इस हफ्ते भारत के दक्षिण में स्थित फॉक्सकॉन की फैक्ट्री में भारतीय श्रम अधिकारियों ने छापा मारा और कंपनी के अधिकारियों से भर्ती के तरीकों के बारे में पूछताछ की। एक न्यूज रिपोर्ट के बाद यह कार्रवाई की गई, जिसमें बताया गया था कि ऐप्पल का यह बड़ा सप्लायर विवाहित महिलाओं को iPhone असेंबली जॉब्स देने से इनकार कर रहा है।
क्षेत्रीय श्रम विभाग की केंद्र सरकार की एक पांच सदस्यीय टीम ने 1 जुलाई को तमिलनाडु राज्य के चेन्नई के पास स्थित फॉक्सकॉन कारखाने का दौरा किया और कंपनी के डायरेक्टर्स और HR अधिकारियों से बात की। क्षेत्रीय श्रम कमिश्नर, ए. नरसैया ने बुधवार को रॉयटर्स को फोन पर बताया कि टीम ने अधिकारियों से कंपनी की भर्ती प्रैक्टिस के बारे में सवाल किए।
रिपोर्ट के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने राज्य के अधिकारियों और केंद्र सरकार के क्षेत्रीय मुख्य श्रम कमिश्नर के ऑफिस को इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा था।
“हम सूचना एकत्र कर रहे हैं, और कंपनी को कंपनी पॉलिसी, भर्ती पॉलिसी जैसे दस्तावेज जमा करने के लिए कहा है” साथ ही श्रम कानूनों के अनुपालन के प्रमाण और मैटरनिटी और रिटायरमेंट लाभों की जानकारी भी मांगी है। नरसिम्हा ने बताया, “उन्होंने हमें बताया कि वे भेदभाव नहीं कर रहे हैं।”
नरसिम्हा ने बताया कि फॉक्सकॉन ने श्रम अधिकारियों को बताया कि कारखाने में 41,281 लोग काम करते हैं, जिनमें 33,360 महिलाएं शामिल हैं। उन्होंने फॉक्सकॉन के दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि इन महिलाओं में से लगभग 2,750 या 8% विवाहित थीं।
फॉक्सकॉन ने यह नहीं बताया कि कर्मचारियों की संख्या किस विभाग में कितनी है, उदाहरण के लिए iPhone असेंबली लाइन में, जहां रॉयटर्स ने बताया था कि भेदभाव हो रहा है। नरसिम्हा ने बताया कि श्रम निरीक्षकों ने कारखाने के अंदर 40 विवाहित महिलाओं से बात की, जिन्होंने भेदभाव के बारे में कोई शिकायत नहीं की।
नरसिम्हा का कहना है कि फिलहाल उनकी फॉक्सकॉन के उन थर्ड-पार्टी हायरिंग एजेंटों से पूछताछ करने की कोई योजना नहीं है, जो उम्मीदवारों को ढूंढकर उन्हें इंटरव्यू के लिए कारखाने में लाते हैं।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के बाद हरकत में आई सरकार
पिछले हफ्ते पब्लिश रॉयटर्स की जांच में पाया गया कि फॉक्सकॉन ने अपने मुख्य भारतीय iPhone प्लांट में विवाहित महिलाओं को असेंबली जॉब देने से व्यवस्थित रूप से मना कर दिया था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उनका मानना था कि अविवाहित महिलाओं की तुलना में विवाहित महिलाओं की पारिवारिक जिम्मेदारियां ज्यादा होती हैं। फॉक्सकॉन के HR सूत्रों और थर्ड-पार्टी हायरिंग एजेंटों ने विवाहित महिलाओं को न रखने के कारणों के रूप में पारिवारिक जिम्मेदारियों, गर्भावस्था और ज्यादा छुट्टी लेने की संभावना को बताया।
जांच में यह भी पाया गया कि ताइवान स्थित फॉक्सकॉन उत्पादन ज्यादा होने पर विवाहित महिलाओं को न रखने की अपनी नीति में ढील देता है।
इस खबर के बाद टीवी चैनलों पर बहस, अखबारों में एडिटोरियल और विपक्षी दलों के नेताओं और महिला संगठनों, यहां तक कि पीएम मोदी की पार्टी के भीतर से भी मामले की जांच की मांग उठी है।
रॉयटर्स की जांच के जवाब में, Apple और Foxconn ने माना कि 2022 में भर्ती प्रक्रियाओं में चूक हुई थी और उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए काम किया था। हालांकि, रॉयटर्स द्वारा तमिलनाडु प्लांट में पाए गए भेदभावपूर्ण तरीके 2023 और 2024 में हुए थे। कंपनियों ने इन मामलों को लेकर कोई कदम नहीं उठाया।
फॉक्सकॉन, जिसे पहले Hon Hai Precision इंडस्ट्री के नाम से जाना जाता था, ने पहले कहा था कि वह “वैवाहिक स्टेटस, लिंग, धर्म या किसी अन्य आधार पर रोजगार भेदभाव के आरोपों का पुरजोर खंडन करती है।”
एप्पल का कहना है कि उसके सभी सप्लायर्स, जिनमें फॉक्सकॉन भी शामिल है, विवाहित महिलाओं को काम पर रखते हैं और “जब 2022 में पहली बार भर्ती प्रैक्टिस को लेकर चिंता जताई गई थी, तो हमने तुरंत कार्रवाई की और अपने सप्लायर्स के साथ मिलकर मासिक जांच की ताकि समस्याओं की पहचान की जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे हाई स्टैंडर्ड को बनाए रखा जाए।”
भारतीय कानून कंपनियों को वैवाहिक स्टेटस के आधार पर भेदभाव करने से नहीं रोकता है, हालांकि Apple और Foxconn की नीतियां उनकी सप्लाई चेन में इस तरह के भेदभाव को रोकती हैं। (रॉयटर्स के इनपुट के साथ)