दिल्ली के उद्यमियों को दिल्ली उच्च न्यायालय से संपत्ति कर के मामले में बड़ी राहत मिली है। अब उद्यमियों को किराये की औद्योगिक व व्यावसायिक संपत्ति पर दोगुना संपत्ति कर नहीं भरना होगा।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने किराये की गैर आवासीय संपत्ति के लिए occupancy factor एक बढ़ाकर 2 कर दिया था। जिसके खिलाफ दिल्ली के उद्यमियों के संगठन अपेक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री दिल्ली ने न्यायालय में अपील की थी।
इस संगठन के उपाध्यक्ष रघुवंश अरोडा ने बताया कि occupancy factor बढाने का अधिकार निगम मूल्यांकन समिति (एमवीसी) को है। एमवीसी—3 के तहत किराये और गैर आवासीय संपत्ति के लिए एमवीसी—3 के तहत occupancy factor एक से बढ़कर 2 हुआ था। लेकिन एमवीसी—3 साल के लिए मान्य होती है। इस एमवीसी की मान्यता काफी पहले खत्म हो चुकी है। इसलिए अब बढे हुए occupancy factor—2 के हिसाब से संपत्ति कर नहीं वसूला जा सकता है। लेकिन एमसीडी बीते दो—तीन साल से बढे हुए occupancy factor से संपत्ति कर उद्यमियों से मांग रही है।
एमसीडी ने पिछले साल जुलाई में occupancy factor बढ़ाकर 2 कर दिया। जिससे उद्यमियों को किराये की औद्योगिक व व्यावसायिक संपत्ति पर दोगुनी दर से संपत्ति कर देना होगा। अरोडा ने कहा कि एमसीडी के occupancy factor—2 के हिसाब से संपत्ति कर लेने के खिलाफ चैंबर ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए पिछले सप्ताह न्यायालय ने 31 मार्च से पहले occupancy factor—1 के हिसाब से संपत्ति कर भरने की फौरी राहत दी है। इस मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी।
लघु उद्योग भारती दिल्ली इकाई के सचिव संजय गौड़ ने कहा कि occupancy factor—1 के हिसाब से किराये की औद्योगिक संपत्ति पर 90 रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से संपत्ति कर लगता है, जबकि occupancy factor—2 होने पर संपत्ति कर 180 रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से लगेगा। ऐसे में दिल्ली उच्च न्यायालय से उद्यमियों को बड़ी राहत मिली है क्योंकि उन्हें फिलहाल दोगुना संपत्ति कर नहीं देना पडेगा।