर क्षेत्र में 272 जीसीसी हैं, जो देश के कुल जीसीसी का 16 फीसदी हिस्सा हैं।
इसकी रणनीतिक स्थिति, सरकारी संस्थानों से निकटता और मजबूत बुनियादी ढांचा कई वैश्विक कंपनियों को यहां जीसीसी स्थापित करने के लिए आकर्षित करता है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 207 जीसीसी हैं, जो देश के कुल जीसीसी का 12 फीसदी हिस्सा है। पुणे में 178 जीसीसी हैं, जो देश के कुल जीसीसी का 11 फीसदी है। चेन्नई भारत में सबसे तेजी से बढ़ते जीसीसी केंद्रों में से एक है, जहां 162 जीसीसी मौजूद हैं, जो देश के कुल जीसीसी का लगभग 10 फीसदी है।