गौतम अदाणी के नेतृत्व वाली अदाणी ग्रुप उत्तर प्रदेश में कमर्शियल न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी कर रहा है। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले से जुड़े लोगों के मुताबिक, अदाणी ग्रुप उत्तर प्रदेश सरकार के साथ इसको लेकर बातचीत कर रहा है। योजना के तहत राज्य में आठ छोटे मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर लगाए जाएंगे, जिनमें से हर एक की क्षमता 200 मेगावाट होगी। इस तरह कुल 1600 मेगावाट न्यूक्लियर बिजली पैदा की जा सकेगी।
यह कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है, जब भारत सरकार न्यूक्लियर सेक्टर को प्राइवेट कंपनियों के लिए खोल रही है। इससे अदाणी ग्रुप को इस सेक्टर में शुरुआती बढ़त मिल सकती है। एशिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी गौतम अदाणी अपने एनर्जी बिजनेस को और फैलाने के इरादे से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।
फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार ने पावर प्लांट के लिए नदी किनारे कोई जगह तय नहीं की है। न्यूक्लियर रिएक्टर्स के लिए लगातार पानी की सप्लाई जरूरी होती है, इसलिए साइट का नदी के पास होना अहम माना जा रहा है।
यह बातचीत ऐसे वक्त हो रही है, जब मोदी सरकार देश के एनर्जी मिक्स में बदलाव पर जोर दे रही है। सरकार फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम करना चाहती है, वहीं डेटा सेंटर्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी तकनीकों की वजह से बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसी बीच गुरुवार को संसद ने न्यूक्लियर इंडस्ट्री को खोलने का फैसला लिया। इस सेक्टर पर दशकों से कड़े नियम लागू थे, जिनकी वजह से निवेश रुक गया था। नए फैसले से करीब 214 अरब डॉलर के निवेश के रास्ते खुलेंगे।
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अदाणी ग्रुप और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच होने वाली यह डील पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर आधारित होगी। इसके तहत सरकारी कंपनी न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड इस पावर प्लांट को ऑपरेट करेगी, जबकि प्रोजेक्ट अदाणी ग्रुप का होगा।
सरकारी संस्था भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर इन 200 मेगावाट के छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के डिजाइन और डेवलपमेंट पर काम कर रही है। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इस पूरे प्रोजेक्ट को पूरा होने में करीब पांच से छह साल लग सकते हैं। इसमें ज्यादा समय इसलिए लग सकता है, क्योंकि अदाणी ग्रुप इस सेक्टर में नया है।
फरवरी में पेश किए गए बजट में सरकार ने न्यूक्लियर एनर्जी मिशन का ऐलान किया था। इसके तहत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के रिसर्च और डेवलपमेंट पर 200 अरब रुपये खर्च किए जाएंगे।
अदाणी ग्रुप के अलावा टाटा ग्रुप, रिलायंस इंडस्ट्रीज और जेएसडब्ल्यू ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियां भी न्यूक्लियर सेक्टर में एंट्री की कोशिश कर रही हैं। अक्टूबर में न्यूज एजेंसी पीटीआई ने इस बारे में रिपोर्ट दी थी।
बता दें कि भारत का लक्ष्य साल 2047 तक 100 गीगावाट न्यूक्लियर पावर क्षमता हासिल करना है। फिलहाल देश में सात जगहों पर करीब दो दर्जन न्यूक्लियर रिएक्टर काम कर रहे हैं, जो कुल बिजली उत्पादन का करीब 3 फीसदी हिस्सा हैं। इनकी मौजूदा क्षमता 8780 मेगावाट है, जिसे चल रहे और प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स के जरिए 13600 मेगावाट तक बढ़ाने की योजना है।
न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पूरे मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार और अदाणी ग्रुप की ओर से भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला। वहीं, परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रवक्ता ने भी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।