facebookmetapixel
खरीदारी पर श्राद्ध – जीएसटी की छाया, मॉल में सूने पड़े ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोरएयरपोर्ट पर थर्ड-पार्टी समेत सभी सेवाओं के लिए ऑपरेटर होंगे जिम्मेदार, AERA बनाएगा नया नियमकाठमांडू एयरपोर्ट से उड़ानें दोबारा शुरू, नेपाल से लोगों को लाने के प्रयास तेजभारत-अमेरिका ट्रेड डील फिर पटरी पर, मोदी-ट्रंप ने बातचीत जल्द पूरी होने की जताई उम्मीदApple ने उतारा iPhone 17, एयर नाम से लाई सबसे पतला फोन; इतनी है कीमतGST Reforms: इनपुट टैक्स क्रेडिट में रियायत चाहती हैं बीमा कंपनियांमोलीकॉप को 1.5 अरब डॉलर में खरीदेंगी टेगा इंडस्ट्रीज, ग्लोबल मार्केट में बढ़ेगा कदGST 2.0 से पहले स्टॉक खत्म करने में जुटे डीलर, छूट की बारिशEditorial: भारत में अनुबंधित रोजगार में तेजी, नए रोजगार की गुणवत्ता पर संकटडबल-सर्टिफिकेशन के जाल में उलझा स्टील सेक्टर, QCO नियम छोटे कारोबारियों के लिए बना बड़ी चुनौती

महामारी और आयुष्मान योजना का असर, छोटे शहरों में दवा और इलाज की बढ़ी मांग

दवा कंपनियां और केमिस्ट अब बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों तक अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि उन्हें मांग में तेजी दिख रही है

Last Updated- June 16, 2023 | 11:30 PM IST
medicines

महामारी (Covid-19) के बाद स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से भारत के छोटे शहरों में दवाओं की मांग बढ़ रही है। इसमें दवा की दुकानों के प्रसार, आयुष्मान भारत जैसी सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के कवरेज और दवा कंपनियों के क्षेत्र में दिख रही तेजी का भी योगदान है।

देश में 12 लाख दवा दुकानों (केमिस्ट) का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन, ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स ऐंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) के महासचिव राजीव सिंघल कहते हैं, ‘हर साल लगभग 450,000 फार्मासिस्ट पास होते हैं और उनमें से लगभग 40,000-45,000 केमिस्ट बन जाते हैं जो दवा की दुकान खोलते हैं।’

सिंघल का कहना है, ‘दवा विक्रेता छोटे शहरों में जा रहे हैं, और देश के सुदूर इलाकों में भी अपनी पहुंच बना रहे हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कम से कम 1,000-2,000 आबादी वाला कोई गांव या शहर नहीं होगा, जहां केमिस्ट की दुकान न हो। कोविड-19 महामारी के बाद लोग अपने प्रिस्क्रिप्शन को लेकर अधिक नियमित हैं और वे अपनी स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में अधिक जागरूक हैं।’

आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) छोटे शहरों में दवाओं की मांग में वृद्धि का एक और प्रमुख कारण है। इस योजना के तहत 26,055 नेटवर्क अस्पतालों में लगभग 4.3 करोड़ लोग अस्पताल में भर्ती (50,409 करोड़ रुपये की राशि) होते हैं जैसा कि वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा से भी पता चलता है।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अद्यतन करके पूरे भारत में लगभग 154,070 आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों का संचालन किया गया है, जिसमें कुल 1.35 अरब लोगों की भीड़ देखी गई और गैर-संचारी रोगों के लिए 87 करोड़ लोगों की जांच की गई है।

सिंघल का कहना है कि प्रिस्क्रिप्शन तैयार किए जाते हैं और दवाइयां बेची जाती हैं, चाहे वह सरकारी चैनलों के माध्यम से हो या निजी केमिस्टों के माध्यम से। इन दोनों ही तरीके से देश के सुदूर इलाकों के कारोबार और मांग में वृद्धि होती है। मोटे अनुमान के मुताबिक टीयर-2 से टीयर 6 शहरों तक देश के दवा बाजार (आईपीएम) की हिस्सेदारी करीब 21 फीसदी है।

दवा कंपनियां भी पीछे नहीं हैं, वे टीयर-2 और टीयर-3 शहरों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। बाजार हिस्सेदारी के हिसाब से भारत की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी सन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने टीयर-2 और टीयर-3 शहरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने क्षेत्र बल का विस्तार किया है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारी व्यापक पहुंच हमें उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं और किफायती कीमतों के लिहाज से सक्षम बना रही है।’

मैनकाइंड फार्मा के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजीव जुनेजा कहते हैं, ‘मैंने लोगों, हमारे स्टॉकिस्टों, बिक्री से जुड़े लोगों से मिलने के लिए देश भर में बड़े पैमाने पर यात्रा की है। मैंने बुनियादी ढांचे जैसे कि सड़क, अस्पताल, बिजली में यह क्रमिक बदलाव देखा है और इससे यह बात सुनिश्चित हुई है कि अधिक लोग महानगरों में आने के लिए अपने गृहनगर को न छोड़ें। वास्तव में, कोविड-19 के बाद हमने देखा है कि लोग अपने गृहनगर में ही रहने का विकल्प चुन रहे हैं क्योंकि अब उनके पास अवसर हैं।’

उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत जैसी सरकारी योजनाओं के साथ कुल कारोबार बढ़ा है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि दवा कंपनियों की बिक्री में भी तेजी आई हो। हालांकि, उनका कहना है कि देश के भीतरी इलाकों में कुल बिक्री और मांग बढ़ी है।

मुख्य रूप से घरेलू बाजार पर ध्यान केंद्रित करने वाली कंपनी, एरिस लाइफसाइंसेज के कार्यकारी निदेशक और मुख्य परिचालन अधिकारी वी कृष्णकुमार का कहना है कि पिछले कुछ समय से छोटे शहरों में एमडी डॉक्टरों की संख्या में वृद्धि हुई है।

कृष्णकुमार बताते हैं, ‘हम 140 जगहों पर मौजूद हैं और यहां से एक प्रतिनिधि आमतौर पर देश में 50 किलोमीटर के दायरे को कवर करता है, जिससे हमारी पहुंच लगभग 300 जगहों तक हो जाती है और देश के दवा बाजार का लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा कवर होता है। उपस्थिति वाले बिंदु का मतलब एक पिनकोड तक मौजूद होना नहीं है। उदाहरण के तौर पर मुंबई में उपस्थिति वाला एक बिंदु है, लेकिन इसमें कई पिनकोड हैं। इसी तरह, सांगली एक केंद्र है जहां से हम देश को कवर करेंगे।‘

सिप्ला के प्रबंध निदेशक और ग्लोबल सीईओ (मुख्य कार्याधिकारी) उमंग वोहरा ने हाल ही में चौथी तिमाही के नतीजों के बाद एक एनालिस्ट कॉल में कहा था कि उनके ट्रेड जेनेरिक कारोबार में आठ ब्रांड हैं जिनकी बिक्री 50 करोड़ रुपये से ज्यादा है और कारोबार के लिहाज से ये काफी बड़े हैं।

ट्रेड जेनेरिक दवाएं ऐसी दवाएं हैं जिन्हें डॉक्टर (प्रिस्क्रिप्शन) के माध्यम से नहीं बेचा जाता है, बल्कि उन्हें सीधे कारोबार में दिया जाता है। सिप्ला देश में भारत की सबसे बड़ी ट्रेड जेनेरिक फ्रैंचाइजी चलाती है जिसमें 5500 स्टॉकिस्टों के नेटवर्क के साथ टीयर-2 और उससे नीचे के शहरों को कवर किया जाता है और इसमें 15,000 पिनकोड को सेवाएं दी जाती हैं।

मोतीलाल ओसवाल ने दिसंबर के एक नोट में कहा था कि सिप्ला, गैर-महानगर वाले शहरों के लिए अपनी रणनीति फिर से तैयार कर रही है। गैर-महानगर वाले शहरों में ट्रेड जेनेरिक में आ रही तेजी के बलबूते प्रिस्क्रिप्शन के माध्यम से कारोबार बढ़ाने के लिए मेडिकल प्रतिनिधियों (एमआर) का इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है।

ब्रोकिंग कंपनी ने कहा था कि वह ट्रेड जेनेरिक सेगमेंट में भी इलाज का विस्तार कर रही है। इसका मतलब यह है कि कंपनी, छोटे शहरों में भी प्रिस्क्रिप्शन से जुड़े कारोबार की संभावना देखती है।

मोतीलाल ओसवाल ने कहा, ‘सिप्ला इस बात पर विचार कर रही है कि गैर-महानगर वाले शहरों में अपनी आरएक्स (प्रिस्क्रिप्शन) वाली फ्रैंचाइजी बनाई जाए या नहीं। मरीजों के बीच दवाओं को लेकर बढ़ती जागरूकता और प्रिस्क्रिप्शन से जुड़ी विश्वसनीयता को देखते हुए, यह गैर-महानगरों वाले शहरों में आरएक्स कारोबार के लिए मौजूदा और अतिरिक्त एमआर संसाधनों का उपयोग करेगी।’

First Published - June 16, 2023 | 11:30 PM IST

संबंधित पोस्ट